Rajasthan Sirohi Jain Exclusive !!Bawanwaadji New Dharamshala !! Review by Jigyesh Mehta
Rajasthan Sirohi Jain Exclusive !!Bawanwaadji New Dharamshala !! Review by Jigyesh Mehta
Main Dharamshala is different
oldest jain temple in sirohi rajasthan (Aadeshwar dada Jain Temple)
Jain Temple - Shri aadeshwar dev (reshubh dev) Mandir at Sirohi in Rajasthan near Mt. Abu, Gujarat - Rajasthan border. This oldest and beautiful marble temple is surrounded by Aravali Mountain Range. The temple is popularly known as aadeshwar dada temple. located in raj palace in sirohi
Shree Pavapuri Tirth Dham Sirohi Rajasthan
Shree Pavapuri Tirth Dham is situated at Sirohi district of Rajasthan. This campus is developed by K. P. Sanghvi Group and it comprises a Jain Tirth (Temple complex) and Jeev Raksha Kendra (Animal Welfare Center).
Four Dharamshalas: (1) Yatrik Bhavan (2) ShantiVishram Gruh (3) Kanima Dharmashala (4) Goyanaka VIP Dharmashala
- Paushadhshala for men & women
- Bhojanshala
- Sangh Bhawan
- Museums and Bal Vatika (playground) for kids
Timings:
- Dharamshala and Pedi are open 24 hours a day
- Bhojanshala:
Summer
Winter
Breakfast
Navkarsi (Sunrise) to 9 AM
Navkarsi (Sunrise) to 9 AM
Lunch
11:00 AM to 1:00 PM
11:30 AM to 1:30 PM
Dinner
5 PM to 15 minutes to Sunset
5 PM to 15 minutes to Sunset
The temple complex includes four Dharamshalas for the devotees and residential quarters for the venerated monks and nuns who have dedicated their lives to follow the path of religion.
A guest house equipped with all the modern amenities has been constructed to facilitate lodging and boarding of the devotees visiting Pavapuri. The guest houses include a Yatrik Bhavan, Shanti Visharam Gruh, Kanima Dharmashala, Goyanka Dharmashala
The facilities also include wheel chairs for the aged, playground with swings for children. The Trust has taken utmost care in ensuring that the devotees return home with pleasant memories of their sacred and religious visit to the temple.
Address: Krishnaganj, Kandla - Delhi Highway, National Highway No.8, Dist. Sirohi, Rajasthan State Highway 27, Pavapuri, 307001
RAJASTHAN Forts, Lakes, Temples, Havelis, Desert and Aravali hills India in 4K Ultra HD
Rajasthan attracted a total of 45.9 million domestic and 1.6 million foreign tourists in 2017, which is the tenth highest in terms of domestic visitors and fifth highest in foreign tourists. The tourism industry in Rajasthan is growing effectively each year and is becoming one of the major income sources for the state government. Rajasthan is home to attractions for domestic and foreign travellers, including the forts and palaces of Jaipur, lakes of Udaipur, Temples of Rajsamand and Pali, sand dunes of Jaisalmer and Bikaner, Havelis of Mandawa and Fatehpur, Rajasthan, wildlife of Sawai Madhopur, the scenic beauty of Mount Abu, tribes of Dungarpur and Banswara, and the cattle fair of Pushkar.
