Gol Gumbad - Bijapur - India
Gol Gumbaz (Kannada: ಗೋಲ ಗುಮ್ಮಟ) is the mausoleum of Mohammed Adil Shah (1627-57) of the Adil Shahi dynasty of Indian sultans, who ruled the Sultanate of Bijapur from 1490 to 1686.
Designer : Yaqut of Dabul
Completion date : 1659
The Dome is the second largest one in the world which is unsupported by any pillars.
This is one of the living example of Islamic Architecture.
About Mohammed Adil Shah
GOL GUMBAZ
Gol Gumbaz ( dôme hemispherique) est le mausolé de Muhammad Adil Shah II , septième sultan de Bijapur dans le Karnataka en Inde du sud.
Construit en 1659, le dôme hémisphérique d'un diamètre de 40 métres lui confére des propriétés accoustiques de réverbération particulières.
Prise de vue, montage et musique : Christian goupy
Autres réalisations sur christiangoupy.com
Journey of Murud Janjira | Nandale ( नांदले ) village | Nandale ( नांदले ) Dam | Singham Beach
Nandale is a small Village/hamlet in Murud Taluka in Raigad District of Maharashtra State, India. It comes under Nandale Panchayath. It belongs to Konkan region . It belongs to Konkan Division . It is located 50 KM towards South from District head quarters Alibag. 11 KM from Murud. 96 KM from State capital Mumbai
Murud is known for it widespread sandy beaches adorned with majestic forts and outlined by palms and coconut trees, creating a perfect holiday scenery.
Murud, in the Raigad district with resorts and natural beauty beckoning you, is the place to be for a relaxed, modest vacation, with sparkling golden beaches. Murud has adventure and spirituality, infused into its pristine landscapes. Apart from the world class beaches, there is the Murud Janjira Fort, Kasa Fort, Gol Gumbaz and a few others. The nearby hills of Murud-Janjira are home to a beautiful shrine dedicated to Lord Dattatreya.
Golconda Fort - गोलकोंडा - Hyderabad, Telangana
Golconda Fort, also known as Golkonda or Golla konda (shepherd's hill), a fort of Southern India and capital of the medieval sultanate of the Qutb Shahi dynasty (c.1518–1687), is situated 11 kilometres (6.8 mi) west of Hyderabad. It is also a tehsil of Hyderabad district, Telangana, India. The region is known for the mines that have produced some of the world's most famous gems, including the Koh-i-Noor, the Hope Diamond and the Nassak Diamond.
अजिंक्यतारा मुख्य राजवाडा Ajinkytara Fort
हिंदवी स्वरांज्य फाऊंडेशन गडकोट समीती ने घेतला, मराठ्यांच्या अभेद्य अश्या चौथी राजधानी सातारा चा किंल्ला अजिंक्यतारा. गडकोट समीती अध्यक्ष- दुर्गवेडा कृष्णा घाडगे यांनी अजिंक्यतारा चा आढावा घेतला व आजची किल्ल्याची बीकट अवस्था समोर आनली आहे.
थोडक्यात इतिहास:-
सातारचा किल्ला (अजिंक्यतारा) म्हणजे मराठ्यांची चौथी राजधानी. पहिली राजगड मग रायगड त्यानंतर जिंजी आणि चौथी अजिंक्यतारा. सातार्याचा किल्ला हा शिलाहार वंशातल्या दुसर्या भोजराजाने इ.स. ११९० मध्ये बांधला. पुढे हा किल्ला बहामनी सत्तेकडे आणि मग विजापूरच्या आदिलशहाकडे गेला. इ.स.१५८० मध्ये पहिल्या आदिलशहाची पत्नी चांदबिबी येथे कैदेत होती. शिवाजीच्या राज्याचा विस्तार होत असतांना २७ जुलै १६७३ मध्ये हा किल्ला शिवाजी महाराजांच्या हाती आला. या किल्ल्यावर शिवरायांना अंगी ज्वर आल्याने दोन महिने विश्रांती घ्यावी लागली. शिवाजीमहाराजांच्या मृत्यूनंतर १६८२ मध्ये औरंगजेब महाराष्ट्रात शिरला. इ.