Devnagri ke Devdarshan part- 44 shri samavsaran jain mandir bamanvadji , journey of heritase Templs
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट- 44 श्री समवसरण जैन मंदिर बामणवाडजी
सेठश्री कल्याणजी परमानंदजी पेढी , सिरोही द्वारा संचालित बामणवाडजी के केम्पस, पहाड़ी आदि पर निर्मित अलग-अलग मंदिर बहुत आकर्षक है, जिससे से श्रीमहावीर स्वामीजी के जिवितकाल की मूर्ति वाला मुख्य मंदिर का वीडियो देवदर्शन पार्ट -37 के रूप मे पहले ही भेजा गया है। अब मुख्य मंदिर के पास में बना तीन मंजिला समवसरण मॉडल मंदिर की बनावट, समवसरण का इतिहास , तीनो मंजिल मे 23वे तिर्थकर पार्श्वनाथ भगवान की चौमुखजी वाली बड़ी बड़ी मूर्तिया (चारो दिशा मे अलग-अलग मूर्तिया), मंदिर के अंदर की चित्रकारी- पूरे मंदिरजी की शिल्पकारीता- कलाकृतिया इत्यादि सब देखने जैसी है। उसे हम आप तक पहुंचाने कोशिश कर रहे है।
तीन मंजिले इस मंदिर के प्रत्येक गंभारे (गर्भा ग्रह) अंदर का भाग देखने और दर्शन- पुजा करने पर हम इतने भाव- विभोर- आनंद से ओत-प्रोत हो जाते है, जिसकी कल्पना करना- उसको दर्शाना हमारे बस की बात नही है। वहां का नजारा और परमआनंद की प्राप्ति यहां आकर ही महसूस की जा सकती है।
यह मंदिर समवसरण का एक मॉडल मात्र है। वास्तविक समवसरण तो बहुत बडा एक पवेलियन ऊंचे सिहासन के साथ बना होता है। जिसके चारो ओर बैठने की पूरी व्यवस्था होती है और उसके मध्य भाग मे सबसे ऊपर बैठकर जीवित काल मे तीर्थंकर स्वयं अपने अनुभव, ज्ञान, प्रप्तियो को अंतिम देशना के रूप मे सबको प्रतिबोधित करते यानी बाटते है। उसके श्रमण (सुनने) के लिए चारो ओर जगत के सारे राजा- महाराजा- प्रजा- जीव- जंतु इत्यादि सब अपनी-अपनी हेसियत एवं स्थान अनुसार बैठते और अपनी- अपनी भाषा मे तीर्थंकर की देशना समझकर ग्रहण करते है।
उस वक्त के समवसरण बहुत ही उच्च स्तरीय आर्किटेक्ट से बनाये जाते थे, जिसमे हरेक एंगल से देशना देने वाले तीर्थंकर और सुनने वाले श्रमण- श्रमणीया एक दूसरे को सीधा देख व सुन सकते थे। यह समवसरण सभी तीर्थंकरो की अंतिम देशनाओ के लिए बनाये- सजाये जाते थे।
जैनिजम् के हिसाब से बामनवाडजी तीर्थ श्रीमहावीर स्वामीजी के जीवितकाल के विहार- विचरण की भूमि रही है, जीवित काल की मूर्ति वाला मुलनायक मंदिर, उसी के पास देशना वाला समवसरण का मॉडल मंदिर, जिसमे श्रीपार्श्वनाथ भगवान की सारी मूर्तिया विराजित है, क्योंकि श्रीमहावीर स्वामीजी (24वे तीर्थंकर) के जीवितकाल पहले श्रीपार्श्वनाथ भगवान 23 वे तीर्थंकर है।
इस पुण्य भूमि पर श्रीमहावीर स्वामीजी के जीवित काल मे एक अबोध ग्वाले द्वारा कान मे लकड़ी की नुकुली किल/ शूल डालने के दृष्टांत का मोडल मंदिर भी है। जिसका दृष्टांत ये है कि जब भगवान महावीर स्वामी ध्यान मुद्रा मे खडे थे तब ध्यान मुद्रा भाव के कारण बार बार पूछने वाले एक गवाले को जवाब नही मिला, तो ग्वाले ने क्रोध मे आकर श्री महावीरजी के दोनो कानो मे नुकुली लकड़ी डाल दी। इस पर भी करुणामय श्रीमहावीर टस से मस नही हुए और अबोद्ध ग्वाले के लिए माफी भाव रखकर उसका भी कल्याण किया। बामनवाडजी के परकोटे मे कान के किले वाला मॉडल मंदिर एक शिला- चट्टान पर बना हुआ है।