Rajasthan is known for its custom culture colours, majestic forts, and palaces, folk dances and music, local festivals, local food, sand dunes, carved temples, beautiful havelis. Rajasthan's Jaipur Jantar Mantar, Mehrangarh Fort and Stepwell of Jodhpur, Dilwara Temples, Chittor Fort, Lake Palace, miniature paintings in Bundi, and numerous city palaces and havelis are part of the architectural heritage of India. Jaipur, the Pink City, is noted for the ancient houses made of a type of sandstone dominated by a pink hue. In Jodhpur, maximum houses are painted blue. At Ajmer, there is white marble Bara-dari on the Anasagar lake and Soniji Ki Nasiyan. Jain Temples dot Rajasthan from north to south and east to west. Dilwara Temples of Mount Abu, Shrinathji Temple of Nathdwara, Ranakpur Jain temple dedicated to Lord Adinath in Pali District, Jain temples in the fort complexes of Chittor, Jaisalmer and Kumbhalgarh, Lodurva Jain temples, Mirpur Jain Temple of Sirohi, Sarun Mata Temple at Kotputli, Bhandasar and Karni Mata Temple of Bikaner and Mandore of Jodhpur are some of the best examples. Keoladeo National Park, Ranthambore National Park, Sariska Tiger Reserve, Tal Chhapar Sanctuary, are wildlife attractions of Rajasthan. Mewar festival of Udaipur, Teej festival and Gangaur festival in Jaipur, Desert festival of Jodhpur, Brij Holi of Bharatpur, Matsya festival of Alwar, Kite festival of Jodhpur, Kolayat fair in Bikaner are some of the most popular fairs and festivals of Rajasthan.
Source from : wikipedia
Eastminster by Kevin MacLeod is licensed under a Creative Commons Attribution licence (
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Dark Times by Kevin MacLeod is licensed under a Creative Commons Attribution licence (
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Canon in D Major by Kevin MacLeod is licensed under a Creative Commons Attribution licence (
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The Voyage by Audionautix is licensed under a Creative Commons Attribution licence (
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Healing by Kevin MacLeod is licensed under a Creative Commons Attribution licence (
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Rajasthan Jain Tirth | सिरोही तीर्थ (Part -1) | Tirth Sparsh | एक ही गली में 14 जैन मंदिर |
एक ही गली में जहाँ 14 मंदिर हैं, ऐसा अर्ध शत्रुंजय समान तीर्थ... सिरोही (Part-1)
Special Thanks To - स्व. श्रीमती बदामीबाई बाबुलजी कास्वा परमार,
हितेश-सुनीता (पौत्र-पौत्रवधु)
यशवंत, दीपक, निहाल, चिंतन, चेतन (पौत्र)
प्रियंका, काव्या (पौत्री)
प्रतीक, भावेश (दोइत्र)
डिंपल, करिश्मा, दिव्या (दोईत्री)
निकिता-कुशालजी (पौत्री जंवाई)
सिरोही चेन्नई
Cinematography & Editing by - Paras Maru, Sachit Shah
Aerial Cinematography by - Paras Maru
Music - Hardik Pasad
Location -
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Devnagri ke Devdarshan part- 44 shri samavsaran jain mandir bamanvadji , journey of heritase Templs
