Tar Je Dubar Je / Parasnath stavan Gautam Bothra Nemichand Chajjer Barmer Rajasthan India
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Parasnath Jain stavan
Chintamani Parasnath Barmer
Nakoda Parasnath Balotra
BARMER Rajasthan
Gautam Bothra
Nemichand Chajjer
Barmer Rajasthan India
Best Attractions and Places to See in Barmer, India
Barmer Travel Guide. MUST WATCH. Top things you have to do in Barmer. We have sorted Tourist Attractions in Barmer for You. Discover Barmer as per the Traveler Resources given by our Travel Specialists. You will not miss any fun thing to do in Barmer.
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List of Best Things to do in Barmer, India
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Shri Nakoda Jain Temple
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Mahabar Sand Dunes
Nakoda Temple
Chintamani Parasnath Jain Temple
Barmer Fort
नागेश्वर पार्श्वनाथ - Shri Jain Shwetamber Nageshwar Parshwanath Tirth, Jhalawar
ManakTv.
The world famous ancient tirth of 23rd Tirthankar of Lord Shri Parshwanath is popular by the name of Nageshwar Parshwanath, and is situated at the junction line of border of Madhya Pradesh and Rajasthan State. This tirth is situated some Fourteen Kilo meters away from Chomahala station in the Gangdhar Tehsil of Jhalawar district of south Rajasthan. The Unworldly miraculous most effective statue which was crafted by Dharnendra himself during the Lord's life time and which is blue colored fourteen feet high has been installed there at like the ancient and miraculous statue, similarly its history is also linked with series of miraculous happenings. Before some tow thousand and nine hundred years from now, when Parshwakumar after renouncing the world and after obtaining Diksha, while roaming here and there reached the Koustubh forest area of Varanasi and there went into deep meditation in action oriented pose, during the same period Dharnendra Dev reached there and started sheltering him with hoods as of a cobra snake while praying devotionally his benevolent Lord for continuous three days. After completion of the meditation when Lord moved some were else, Dharnendra Dev crafted the life size statue of Lord with snake's hood out of Emerald Markat mani and installed it at the same place where Lord meditated, After the destruction of Ahichchhatra township the revered angels brought this statue to Unhel village at it's present site. This transfer of place occured centuries back. The King Ajeetsen and Queen Padmavati of Unhel built a huge Jain Temple and installed the statue there in. Time passes away and destruction and construction activities remain continued, During the Mughal period this temple was robbed several times. But in the vikram samvat 1264 Jainacharya of the Nagendra gachchha, Shri Abhay Devsuri got it renoveted. At that time some 500 families of Jain community were residing thereat but afterwards all of them left the village one after another and then the Temple again ruined. By chance respected upadhyay Shri Dharmsagarji Maharaj along with his disciple yoga practitioner Shri Abhaysagarji Maharaj visited this place. Respected gurudev mediated uniquely Navkar Mantra and researched this History of this tirth and planned scheme for renovation of the tirth place and gave it's responsibility of this gigantic task of renovation to Unhel Nageshwar's resident Shri Deepchand Jain, Due to the blessings of the gurudev and the presiding deity with ceaseless efforts of seth Shri Deepchand Jain while fighting a number of hindrances and odd situations during renovation of the tirth, the present temple place could be rebuilt, which is famous not only in our country but also in the foreign countries. while having live darshan under lamp lights brightness of this three thousand years old unworldly and miraculous statue, one gets splendid pleasure. The statue which appears like market mani suddenly attracts attention of each and every visiting devotees who come in lakhs in number and obtain their desires fulfilled.
