Ghat Shila Temple | Tulja Bhavani Temple | Small Trek | TULJAPUR
GHAT SHILA TEMPLE :
Ghat Shila Temple is an old rock temple dedicated to Lord Rama. It is believed that Lord Rama and his brother, Lakshmana, passed through this site, while searching for Goddess Sita. Lord Rama was directed by Tulja Bhavani Devi, standing on the rocks, towards Lanka, where King Ravana kept his wife, Sita.
TULJA BHAVANI TEMPLE :
Believed to be built somewhere in the 12th century, Tulja Bhavani Temple is an important Hindu pilgrimage center in Maharashtra. Besides, Tulja Bhavani is believed to be one of the ‘Shaktipeethas’ of Goddess Durga. Moreover, many royal families of Gujarat, Andhra Pradesh, Madhya Pradesh, and Karnataka are firm believers of Tulja Bhavani.
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तुळजापूरचा घाट - Ghatshila Tuljapur
This is zigzag structure road back side of Ghatshila, this ghat looking very nice in winter and monsoon season
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तुळजाभवानी मंदिर लाइव दर्शन तुळजापुर ( Tuljabhavani Temple Tuljapur)
महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी माँ तुलजाभवानी का महत्व महाराष्ट्र और देश काफी अनन्यसाधारण है तुलजाभवानी महाराष्ट्र के साडेतीन शक्तिपीठो में से एक पूरा शक्ति पीठ है,और भारत के ५१ शक्तिपीठ में से एक पूरा शक्तिपीठ है.तुलजापुर महाराष्ट्र में उस्मानाबाद से केवल २१ किमी और सोलापुर से ४० किमी की दूरी पर स्थित है.तुलजाभवानी मंदिर बालाघाट पहाड़ियों में एक बड़ी खाई में बसा है इस मंदिर का निर्माण १३ सदी में बनाने के प्रमाण मिलते है ये मंदिर पूरी तरह से हेमाड़पंथी स्थापत्य में बना है.मंदिर दो विभागों में विभाजित है जहा पोहचने के लिए ९० सिडिया उतारकर पहुंचना पड़ता है.पाहिले विभाग में कल्लोल और गोमुख कहा जाता है की यंहा नहाने से श्रद्धालु के सरे पाप धुल जाते है .गोमुख से निरंतर साफ़ सुत्रे पानी की धाराएं गिरती है.मुख्य मंदिर में भवानी माता की ग्रेनाइट अष्ट भुजा वाली बेहतही का ख़ूबसूरत मूर्ती है. छे हाथो में अलग अलग क्षेत्र है ओर एक हाथ में महिषासुर का सर पकड़ा है और दाहिने हाथ से त्रिशूल महिषासुर के छाती में भोगते हुवे दर्शाया गया है. पश्चिम द्वार को शिवजी दरवाजा कहा जाता है,आओर मन जाता है शिवजी महाराज इसी दरवाज़ह से माँ तुलजाभवानी का दर्शन करने के लिए एते थे ,ओर तुलजा भवानी से शिवाजी महाराज को प्रसन्ना होकर प्रसिद्ध भवानी तलवार दी थी. और ऐसी तलवार के डैम पर शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज्य की स्तापना की थी.
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A walk around the Tuljapur, India | Tuljapur Bhavani temple, 2017 | Part 1/2 | India Travel |
A walk around the Tuljapur city, India | Tuljapur Bhavani temple, 2017
Tulja Bhavani Temple is one of the oldest temple in Maharashtra. Lord Tuljabhavani Hindu Temple is located in Tuljapur.
The well-known temple, Tulja Bhavani Temple, is dedicated to the Hindu goddess Bhavani. The town has received much notice during past centuries, since the temple has always enjoyed a special association with the Bhonsale clan to which Chhatrapati Shivaji belonged. Goddess Bhavani was the family deity of the Bhonsale clan. As the Goddess Bhavani is the deity of many people from Maharashtra, Gujarat, Madhya Pradesh, Karnataka and Telangana, they come walking in during the Dasera Festival to worship the Goddess Bhavani. Every year after Navaratri, on the eve of Kojagiri pournima, many devotees cover long distances to reach the city. Huge crowds are drawn to the temple for worshipping the goddess Bhavani.