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट- 44 श्री समवसरण जैन मंदिर बामणवाडजी
सेठश्री कल्याणजी परमानंदजी पेढी , सिरोही द्वारा संचालित बामणवाडजी के केम्पस, पहाड़ी आदि पर निर्मित अलग-अलग मंदिर बहुत आकर्षक है, जिससे से श्रीमहावीर स्वामीजी के जिवितकाल की मूर्ति वाला मुख्य मंदिर का वीडियो देवदर्शन पार्ट -37 के रूप मे पहले ही भेजा गया है। अब मुख्य मंदिर के पास में बना तीन मंजिला समवसरण मॉडल मंदिर की बनावट, समवसरण का इतिहास , तीनो मंजिल मे 23वे तिर्थकर पार्श्वनाथ भगवान की चौमुखजी वाली बड़ी बड़ी मूर्तिया (चारो दिशा मे अलग-अलग मूर्तिया), मंदिर के अंदर की चित्रकारी- पूरे मंदिरजी की शिल्पकारीता- कलाकृतिया इत्यादि सब देखने जैसी है। उसे हम आप तक पहुंचाने कोशिश कर रहे है।
तीन मंजिले इस मंदिर के प्रत्येक गंभारे (गर्भा ग्रह) अंदर का भाग देखने और दर्शन- पुजा करने पर हम इतने भाव- विभोर- आनंद से ओत-प्रोत हो जाते है, जिसकी कल्पना करना- उसको दर्शाना हमारे बस की बात नही है। वहां का नजारा और परमआनंद की प्राप्ति यहां आकर ही महसूस की जा सकती है।
यह मंदिर समवसरण का एक मॉडल मात्र है। वास्तविक समवसरण तो बहुत बडा एक पवेलियन ऊंचे सिहासन के साथ बना होता है। जिसके चारो ओर बैठने की पूरी व्यवस्था होती है और उसके मध्य भाग मे सबसे ऊपर बैठकर जीवित काल मे तीर्थंकर स्वयं अपने अनुभव, ज्ञान, प्रप्तियो को अंतिम देशना के रूप मे सबको प्रतिबोधित करते यानी बाटते है। उसके श्रमण (सुनने) के लिए चारो ओर जगत के सारे राजा- महाराजा- प्रजा- जीव- जंतु इत्यादि सब अपनी-अपनी हेसियत एवं स्थान अनुसार बैठते और अपनी- अपनी भाषा मे तीर्थंकर की देशना समझकर ग्रहण करते है।
उस वक्त के समवसरण बहुत ही उच्च स्तरीय आर्किटेक्ट से बनाये जाते थे, जिसमे हरेक एंगल से देशना देने वाले तीर्थंकर और सुनने वाले श्रमण- श्रमणीया एक दूसरे को सीधा देख व सुन सकते थे। यह समवसरण सभी तीर्थंकरो की अंतिम देशनाओ के लिए बनाये- सजाये जाते थे।
जैनिजम् के हिसाब से बामनवाडजी तीर्थ श्रीमहावीर स्वामीजी के जीवितकाल के विहार- विचरण की भूमि रही है, जीवित काल की मूर्ति वाला मुलनायक मंदिर, उसी के पास देशना वाला समवसरण का मॉडल मंदिर, जिसमे श्रीपार्श्वनाथ भगवान की सारी मूर्तिया विराजित है, क्योंकि श्रीमहावीर स्वामीजी (24वे तीर्थंकर) के जीवितकाल पहले श्रीपार्श्वनाथ भगवान 23 वे तीर्थंकर है।
इस पुण्य भूमि पर श्रीमहावीर स्वामीजी के जीवित काल मे एक अबोध ग्वाले द्वारा कान मे लकड़ी की नुकुली किल/ शूल डालने के दृष्टांत का मोडल मंदिर भी है। जिसका दृष्टांत ये है कि जब भगवान महावीर स्वामी ध्यान मुद्रा मे खडे थे तब ध्यान मुद्रा भाव के कारण बार बार पूछने वाले एक गवाले को जवाब नही मिला, तो ग्वाले ने क्रोध मे आकर श्री महावीरजी के दोनो कानो मे नुकुली लकड़ी डाल दी। इस पर भी करुणामय श्रीमहावीर टस से मस नही हुए और अबोद्ध ग्वाले के लिए माफी भाव रखकर उसका भी कल्याण किया। बामनवाडजी के परकोटे मे कान के किले वाला मॉडल मंदिर एक शिला- चट्टान पर बना हुआ है।
यहा 2610 वर्ष पुरानी श्रीमहावीर की मूर्ति मूलनायक के रूप मे विराजमान है, ऐसे ही वहां शिखरबंद्ध श्रीमहादेवजी एवं माताजी के मंदिर भी है। ये सब इस मंदिरजी की विशेषताऐ है।
यहाँ सुंदरतम धर्मशाला, भोजनशाला और व्यवस्था संचालन के लिए कार्यालय के साथ सेवको, पुजारियों और कार्यकर्ताओ की टीम है ।
आज हम इस मंदिर के विहंगम नजारे को आप तक भेजकर आनंद और धन्य महसूस कर रहे है।
हम परमात्मा को किसी भी रुप मे भजे, किसी भी नाम से जाप करे हमको आनंद ही मिलता है।