श्री जैन श्वेताम्बर नागेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ
राजस्थान—मध्यप्रदेश सीमा के नजदीक झालावाड़ जिले में स्थित इस तीर्थ पर मूलनायक प्रतिमा भगवान पार्श्वनाथ की है और वह लगभग 1100 से 3000 वर्ष पुरानी मानी जाती है। यह प्रतिमा करीब 14 फीट कद की है।
भगवान पार्श्वनाथ की मूलनायक प्रतिमा हरे रंग की है। प्रतिमा के एक ओर भगवान महावीर और दूसरी ओर भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा है। मान्यता है कि भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा का निर्माण उनके जीवनकाल में ही श्री धर्नेंदेव द्वारा करवाया गया था।
कालान्तर में मन्दिर जीर्ण हुआ और कई बार मन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ। तीर्थ स्थान पर वर्तमान में दो गुरू मंदिरों व दादाबाड़ी का निर्माण किया गया है।
तीर्थ स्थान पर सशुल्क विशाल भोजनशाला व विशाल धर्मशाला की उत्तम व्यवस्था है।
दर्शन का समय: प्रातः 4.30 से रात्रि 9.30 बजे तक।
जैन श्वेताम्बर चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर में चढ़ाई गई ध्वजा
Channel 24+ News Jodhpur
Jirawala Parshwanath Chamatkar.
8 Din ke athak prayas ke bavajud, Jo murti praveshdvar par virajman na ho saki,vahi murti darshan, namasmaran aur pooja-vidhi karte hi, keval 8 minute me sthanbaddha ho gai.
JAI JIRAWALA PARSHWANATH....
yaha chamatkar hote he.
बाड़मेर में जैन जगत के तृतीय दादा गुरूदेव जिनकुशलसूरि की 739वीं जन्म जयन्ती धूमधाम से मनाई गई
(चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ के साथ)जैन जगत के तृतीय दादा गुरूदेव श्री जिनकुशलसूरिश्वरजी महाराज की 739वां जन्म जयन्ती समारोह बाड़मेर नगर में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के तत्वावधान में स्थानीय जैन न्याति नोहरा में गुरूमैया श्री सुरंजनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की पावन निश्रा में धूमधाम से मनाया गया। गुरूवर्या श्री ने प्रवचन में दादा गुरूदेव की अमर कहानी के माध्यम से दादा गुरूदेव के जीवन चरित्र के विभिन्न पहलुओं को छुते हुए उनके गुणों की महिमा का बखाण करते हुए कहा कि दादा जिन कुशल गुरुदेव का जन्म राजस्थान के बाडमेर में गढ सिवाना में विक्रम स्वंत्त 1337 में छाजेड गोत्र में हुवा, आपके बचपन का नाम करमन था। आप व्याकरण न्याय साहित्य अलंकार ज्योतिष मंत्र तंत्र चित्राकव्य समस्या पूर्ति और जैन दर्शन के अभूतपर्व विद्वान् थे। आप भक्तों के रोम रोम में बसे हुवे हो जब भी भक्त आपको याद करते हैं, आप तुरंत हाजिर हो जाते हो ,आपके राजस्थान में आज भी जयपुर में मालपुरा, जैसलमेर में बरमसर,और बीकानेर में नाल दादावाडी हैं, जहा आपने अपने भक्तो को देवलोक होने के बाद दर्शन दिए और उनका मनोरथ पूरा किया। आपके चमत्कार अनगिनत हैं क्यों की आप सदैव भक्तो के लिए ही बने ,चाहे लुनिया जी श्रावक का आज के पाकिस्तान से अपनी बेटियों का शील बचाने के लिए बरमसर आना. एक शासन श्रावक भक्त को मालपुरा में साक्षात दर्शन देना करमचंद बछावत के मंत्री वरसिंह की प्रबल इच्छा का मान रखते हुवे नाल बीकानेर में साक्षात दर्शन देकर उनका मनोरथ सिद्ध किया और शासन की प्रभावना की। आपने 42 साल तक शासन की सुन्दर प्रभावना की कितनो को तारा और कितने के आप आँखों के हीरे बने और कितने अजैनों को जिन शासन से जोड़कर आपने 50000 के करीबन नूतन जैन बनाये। आपका स्वर्गवास देराउर जो आज