Tuljapur एक खूबसूरत स्पॉट, एक बार जरूर बनाएं घूमने का प्लान
महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले स्थित तुलजापुर एक खूबसूरत और राज्य का लोकप्रिय नगर है, जो अपने प्राचीन मंदिरों और अन्य संरचनाओं के लिए जाना जाता है। राज्य के ऐतिहासिक स्थल का हिस्सा होने के कारण यहां कई अद्भुत प्राचीन संरचनाओं व स्मारकों को देखा जा सकता है।
आप यहां सदियों पुराने मंदिरों से लेकर किले और गुफाएं भी देख सकते हैं। इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए तुलजापुर एक आदर्श स्थल है। अगर आप एक ऑफबीट ट्रैवलर हैं, तो महाराष्ट्र के इस खास स्थल की सैर का प्लान बना सकते हैं।
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Tuljabhavani Temple @Tuljapur Maharashtra State
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तुळजाभवानी दर्शन, तुळजापुर | Tuljabhavani Darshan, Tuljapur
महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित है तुलजापुर। एक ऐसा स्थान जहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज की कुलदेवी माँ तुलजा भवानी स्थापित हैं, जो आज भी महाराष्ट्र व अन्य राज्यों के कई निवासियों की कुलदेवी के रूप में प्रचलित हैं। तुलजा भवानी महाराष्ट्र के प्रमुख साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक है तथा भारत के प्रमुख इक्यावन शक्तिपीठ में से भी एक मानी जाती है। मान्यता है कि शिवाजी को खुद देवी माँ ने तलवार प्रदान की थी। अभी यह तलवार लंदन के संग्रहालय में रखी हुई है।
तुलजा भवानी मंदिर महाराष्ट्र के प्राचीन वनक्षेत्र में यमुनांचल पर्वत पर स्थित है इस मंदिर का स्थापत्य मूल रूप से हेमदपंथी शैली से प्रभावित है। इसमें प्रवेश करते ही दो विशालकाय महाद्वार नजर आते हैं। इनके बाद सबसे पहले कल्लोल तीर्थ स्थित है, जिसमें 108 तीर्थों के पवित्र जल का सम्मिश्रण है। इसमें उतरने के पश्चात थोड़ी ही दूरी पर गोमुख तीर्थ स्थित है, जहाँ जल तीव्र प्रवाह के साथ बहता है। तत्पश्चात सिद्धिविनायक भगवान का मंदिर स्थापित है। मान्यता के अनुसार तीर्थों में स्नान के पश्चात सर्वप्रथम सिद्धिविनायक का दर्शन करना चाहिए।
तत्पश्चात एक सुसज्जित द्वार में प्रवेश करने के पश्चात मुख्य कक्ष में माता की स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है।शालीग्राम पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा आठ हाथ वाली हैं, जो सिंह पर विराजमान हैं. देवी ने एक हाथ से उन्होंने दैत्य को पकड़े हुए हैं व दूसरे हाथ से दैत्य पर त्रिशूल से वार कर रही हैं माता के आठों हाथों में गदा, त्रिशूल, चक्र, धनुष आदि शस्त्र सुसज्जित हैं. गर्भगृह के पास ही एक चाँदी का पलंग स्थित है, जो माता की निद्रा के लिए हैं। इस पलंग के उलटी तरफ शिवलिंग स्थापित है, जिसे दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि माँ भवानी व शिव शंकर आमने-सामने बैठे हैं।
यहाँ पर स्थित चाँदी के छल्ले वाले स्तंभों के विषय में माना जाता है कि यदि आपके शरीर के किसी भी भाग में दर्द है, तो सात दिन लगातार इस छल्ले को छूने से वह दर्द समाप्त हो जाता है।हर साल हजारो भक्त विजयदशमी के बाद कोजागिरि पोर्निमा को तुलजा भवानी के दर्शन हेतु सोलापुर से तुलजापुर तक 46 किमी पैदल चलते जाते है। माँ तुलजा भवानी जिनका स्वरूप भक्तों को सुख एवं समृद्धि प्रदान करता है जिनके दर्शन मात्र से ही सभी कष्ट एवं कलेश दूर हो जाते हैं उस माँ के रूप वर्णन को धार्मिक ग्रंथों में विस्तार पूर्वक दर्शाया गया है.
माँ के इस प्रतिमा के समीप महर्षि मार्कंडेय महामुनि की प्रतिमा स्थापित है जो पुराण पढ़ने की मुद्रा मे है। इस प्रतिमा का वर्णन मार्कंडेय पुराण के दुर्गा सप्तशती नामक अध्याय मे उल्लेखित है। इस ग्रंथ की रचना स्वय महर्षि मार्कंडेय महामुनि ने की थी।इस प्रतिमा का वर्णन भगवत गीता मे भी है
Tuljapur is located in Osmanabad district of Maharashtra. A place where Chhatrapati Shivaji Maharaj's Kuldevi Mata Tulja Bhavani is established, which is still popular as Kuldevi of many residents of Maharashtra and other states. Tulja Bhavani is one of the main three Shaktipeeths of Maharashtra and is considered one of India's leading akwan Shaktipeeth. It is believed that Shivaji was given the sword by Goddess himself. This sword is now kept in the London Museum.
The Tulja Bhavani temple is situated on the Yamunanchal mountain in the ancient forest area of Maharashtra, the architecture of this temple is basically influenced by the hermit style. Two giant highways are seen as entering into it. After this the first place is Kallol shrine, in which there is a mixture of holy water of 108 shrines. After landing in it, the Gomukh Shrine is situated at a distance, where water flows with acute flow. Thereafter the temple of Siddhivinayak Lord is established. According to the belief, after the bath in the pilgrimages, the Siddhivinayak should first be seen.