स. १६९९ मध्ये औरंगजेबाने सातार्याच्या दुर्गाला वेढा घातला. त्यावेळी गडावरचा किल्लेदार प्रयागजी प्रभू होते. १३ एप्रिल १७०० च्या पहाटे मुघलांनी सुरुंग लावण्यासाठी दोन भुयारे खणली आणि बत्ती देताच क्षणभरातच मंगळाईचा बुरूज आकाशात भिरकावला गेला. तटावरील काही मराठे दगावले तेवढ्यातच दुसरा स्फोट झाला. मोठा तट पुढे घुसणार्या मोगलांवर ढासळला व दीड हजार मुघल सैन्य मारले गेले. किल्ल्यावरील सर्व दाणागोटा व दारूगोळा संपला आणि २१ एप्रिल रोजी किल्ला सुभानजीने जिंकून घेतला. किल्ल्यावर मोगली निशाण फडकण्यास तब्बल साडेचार महिने लागले. किल्ल्याचे नामकरण आझमतारा झाले .ताराराणीच्या सैन्याने पुन्हा किल्ला जिंकला व त्याचे नामातंर अजिंक्यतारा केले., पण पुन्हा किल्ला मोगलांच्या स्वाधीन झाला. 1706 साली थोरले शाहु महाराज औरंगजेबाच्या कैदेतुन सुटले. व 1008 मधे हार्दिक किल्ला छञपती थोरले शाहु महाराज यांनी घेतला. व १७०८ मध्ये शाहूने फितवून किल्ला घेउन, स्वत:स राज्याभिषेक करून घेतला. मराठी साम्राज्याचा कारभार हाकताना छ.शाहूंनी सातारा शहराची स्थापना 1721 च्या सुमारास केली. व मराठा साम्राज्य हे अखंड हिंदुस्थान भर पसरवले. दुसर्या शाहूच्या निधनानंतर किल्ला ११ फेब्रुवारी १८१८ मध्ये इग्रजांकडे गेला.
Holna river captured on Drone on 27th Jan 2015
Holna River in Beed District of Maharashtra was desilted. This video shows the river bed status.
इस किले में दफन है मराठों का गुप्त इतिहास History of Bijapur Fort
पुणे के इस किले में दफन है मराठों का गुप्त इतिहास
देश की शानअगर आप भारत की संस्कृति, परम्परा, प्रौद्योगिकी, इतिहास को एक साथ देखना चाहते है तो पुणे आइए। महाराष्ट्र राज्य का सबसे बड़ा शहर पुणे हर सुख-सुविधा से भरा हुआ है। इस शहर को सदाचार का शहर भी कहते है।
पुणे को पहले पुणेवाड़ी के नाम से जाना जाता था। इस शहर को जमीन से फलक तक पहुंचाने में महान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज का बहुत बड़ा योगदान है। बाद में पेशवाओं ने पुणे को अपनी जागीर बना लिया उस समय पुणे भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक केंद्र हुआ करता था। ब्रिटिश शासन आने के बाद यह शहर मानसून कैपीटल कहलाने लगा। पुणे में यहां के पर्यटकों के लिए क्या है पुणे में ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की भरमार है। यहां का आगा खान पैलेस, शिंदे छतरी, और सिंहगढ़ का देहाती किला आकर्षक स्थल हैं। यह सभी स्थल अपने युग की दांस्ता बयां करते है।
महाराष्ट्र राज्य में मराठों का शासन रहा है और राज्य के अधिकतर किले इन्हीं से संबंधित हैं। महाराष्ट्र की पहाडियों में ही एक और खूबसूरत एवं शानदार किला स्थित है जिसका नाम है तोरणा किला।
तोरणा किला
माना जाता है कि यह किला 13 वीं शताब्दी में हिंदू भगवान शिव के अनुयायी शैव पंथ द्वारा निर्मित किया गया था। किले के प्रवेश द्वार के पास एक मेनघाई देवी मंदिर हैं , जिसे तुर्नाजी मंदिर कहा जाता है
तोरणा किला,जिसे प्रंचडगड के नाम से भी जाना जाता है, यह महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में स्थित एक बड़ा किला है। ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि 1643 में शिवाजी महाराज ने 16 साल की उम्र में मराठा साम्राज्य का केंद्र बनने वाला यह पहला किला था। पहाड़ी में समुद्र के स्तर से ऊपर 1,403 मीटर की ऊंचाई है, जिससे यह जिले में सबसे ज्यादा पहाड़ी-किला बना रहा है।