पाकिस्तान में है वहा फाल्गुन वदि अमावस्या को रात्रि दो प्रहर बीतने पर इस असार संसार को त्याग कर स्वर्गीय देवो की पंक्ति में अपना आसन जमाया। जिन कुशल सूरी के जीवन के समय सिंध के जैनों में बैकस्लाइडिंग की गंभीर समस्याएं थीं। उन दिनों, गलत धारणाओं और हिंसा का व्यापक प्रसार हुआ, और लोग धर्म में विश्वास खो रहे थे। उन्हें सिंध में जैनों द्वारा वहां जाने के लिए आमंत्रित किया गया था, और मामलों की स्थिति को देखते हुए, वह धर्म में लोगों के विश्वास को पुनर्जीवित करने और हिंसा को रोकने के लिए उस क्षेत्र की यात्रा करने पर सहमत हुएय और स्पष्ट रूप से वह एक बड़ा पुनरुद्धार लाने में सफल रहा। उन्होंने सिंध के क्षेत्र में अहिंसा, दान, दया और सच्चे धर्म का संदेश फैलाया। ऐसा कहा जाता है कि उनके असाधारण करिश्मा के कारण वह 50,000 नए जैनों को परिवर्तित करने में सक्षम था।ऐसे हमारे गुरुदेव साक्षात् गुरुदेव हाजर हुजुर गुरुदेव जिनके नाम स्मरण मात्र से आदि व्याधि सब दूर होकर एक नया जीवन मिलता हे।
गुरूवर्या श्री ने कहा कि जैसलमेर के ब्रह्मसर में और जयपुर के मालपुरा में दादा श्री जिन कुशल सूरी जी ने जिस शिला(पाषाण) पर साक्षात दर्शन दिए उस पर उनके पदचिन्ह अंकित हो गए और वो आज भी वहा मोजूद हे आप उनके दर्शन वंदन का लाभ के सकते हे यही तो सच्ची श्रद्धा का प्रतीक है। साध्वीवर्या ने अपने जीवन में घटित दादा गुरूदेव के साक्षात चमत्कारों के संस्मरण बताये।
खरतरगच्छ चातुर्मास समिति के मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ व चातुर्मास समिति के संजय छाजेड़ ने बताया कि कलिकाल कल्पतरू जन-जन के आस्था के केन्द्र जैन जगत के तृतीय दादा गुरूदेव श्री जिनकुशलसूरिजी की 739वीं जन्म जयन्ती पर भव्य समारोह का आयोजन स्थानीय जैन न्याति नोहरा में किया गया। दादा गुरूदेव की प्रतिमा पर गुरूपूजन करने का लाभ सामायिक के माध्यम से कुमारी पुखराज जी बोथरा, दादा गुरूदेव को पुष्प समर्पित करने का लाभ इकतीसा के पाठ के माध्यम से रक्षा मालू व दादा गुरूदेव को पुष्पहार समर्पित करने लाभ आदमल भगवानदास छाजेड़ परिवार ने लिया। संध्या में दादा गुरूदेव की 108 दीपक की महाआरती करने का लाभ चम्पालाल कल्याणदास छाजेड़़ परिवार जसाईवालों ने लिया। दोपहर में सामुहिक 1008 आयंबिल का आयोजन वसी कोटड़ा चौबीस गांव भवन हमीरपुरा में किया गया जिसमें हजारों की संख्या में जैन व जैनेतर श्रद्धालुओं ने आयंबिल तप किया। कई नन्हें मुन्ने बच्चों ने पहली बार आयंबिल तप की आराधना की। दोपहर में 2 बजे दादा गुरूदेव के 108 अभिषेक किए गए व रात्रि में दादा गुरूदेव की भक्ति व 108 दीपक से आरती की गई एवं 108 लक्की ड्रा निकाले गए। आयंबिल व्यवस्था में विभिन्न मंडलों ने अपनी सरहानीय सेवाएं प्रदान की जिनका खरतरगच्छ जैन संघ की और से आभार व्यक्त किया गया। सामुहिक 1008 आयंबिल करवाने का लाभ स्व. श्री नेमीचंद-ढेलीदेवी, स्व. बोहरीदास-धाईदेवी की प्रेरणा से मनसुखदास, भूरचंद, अमृतलाल, सम्पतराज, रतनलाल, मिश्रीमल, कैलाश, महेन्द्र, राजेन्द्र, पंकज, नीरज, पुलकित, भुवनेश, दर्शन, गौरव करनोणी पारख परिवार हरसाणी वालों ने लिया।’
SHANKHESHWAR PARSHWANATH VILLAGE BEAUTY TEMPLES OF GUJARAT ANCIENT JAIN TIRTH
Shankheshwar Jain Temple is located in the center of in Shankheshwar town of Patan district, Gujarat, India. The temple is dedicated to Parshwanath and is an important place of pilgrimage for the followers of Jainism.
