NWI Exclusive: Deteriorating Condition Of 'Akshay Vat Vriksha' In Kurukshetra
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Vat Vriksh Ganesha,Shukratal,Muzaffarnagar
Vat Vriksh Ganesha,Shukratal,Muzaffarnagar
Shukratal, Vat Vriksh Muzaffarnagar
Shukratal, Vat Vriksh Muzaffarnagar
MCD Chairman's Home Becomes Pit of Garbage in Muzaffarnagar - India TV
MCD chairman's home becomes pit of garbage in Khatauli, Muzaffarnagar.
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5000 years old Hindu tradition at Akshya Batbrikshya, Sukratal (Sukhtirth), UP. Vision TV World.
5000 years old Akshya batbriksh is famous for Shri Bhagawat katha at sukrataal, also known as Sukhtirth near Muzaffarnagar, Uttar Pradsh. Vision TV World.
akshay vat vriksh kurukshetra
akshay vat vriksh kurukshetra
आदि काल का अक्षय वट वृक्ष शुक्रताल मुजफ्फरनगर.
HEMANT
M: 9911236234
शुक्रताल में जिस स्थान पर शुक देव जी ने राजा को कथा सुनाई थी, वह अक्षय वट वृक्ष आज भी अपनी विशाल जटाओं को फैलाये खड़ा है. अद्भुत रूप से फैली यह जटाएं श्रद्धालु लोग पूजते हैं और स्वयं के मोक्ष की अपेक्षा में समय-समय पर आयोजित होने वाली भागवत कथाओं के आयोजन में सम्मिलित होते हैं. पूरा परिसर एक तीर्थ के रूप में जाना जाता है जहाँ अन्य प्राचीन मंदिर, धर्मशालायें, समागम स्थल स्थापित हैं. उस समय नदी का प्रवाह निकट ही था परन्तु वर्तमान में इसने अपना रास्ता बदल लिया है और नदी वहां से काफी दूर हो गई है. मंदिर में जाने के लिए काफी सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जाना होता है.
GOOD TIME SPENT IN MUZAFFARNAGAR (UTTAR PRADESH) | MY LIFE STYLE VLOG _ By keshav Rohila vlogs
#keshavrohillavlogs #muzaffarnagar #yamunanagar
So hello frnds this is keshav once again. I was come to muzaffarnagar there is my nani's house to spent some winter vaccations so i was decided to make a life style vlog on it and the content of this vedio is chill out with my brothers in The Grand Plaza Mall( muzaffarnagar, uttar pradesh)
And happy new year frnds????????????
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thnks!
इस प्राचीन वट वृक्ष को मुगलों ने कई बार तबाह करना चाहा, लेकिन रहे नाकाम
इस प्राचीन वट वृक्ष को मुगलों ने कई बार तबाह करना चाहा, लेकिन रहे नाकाम
हिंदू मान्यता के अनुसार चार वट वृक्षों का महत्व अधिक है। उज्जैन स्थित सिद्धवट मंदिर लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि जब माता पार्वती ने यहां तपस्या की थी, तब उन्होंने ही इस सिद्धवट को लगाया था। गौरतलब है कि उज्जैन का सिद्धवट भी प्रयाग के अक्षयवट, वृन्दावन के वंशीवट और नासिक के पंचवट के समान अपनी पवित्रता के लिए प्रसिध्द है।
ऐसा माना जाता है कि पवित्र नदी शिप्रा के तट पर स्थित सिध्दवट घाट पर अन्त्येष्टि-संस्कार सम्पन्न किया जाता है। स्कन्द पुराण में इस स्थान को प्रेत-शिला-तीर्थ कहा गया है। इसके अलावा नाथ संप्रदाय में भी इसे पूजा का स्थान माना गया है। मुगल शासन काल में इस सिद्धवट को नष्ट करने के कई बार प्रयास किए गए थे।
पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी उज्जैन का सिद्धवट मंदिर काफी महत्व रखता है क्योंकि शिप्रा के तट पर स्थित मंदिर के पास नदी में बड़ी तादाद में कछुए पाए जाते हैं। इसके अलावा उज्जैन से प्राप्त हुए प्राचीन सिक्कों में भी नदी के साथ कछुओं के चित्र अंकित किए हुए मिले हैं।
ऐसे में इस धारणा को बल मिलता है कि यहां कछुए प्राचीन काल से ही रहे होंगे। उज्जैन के भैरवगढ़ के पूर्व में शिप्रा नदी के तट पर स्थित सिद्धवट को शक्तिभेद तीर्थ के रूप में भी जाना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि यहां संतति, संपत्ति और सदगति जैसी तीन तरह की सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजन किया जाता है। इसके अलावा यहां पितरों के लिए अनुष्ठान किया जाता है।
महाभारत कालीन 5000 साल पुराना अक्षय वट वृक्ष,शुक्रताल: मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
POST BY HEMANT
M: 9911236234
हस्तिनापुर के राजा परीक्षित का शुक्रताल: मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
ुक्रताल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जनपद में गंगातट के निकट स्थित वह तीर्थ स्थल है जहाँ अब से पांच हजार वर्ष से भी पूर्व संत शुक देव जी ने राजा परीक्षित को जीवन-मृत्यु के मोह से मुक्त करते हुए जीते जी मोक्ष की प्राप्ति का ज्ञान दिया था.