यहा 2610 वर्ष पुरानी श्रीमहावीर की मूर्ति मूलनायक के रूप मे विराजमान है, ऐसे ही वहां शिखरबंद्ध श्रीमहादेवजी एवं माताजी के मंदिर भी है। ये सब इस मंदिरजी की विशेषताऐ है।
यहाँ सुंदरतम धर्मशाला, भोजनशाला और व्यवस्था संचालन के लिए कार्यालय के साथ सेवको, पुजारियों और कार्यकर्ताओ की टीम है ।
आज हम इस मंदिर के विहंगम नजारे को आप तक भेजकर आनंद और धन्य महसूस कर रहे है।
हम परमात्मा को किसी भी रुप मे भजे, किसी भी नाम से जाप करे हमको आनंद ही मिलता है।
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 44 समवसरण जैन मंदिर बामणवाडजी को एकबार आप जरूर देखे।
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राजेन्द्र सिंह नरुका , Sirohi Temples
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 27 योगियों , तपस्वियों सिद्धों की तपस्थली श्री रीछेश्वर महादेव मंदिर
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट -27 योगियों , तपस्वियों , सिद्धो और साधकों की तपस्थली श्री रीछेश्वर महादेव मंदिर , नादिया , सिरोही
यहाँ नाथपरंपरा के महाराजा महायोगी गोपीचंद जी की गुफा और धूणा है , यहाँ आस्ट्रेलिया से पधारें तपस्वी संत दुर्गानाथ जी की 12 वर्ष की साधना का इतिहास है ।अनगिनत नाथयोगियों ने इस गुफा मे साधना की ।
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 27 योगियों की तपस्थली श्री रीछेश्वर महादेव के आओ हम भी दर्शन करे ।
राजेन्द्र सिंह नरुका , योग और पर्यावरण प्रेमी , सिरोही
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 28 मूलनायक श्री महावीर स्वामी जैन मंदिर , बालदा सिरोही
Video from राजेन्द्र सिंह नरुका
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 28 मूलनायक भगवान श्री महावीर स्वामी जी का जैन मंदिर , बालदा सिरोही
कहते है भगवान महावीर स्वामी जी ने सिरोही और आबूराज की देवधरा पर अपने जीवन काल मे विहार किया था जिसका इतिहास प्राचीन जैनधर्म शास्त्रों मे मिलता है ।
बालदा जैन तीर्थ सिरणवा की पहाड़ी की तलहटी के शांत, एकांत और रमणीक स्थान मे स्थित है । सिरोही से 8 किलोमीटर दूर इस प्राचीन मंदिर का वर्तमान मे जीर्णोद्धार का कार्य तेजी से चल रहा है ।
श्री कल्याण जी परमानंद जी पेढी , सिरोही इस जैन तीर्थ की व्यवस्थाओं को सम्हालने का कार्य करती है ।
यहाँ रुकने ठहरने के लिए धर्मशाला और भोजनशाला चलती है ।
यहाँ बाबाजी और माताजी का भी मंदिर है जहाँ हर दिन पूजा , जोत होते हैं ।
प्राकृतिक वातावरण मे बनाया ये मंदिर साधना की दृष्टि से बहुत सुंदर है और अनेक श्रद्धालु यहाँ आकर शांति और आनंद का अनुभव करते हैं ।
राजेन्द्र सिंह नरुका , योग और पर्यावरण प्रेमी , सिरोही