18 वीं शताब्दी में, शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी की हत्या के बाद मुगल साम्राज्य के मुगल सम्राट औरंगजेब ने इस किले का नियंत्रण प्राप्त किया, तब इस किले का नाम बदलकर “फतुल्गैब” रखा लेकिन उसके 4 साल बाद सरनोबत नागोजी कोकाटे ने इस किले पर चढ़ाई कर इस किले को फिर से मराठों के कब्जे में ले लिया।
इसलिए ये कहा जा सकता है मराठा साम्राज्य का उदय तोरना किले के आसपास ही हुआ है।
तोरणा किले के आकर्षण
1) बिनी दरवाजा:
आसपास के क्षेत्र का शानदार हवाई दृश्य बिनी दरवाजा का मुख्य आकर्षण है। यदि आप गांव वेल्हे से आ रहे हैं जो कि किला बिनी दरवाजा की तलहटी में स्थित है, आपके लिए मुख्य प्रवेश द्वार है।
2) हनुमान बांसियन:
कोठी दरवाजा के पूर्वी हिस्से में हनुमान गढ़ नामक एक मजबूत गढ़ है। यहां पर भगवान हनुमान की मूर्ति आपका ध्यान आकर्षित करेगी।
3) कोठी दरवाजा:
बिनी दरवाजा की सड़क आपको कोठी दरवाजा पर ले जाती है। यहां से ताड़नाजी मंदिर की ओर जा सकते हैं। आप इस मंदिर में देवी सोमाजई और देवी टोरेनाजी की खूबसूरत मूर्तियों को देख रहे हैं।
4) बुधला माची:
तोरणा किला पर एक और आकर्षण बुधला माची है। यदि ध्यान से देखा जाए तो इस माची की संरचना एक उल्लू की तरह दिखती है। संजीवती माची का रास्ता अलू दारवाज़ा के माध्यम से जाता है।
5) भेल गढ़: ज़ुंगार माची:
तोरणा गढ़ से थोड़ा आगे, आप भेल गढ़ में पहुंचते हैं। प्रसिद्ध ज़ुंजार माची भेल गढ़ के पूर्वी भाग में स्थित है।
कैसे पहुंचे तोरणा किला
वायु मार्ग द्वारा : हवाई यात्रा द्वारा तोरणा किला जाना चाहते हैं तो पुणे एयरपोर्ट पर उतरें और फिर यहां से तोरणा किले के लिए कैब बुक करें। एयरपोर्ट से किले की दूरी महज़ 60 किमी है और इस सफर में लगभग 1 घंटा 30 मिनट का समय लग सकता है।
रेल मार्ग द्वारा : निकटतम रेलवे स्टेशन पुणे में स्थित है जोकि 52 किमी दूर है। स्टेशन पहुंचने के बाद आपको तोरना किले के लिए टैक्सी करनी पड़ेगी।
सड़क मार्ग द्वारा : तोरना किले का क्षेत्र आसपास के शहरों और गांवों से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है और इसलिए आप सड़क मार्ग से सीधा तोरना किले पहुंच सकते हैं। For More Videos Visit the given link...
गोलघुमट, कर्नाटक golghumat,karnatak places
Gol Gumbaz is the mausoleum of king Mohammed Adil Shah, Sultan of Bijapur. The tomb, located in Bijapur, Karnataka in India, was completed in 1656 by the architect Yaqut of Dabul.
Landa Kasab Tope, Bijapur
This cannon is probably the largest in Karnataka.
Approximate dimensions-
Length = 22 feet
Diameter = 4.5 feet
Bore = 1.75 feet
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Incredible Almatti Dam - Places to visit - Journey To North Karnataka
Almatti Dam - Bijapur District is built over Krishna river.Its one of the best places to visit in north Karnataka. Amazing Picnic spot.
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This dam is surrounded with multiple gardens - Krishna Garden, Luv Kush Garden,Mughal Garden,Rock Garden, French Garden, Italian Garden, close view of krishna river through all these park.Alamatti dam photos.
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World's Largest Medieval Cannon - Malik-e-Maidan - Bijapur
Malik-e Maidan (monarch of the plains or Lord of the Battlefield) set up by Muhammad Adil Shah is a huge cannon located on the top of the tower. It is said to be the largest weapon in medieval times.