महाभारत युद्ध में अभिमन्यू वीरगति को प्राप्त हुए और उनकी पत्नी उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने के लिये अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा, परंतु श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उत्तरा के प्रार्थना करने पर उसके गर्भ की रक्षा की. उत्तरा के गर्भ में जो शिशु पल रहा था वह परीक्षित था जो आगे चलकर राजा परीक्षित के रूप में विख्यात हुआ. गर्भावस्था में ही प्रभु के दर्शन होने का सौभाग्य मात्र परीक्षित जी को ही बताया जाता है.
एक बार राजा परीक्षित जंगल में शिकार खेलने गये. शिकार की तलाश में घूमते-घूमते वे भूख-प्यास से पीड़ित हो गये. पानी तलाश करते-करते वे शमीक मुनि के आश्रम में पहुँचे जहां पर मुनि समाधिस्थ थे. राजा ने कई बार मुनि से पानी की याचना की, परंतु कोई उत्तर न मिलने पर, राजा ने एक मरे हुए साँप को धनुष की नोंक से उठाकर, शमीक मुनि के गले में डाल दिया, परंतु शमीक मुनि को समाधि में होने के कारण इस घटना का कोई भान ही नहीं हुआ.
महाभारत कालीन 5000 साल अक्षय वट वृक्ष,शुक्रताल: मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश. Vision TV World
Akshaya Batbriksh at Sukrataal, Muzaffarnagar,Uttar Pradesh.
महाभारत कालीन 5000 साल अक्षय वट वृक्ष,शुक्रताल: मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश. Vision TV World
महाभारत कालीन 5000 साल पुराना अक्षय वट वृक्ष,शुक्रताल: मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
Shukratal | शुक्रताल की सैर | अमर वट वृक्ष |
Dear friends
SHUKRATAL
Shukratal is an ancient holy shrine. It is located near Muzaffarnagar. There is a Sanskrit college here. This place is considered to be a famous religious place of Hindus. Shukratal situated on the banks of river Ganges is located 30 kilometers from the district headquarters. It is said that only Maharishi Sukhdev Ji described Bhagwat Gita after King Parikshit, son of Abhimanyu and grandson of Arjuna at this place. A temple was built under the Vat tree near it. Sitting under this tree, Sukhdev Ji used to tell about Bhagwat Gita. There is also a Yagyashala inside the Sukhdev temple. The King used to recite the Bhagavad Gita to the Maharaja Sukhdev. Apart from this, a 35 feet tall statue of Lord Ganesha is also established here. Along with this, there is a 72 feet high statue of Akshaya Vat and Lord Hanuman ji at this place.
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#shukratal #शुक्रताल #indiatour #travelguru #indiatourism #bharatdarshan
अर्धकुंभ में संगम स्नान के बाद श्रद्धालु अब अक्षय वट के दर्शन कर सकेंगे
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#शुक्रताल ll वट के 5000 साल पुराने पेड़ मे गणेश और गऊ का रहस्य ll Shukartal History #Disocver Bharat
Place-Shukartal
Concept/History-Mona
Script/Voice-Vinod Ahlawat
Dubbing-Monika
Camera/Editing-Vinod Ahlawat
Copyrights-Discover Bharat
प्राचीन वट वृक्ष के कर लो दर्शन।
प्राचीन वट वृक्ष के कर लो दर्शन।
शुक्रताल अक्षय वट वृक्ष
Video from Arvind Kumar
शुक्रताल/ महाभारत कालीन 5000 साल पुराना अक्षय वट वृक्ष जिस पर आज तक पतझड़ का असर नही।mohit gurjar
महाभारत काल से ये वृक्ष है। राजा परिक्षित ने यहाँ कथा सुनी थी और मोक्ष पाया था। share and subscribe...keep support.
Mahasiddha Vat Vriksh sant Shri Dagdu ji Bapu Ashram
Mahasiddh Vat Vriksh at Sant Shri Dagdu ji Bapu Ashram near Barwaha M.P. on the bank of narmada.
Shukratal
Shukratal near Muzaffarnagar, UP