Besides this temple, there are the Agam Mandir, the temple of 108 Parshvanath and Padmavati, the Gurumandir, and other temples.
Shankeswar, sankeswar, shankheswar
WITH GAUTAM PARIVAAR DASAM GROUP SHANKHESWAR MUMBAI
SHANKHESWAR JAIN TEMPLE
SANKESHWAR 108 2017
SHANKHESWAR TIRTH
JAIN TEMPLES IN INDIA
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Khajuraho - Sculptures of Ancient India - The Temple of Love - Incredible India
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SHANKHESHWAR PARSHWANATH JAIN TIRTH MAIN DERASAR
CHARUP JAIN TIRTH
AGLOD JAIN TIRTH
CHARUP JAIN TIRTH
SHERISHA JAIN TIRTH
KAMDHENU COW SHANKHESHWAR
NAVKAR MANTRAS IN ALL LANGUAGES AT SHANKHESHWAR PARSHWANATH
108 PARSHWANATH BHAKTI VIHAR
MAHUDI JAIN TIRTH
BHOYANI JAIN TIRTH
UGHROJ JAIN TIRTH
BORIJ JAIN TIRTH [VISHWAMAITRI DHAM] GANDHINAGAR
TARANGA JAIN TIRTH
TEMPLES OF GUJARAT FULL COVERAGE
UPCOMING
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मांगीतुंगी जी विश्व हितंकर सातिशय चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान की आरती
आरती भक्ति नृत्य के साथ करते हुए भक्त गण अकलुज निवासी और मुम्बई के भक्त गण सभी ने हर्षोल्लास भक्ति भावनाओं से ओतप्रोत होकर आरती का आनंद लिया जय हो चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान की जय हो जय जिनेंद्र बंधुओं
Sadhvi Shashi Prabha Shree Ji Chaturmas Pravesh at Azimganj
Azimganj is a historical place in Murshidabad district, West Bengal, India. It is an old center of Oswal Jains. Azimganj is situated on the bank of river Ganges (Local name, Bhagirathi). There are many Jain temples and Dadabari at Azimganj.
Jain nun Sadhvi Shashi Prabha Shree Ji is principle disciple of Sadhvi Sajjan Shree Ji of Khartar Gachchha branch, Khartar Gachchha sect of Jains.
Jain saints (both Monks and nuns) travel bear foot continually round the year except four months of rainy season. These four months ( Shravana, Bhadrapada, Ashwina and Kartika of Indian lunar callendar) are called Chaturmasa. Jain saints stay at one place during these months only.
Chaturmasa of Sadhvi Shashi Prabha Shree Ji along with her three disciples Sadhvi Samyagdarshana Shreeji, Sadhvi Divyadarshana Shreeji, Sadhvi Shrutadarshana Shreeji, is fixed at Azimganj. These video shows ceremony of her entrance into Azimganj.
Jain Stavan - Tar Je Dubad Je Jivad Je તાર જે ડુબાડજે
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Tarje dubarje jain gujarati song
Tarje dubarje jeevarje k marje .... #jain_song #gujarati_jain_song
Aarti Parasnath Bhagwan | आरती श्री पारसनाथ भगवान | Aarti Parasnath | Jain Aarti
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Arial view of Shree Rajendra Dham (Rajasthan) near Nakodaji Mandir
Shoot Location: Shree Rajendra Dham, Balotra Rajathan
Drone: DJI Phantom 4.
Music by: Jalandhar by Kevin MacLeod is licensed under a Creative Commons Attribution license (
Source:
Artist:
Taarje Dubaad je jivad je... Sanjay Shah Jain Stavan
A 100% Faith on Adinath Bhagwan.. Never fails me.sung by Sanjay Shah.Music By Paresh Shah.Recorded At Paresh Music studio Andheri Mumbai.
Jain stavan status video - Saghdu tane sopi didhu parshwnath bhagwan re
Shree Neelwarn Parshwnath Dada Ki Jai Ho.
Jain Stavan - Saghdu Tane Sopi Didhu
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Jain Stavan 7 Manju P. Jain
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Kalusha ni pole Derasar Video part2
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