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 44 समवसरण जैन मंदिर बामणवाडजी को एकबार आप जरूर देखे।
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राजेन्द्र सिंह नरुका , Sirohi Temples
etv rajasthan krishanaganj sirohi ranbakura ransod mailagod mirpur
Rajasthan Jain Tirth | गौड़ी पार्श्वनाथ (मोहब्बत नगर) जैन तीर्थ | Tirth Sparsh | Suresh Bhai |
एक ही परिसर में पंच तीर्थी यात्रा का लाभ... गौड़ी पार्श्वनाथ (मोहब्बत नगर)
Special Thanks To - श्री नीव नेहाली, राजीवजी सेठिया, रीत नेहाली, राजीवजी सेठिया, लाखनपुर कच्छ - नागपुर
Cinematography & Editing by - Paras Maru, Sachit Shah
Aerial Cinematography by - Paras Maru
Music - Hardik Pasad
Location -
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देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 274 श्री भुवनेश्वर महादेव जी का मंदिर , गाँव - मीरपुर सिरोही राजस्थान
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 274 श्री भुवनेश्वर महादेवजी का प्राचीन मंदिर , मीरपुर जिला सिरोही राजस्थान
श्री भुवनेश्वर महादेव मंदिर मीरपुर गांव का प्राचीन मंदिर है लेकिन मंदिर के नाम पर एक चबुतरा और पेड के नीचे विराजमान श्री भुवनेश्वर महादेव जी , पास मे एक अतिप्राचीन बावडी जो मिट्टी से भर चुकी और सामने एक चबूतरे पर 1667 ई. की एक घोडे पर सवार श्री मेहराब बाबा की प्रतिमा और आप पाप आसपास रखी हुई अनेक प्रतिमाएं जो कुछ कहना चाहती है ।
श्री नंदेश्वरी माताजी के पुजारी श्री रुपाराम देवासी ने बताया कि इस मंदिर के साथ कई कहानियां जुड़ी हुई है । यह मंदिर श्री नंदेश्वरी माताजी की पहाड़ी के बिल्कुल सीध में सिरणवा की तलहटी में मीरपुर के पास बना हुआ है ।
श्री रुपाराम जी ने बताया कि इस मंदिर की कहानी हजार साल से पुरानी बताई जाती है और कई इतिहास इस मंदिर से जुड़े हुए हैं वर्तमान का मीरपुर कभी वीरनपुर नगर हुआ करता था लेकिन समय के साथ वीरनपुर नगर से हमीरगढ़ बना , हमीरगढ़ से हमीरपुर बना और हमीरपुर से ह हटा और फिर मीरपुर रह गया ।
हमारा इस मंदिर को दिखाने का विशेष अभिप्राय है क्योंकि यहां कोइ दैवीय शक्ति है जिसका प्रभाव अनुभव होता है ।
कुछ समय पहले श्री वजेपुरी जी महाराज गाड़ी में मूर्तियों को भरकर का काछोली गांव ले जा रहे थे तब इस जगह पर पिकअप अचानक रुक जाती है , गाड़ी शुरू नहीं होती और फिर श्री वजेपुरी जी महाराज ने श्री यहां के पुजारी श्री रूपा राम जी रेबारी से संपर्क किया और श्री माता जी और श्री हनुमान जी की मूर्ति माताजी की मूर्तियों को श्री नंदेश्वरी माताजी की सीढ़ियों के पास उतरवा दी । फिर गाड़ी स्टार्ट की लेकिन फिर गाड़ी यहां रुक गई और लाख कोशिशों के बाद जब गाड़ी यहां से नहीं सरकी तो आखिरकार मूर्तियों को यहां उतारना पड़ा ।
मूर्तियों को यहां उतारने के बाद श्री बजेपुरी जी महाराज ने यहां भजन , सत्संग , प्रसादी और कई तरह की पाठ पूजा करवाई ।
इसके बाद फिर दो पिकअप छोटी बड़ी मूर्तियां मंगवाई गई और फिर वही घटना घटित हुई कि इस क्षेत्र में आते ही वह गाड़ी फिर बंद हो गई फिर बहुत कोशिश के बाद जब गाड़ी नहीं सरकी तो दो पिकअप की सारी मूर्तियां यहां पर और थोड़ा सा आगे उतार दी । इसके बाद श्री वजेपुरी जी ने यहां पर सात मेलों का आयोजन करवाया , महाप्रसादी हुई ।
हमारा अभिप्राय है की ऐसी कौन सी शक्ति रही होगी जिन्होंने गाड़ी को लाख कोशिशों के बावजूद भी आगे नहीं जाने दिया और तीन गाडी मूर्तियां यहां उतारनी पडी ?