The great Muzzle has been fashioned into the shape of a lion or a dragon with open jaws, and between the sharp curved fangs is a small elephant on both sides of the muzzle. The small ears have been drilled into holes to attach tackles. It is a cast of alloy of copper, iron and tin and when struck sounds like a bell.
The outside surface is dark green and polished like glass and adorned with inscriptions in Persian and Arabic. Muhammad-bin-Hasan Rumi, a Turkish officer in the service of the king of Ahmednagar, cast his gun in 1549, as can be seen from an inscription on the gun.
In 1686 Aurangzeb has also recorded an inscription on the gun saying that he subdued the Malik-e-Maidan. When the fort of Parnadah where this gun was installed, fell in to hands of Bijapur, General Murari Pandit brought the gun to Bijapur as a trophy of war and set it up on the present bastion.
It was set up here with the help of 10 elephants, 400 oxen and hundreds of soldiers. It weighs 55 tons, is 8.5 metres long and 1.5 metres in diameter. To avoid going deaf, the gunner had to submerge his head in water before firing.
PURANA QILA Oldest Fort in Delhi India 4K
Purana Qila (Old Fort) is one of the oldest forts in Delhi. The present citadel at Purana Qila was believed to have been built under Sher Shah Suri. But according to ASI's Vasant Swarnkar, the excavations — the last one was in 2013-14 — point to traces from the 3rd century BC, the pre-Mauryan period.
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Aisi Surang Aajtak nahin dekhi hogi
Gorakhgad Trek
Gorakhgad is a fort that can be visited in a day's time, quite reachable from Mumbai and Pune. Though the history of the fort is not known, Gorakhgad attracts trekkers due to its thrilling experience of climbing vertical rock wall and breath-taking views. This region of Gorakhgad and Machchindragad has a dense forest cover.
This fort is named after Saint Gorakhnath who is said to have performed penance here. No major battle is recorded to have taken place here. The rock-cut caves and water cisterns here indicate that it was used to look over the nearby region and as a stopover station during the journey to Junnar via Naneghat. Though small in size, there is enough water and accommodation place.
Two cisterns can be seen just after emerging through the entrance and the path climbs up further ahead. Further, a small step-way descends down to the large caves that are carved out in the main rock of the pinnacle. Nature’s grandeur can be appreciated here with the magnificent view of two large frangipani trees leaning over the valley and the excellent sight of Machchindragad. There are in total fourteen cisterns on the fort, however, only the three tanks near to the cave have potable water.
The trek to Gorakhgad is not complete without reaching the top of the pinnacle. Facing the cave, proceed ahead towards your right. Just after a short walk some steps can be seen on your left, which lead to the top. The climb along this stepped way in the rock needs to be carried out with utmost care.
The top of the fort is very small. There is a small Mahadeo temple with Nandi. A wide region ranging from Siddhagad and Machchindragad up to Ahupe Ghat and Jeevdhan in the Naneghat area towards north can be seen from the fort-top.
Massive Cannon at Gulburga Fort
This wrought iron cannon measures close to 29 feet. To know more about Gulburga fort, visit
अद्भुत गोलघूमट विजापूर येथे बेळंकी शाळेची सहल golghumat
golghumat inside
Gol Ghumat
Historical Bidar Fort in Karnataka | Best one day tour | HD Video
Bidar Fort is situated in Bidar city of the northern plateau of Karnataka, India. The fort, the city and the district are all affixed with the name Bidar. Sultan Alla-Ud Din Bahman of the Bahmanid Dynasty shifted his capital from Gulbarga to Bidar in 1427 and built his fort along with a number of Islamic monuments. There are over 30 monuments inside Bidar fort.
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How to go:- From Hyderabad, go to by Train ( Purna Passenger - (8-10AM ) from Begumpet to Bidar. In Return Journey, take Bus from Naya Kaman in Bidar to Hyderabad. ( Rs.133/-) There are number of Buses from Bidar to Hyderabad.
Attention - Take water, milk and food with you. There are no any food courts at Fort.
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DARGAH IN MURUD
DARGAH IN MURUD
Mallik-e-Maidan Tope, Bijapur
Mallik-e-Maidan Tope is a five metal alloy cannon on the western wall of Bijapur fort.
Best History Project Raigad Fort by 10 year old
Made the Raigad Fort with the help of my mother, you will need left over thermocol box, jute bag and mud to cover it, toys, pair of scissors, paint and mustard seeds for the greenery