After entering a well-equipped door, the idol of the mother is established in the main hall. This statue made of Sagittarius stone is eight-hand, which is sitting on the lion. Goddess is holding the monster with one hand and with the other hand the warrior is fighting with the trident. The eleven arms of Mada, Trident, Chakra, Dhanush etc. are equipped. A silver bed is located near the sanctuary, which is for the mother's sleep. Shivaling is set on the opposite side of this bed, which, from a distance, it appears that Maa Bhavani and Shiv Shankar are sitting face-to-face.
It is believed that if you have pain in any part of your body, then it will end the pain of touching the ring for seven days continuously.After thousands of devotees after Vijayadashami, Kojagiri To visit Tulja Bhavani to Parnima, it goes from Solapur to Tuljapur and walks 46 km on foot. Mother Tulja Bhavani, whose form gives happiness and prosperity to devotees, whose appearance and remorse only removes all the pain and suffering, the description of the form of that mother has been shown in detail in religious texts.
The statue of Maharshi Markandey Mahamuni, near this statue of Mother, is established, which is in the context of the Purana reading. The description of this statue is mentioned in the chapter titled Durga Saptashati of Markandeya Purana. This book was composed by Maharshi Markandey Mahamuni. This idol is also described in the Bhagavad Gita.
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Tulja Bhavani Temple Tuljapur Maharashtra By LcTravelers
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Tulja Bhavani Temple, Tuljapur, Maharashtra, India
Driving Distance From Mumbai
435 kms or 270.3 miles
Driving Time 8 hours, 42 minutes
Tuljabhavani Temple (Marathi: श्री क्षेत्र तुळजा भवानी देवस्थान) is a Hindu temple dedicated to the goddess Bhavani(Durga).It is located in Tuljapur in Osmanabad district of Maharashtra and is considered as one of the 51 Shakti Pithas. It is situated 45 km from Solapur.The temple was built in c. 12th century CE.
The second among the 'Shaktipeeths' is Tulja Bhavani of Tuljapur. It is the family deity of the Bhosale Royal family, the Yadavs and of countless numbers of families belonging to different castes. The great ruler & founder of the Maratha kingdom, Chhtrapati Shivaji Maharaj visited the temple as he was a prominent devotee of her, It is believed that the Goddess gifted him a sword - 'The Bhawani Talwar' - to succeed in his expeditions. The history of the temple has been mentioned in the Skanda Purana. LcTravelers
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Tulja Bhavani Temple Tuljapur Maharashtra.Part 2Kmnews
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तुळजापूर अक्कलकोट गाणगापूर देवदर्शन व्हिलॉग
मित्रांनो या विडिओ मध्ये आपण पहिल्यांदाच व्हिलॉग शूट केलेला असून आम्ही पुण्यापासून सोलापूर सोलापूर वरून तुळजापूर मग तुळजापूर वरून अक्कलकोट. अक्कलकोट ला मुक्काम करून सामी समर्थ समाधीस्थळाचे दर्शन घेऊन दुसऱ्या दिवशी सकाळी गाणगापूर ला दत्ताचे दर्शन घेतले. या सगळ्या ट्रीपमध्ये आम्ही कशाप्रकारे प्रवास केला आम्ही कुठे राहिलो तसेच या तीनही ठिकाणच्या मंदिरांचे फुटेज व माहिती या व्हिलॉग मध्ये दाखवायचा प्रयत्न केला आहे.
तुळजापूर - तुळजापूर हे महाराष्ट्रातील उस्मानाबाद जिल्ह्यातले शहर आहे. येथे तुळजाभवानीचे प्रसिद्ध मंदिर असून ते महाराष्ट्रातील देवीच्या साडेतीन पीठांपैकी एक असल्याची हिंदू भाविकांची श्रद्धा आहे. महाराष्ट्रातील हिंदू भाविकांमध्ये या देवीस विशेष महत्त्व असून नवरात्रात येथे मोठा उत्सव व भक्तांची गर्दी असते.नवरात्र महोत्सवात देशभरातून भवानीमातेचे भक्त मनोभावाने देवीची ज्योत पेटवून नेतात.
अक्कलकोट - अक्कलकोट हा भारताच्या महाराष्ट्र राज्यातील सोलापूर जिल्ह्याचा एक तालुका आहे. सोलापूर जिल्ह्यातील अक्कलकोट हे प्रसिद्ध देवस्थान आहे. स्वामी समर्थ यांचे मंदिर येथे असून अक्कलकोट शहर कर्नाटक राज्याच्या सीमेलगत आहे. सोलापूर जिल्ह्यात अक्कलकोट तालुक्याचे हे शहर तालुक्याचे ठिकाण आहे.
गाणगापूर - गाणगापूर हे कर्नाटकाच्या गुलबर्गा जिल्ह्यातील गाव आहे. अफझलपूर तालुक्यातील हे गाव दत्तात्रेयाच्या देवळासाठी प्रसिद्ध आहे. गाणगापूर भीमा नदी व अमरजा नदीच्या संगमावर वसलेले आहे.
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