इस मंदिर के बारे में श्री रूपा राम जी देवासी ने बताया वर्तमान में यहां जंगल दिखाई देता है यहां कभी नगर था और यहां 1667 इसका एक श्री मेहराब बाबा जी की मूर्ति और पुरानी बावड़ी यहां के इतिहास को बयां करती है ।
आबू और सिरणवा का क्षेत्र चमत्कारों से भरा हुआ है ।
राजेन्द्र सिंह नरुका ' आनंद '
Sirohi Temples
Devnagri ke devdarshan part - 74 shri Godi Pashrvanath bhagwan mandir , mohabbat nagar Pilgrimage
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 74 श्री गौड़ी पार्श्वनाथ भगवान मंदिर मोहब्बतनगर नगर
शांत और एकांत स्थान में यह मंदिर बना हुआ है । बताते हैं कि यह 500 साल पुराना मंदिर है और दूसरे मंदिरों की तरह यहां भी लगातार काम चलता रहता है । पूरा मंदिर संगमरमर से बना हुआ है और इस मंदिर की कलाकृति बहुत अद्भुत है ।
इस प्राचीन मंदिर की व्यवस्था श्री गोडी पार्श्वनाथ तीर्थ कमेटी मोहब्बतनगर करता है ।
इस मंदिर की खूबसूरती यहां की शिल्पकारी , चित्रकारी , कला कृति और सुंदर व्यवस्था है ।
श्री गोडी पार्श्वनाथ भगवान , श्री आदेश्वर भगवान , श्री वासु पूज्य भगवान , श्री पारसयक्ष जी , श्री गणेश जी की , श्री पद्मावती देवी सुंदर तस्वीर यहां के मुख्य मंदिर में है ।
मंदिर के परिक्रमा मार्ग में भी कई सुंदर पट हैं । मुख्य मंदिर के ऊपर भी एक मंदिर बना हुआ है जहां श्री सहस्त्र नाथजी की भव्य प्रतिमा है इनके पास में श्री भगवान महावीर स्वामी की बहुत सुंदर प्रतिमा है ।
ये तस्वीर हमारे हृदय में बसनी चाहिए , मन की गहराइयों में उतरनी चाहिए और जिस दिन यह तस्वीर हमारे मन की गहराइयों में उतर जाएगी उस दिन हमारा जीवन रूपांतरित हो जाएगा जो जीवन की सबसे बड़ी घटना होगी ।
जीवन का मकसद हमारा आध्यात्मिक विकास होना चाहिए । छोटे और क्षणभंगुर जीवन में करने के लिए अनेक कार्य है , मन की भी अनंत दौड़ है और उसमें यह तय कर पाना बहुत कठिन है कि हम को किस कार्य को प्राथमिकता देनी चाहिए । लेकिन परमात्मा की कृपा से अगर हम इस आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़ते हैं तो यह हमारे जीवन की उपलब्धियों में आता है ।
देवनगरी के देवदर्शन यात्रा का मकसद यह है कि हम परमात्मा के अनेक नाम , रुप और गुणों का इस वाणी से गुणगान करें । हम मंदिरों में चलकर उनके दर्शन करके नेत्रों को पवित्र करें ।
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 74 श्री गोडी पार्श्वनाथ मंदिर मोहब्बत नगर को इस वीडियो मे जरूर देखिए और पूरी सीरीज देखने के लिए Sirohi Temples चैनल को Subscribe करें ।
राजेन्द्र सिंह नरुका ' आनंद ' Sirohi Temples
Historic Temples in Old Mirpur city
We all friends visited old mirpur.There were cited three hindu temple's.Among them was the condition.which is the biggest of them.
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चर्चा सिरोही के चौमुखा जैन मंदिर की- Shree Pavapuri Tirth Dham- Shakti Rajasthan
राजस्थान में जैन मंदिर निर्माण की परंपरा हजारों साल पुरानी है। प्रदेश के कुछ मंदिर तो 3000 साल से भी पुराने हैं। ये मंदिर चाहे नाकोड़ा के हो चाहे रणकपुर, देलवाड़ा, ऋषभदेव या कहीं और के। जगह-जगह मौजूद इन मंदिरों का सांस्कृतिक वैभव देखते ही बनता है। ऐसा ही एक मंदिर है सिरोही का चैमुखा जैन मंदिर। पेश है चौमुखा मंदिर की कहानी ‘शक्ति राजस्थान‘ की जुबानी -
Rajasthan Jain Tirth Korta | कोरटा प्राचीन जैन तीर्थ | Tirth Sparsh | Suresh Bhai |
हिल स्टेशन की सुन्दरता भी जहां फीकी पड़े ऐसा मनोहर तीर्थ... कोरटा तीर्थ | Tirth Sparsh | Rajasthan Jain Tirth Korta |
आशीर्वाद प्रदाता - जिनशासन के समस्त साधु-साध्वी भगवंत
Special Thanks To - स्व. श्रीमती उल्हासीबाई तेजराजजी पालरेचा की पावन स्मृति में
अरविन्द-नीता, अनिल-मीना, विनोद-अनीता, जितेन्द्र-सिंपल, जयंतीलाल-कोमल, सुमित-प्रतिज्ञा, रोहित-नेहा, मोक्ष, रिषभ, चिंतन, भव्य, तनिष, एकता, प्रणिता, साक्षी, अंजली, धीर पालरेचा परिवार - कोरटा (राज.) हाल पुणे
Cinematography & Editing by - Paras Maru, Sachit Shah
Aerial Cinematography by - Paras Maru
Music - Hardik Pasad
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A Trip To Bherutarak Tirth Dhaam l संघवी भैरूतारक धाम l Sirohi Rajasthan l Must Visit
A Trip to Bherutarak Tirth Dhaam l संघवी भैरूतारक धाम l Sirohi, Rajasthan
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Jain Tirth | Mirpur, Rajasthan | Hamirpura Parshwanath | 108 Parshwanath Jain Tirth
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Rajasthan Jain Tirth Lotana | लोटाणा प्राचीन जैन तीर्थ | Tirth Sparsh | Suresh Bhai |
एक समय के शत्रुंजय के मूलनायक भगवान...लोटाणा तीर्थ | Tirth Sparsh | Rajasthan Jain Tirth Lotana |
आशीर्वाद प्रदाता - जिनशासन के समस्त साधु-साध्वी भगवंत
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Ranakpur Temple || Pali || Rajasthan || Jain Temple || City Explorio
Ranakpur Temple, Rajasthan: Ranakpur is a village located near sadri town in the pali district of Rajasthan and is widely known for its jain temple which is said to be the most spectacular of all the jain temples. The temple is made of white marble and honors Adinath, the first tirthankar and founder of the jain religion. According to the history accounts, the construction was started by a local jain business person named as ‘Dharma Shah’. Talking about the architecture of the temple, it has the impressions of maru gujara architectural style and also shows rajasthani craftmen of by-gone era. Also, the stone carving of the temple is based on the ancient mirpur temple.
Thank You So Much By : City Explorio
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Mutton Fillet | Noya Bazar Goat Meat Processing
Mutton Fillet | Noya Bazar Goat Meat Processing