Chor Gumbad & Shah Ibrahim Tomb Narnaul || Haryana ||
हैलो दोस्तों,
आज मैं आपको नारनौल कि प्राचीन ऐतिहासिक इमारतों के बारे में जानकारी दे रहा हूं।
यह ऐतिहासिक इमारत जमाल खान नामक एक अफगान द्वारा बनवाई गई थी। इतिहास के अनुसार इस इमारत को फिरोजशाह तुगलक के समय में बनवाया गया था। इसकी वास्तुकला और निर्माण शैली को देखकर भी यही अंदाजा होता है कि यह इमारत तुगलको के शासनकाल में बनी होगी। लेकिन इसके निर्माण का सही समय ज्ञात नहीं है। इस एक कक्षीय दिखाई देने वाली इमारत के चारों कोनों पर एक एक मीनार बनी हुई है। बाहर से देखने में यह इमारत दो मंजिला प्रतीत होती है। इस इमारत को चकोर प्रणाली द्वारा बनाया गया है। यह इमारत देखने में कुछ-कुछ पुरानी लोक कथाओं के खुफिया घर जैसी दिखाई देती है। ऐसा कहा जाता है किसी समय इस स्थान का इस्तेमाल चोरों द्वारा छुपने के लिए किया जाता था। कुछ चोर चोरी करने के बाद अक्सर यहां आकर छुप जाते थे। इसकी खुफिया बनावट और वास्तु भूलभुलैया की तरह होने के कारण चोरों को ढूंढ पाना असंभव हो जाता था। लंबे समय तक इस इमारत का इस्तेमाल चोरों द्वारा करने के कारण इस इमारत का नाम चोर गुंबद पड़ गया। अब यह स्थान नारनौल का पर्यटन स्थल बन गया है और सरकार ने इसके चारों ओर उद्यान का निर्माण किया गया है।
यह साह अब्राहिम का मकबरा है।15वीं शताब्दी के नारनौल मुगलों के हाथों से निकल कर सुर अफगानों के नियंत्रण में आ गया। सबसे पहले शेरशाह सूरी के दादा इब्राहिम खान यहां आए इब्राहिम शूर की मौत के बाद उसका बेटा और शेरशाह का पिता हसन खान नारनौल का जागीदार बना। यह खूबसूरत मकबरा शेरशाह सूरी ने शाह इब्राहिम खान की याद में बनवाया था। शाह इब्राहिम खान रिश्ते में शेरशाह सूरी का दादा था। शेरशाह सूरी ने अपने दादा साह इब्राहिम खान को श्रद्धांजलि देने के लिए इस खूबसूरत मकबरे का निर्माण करवाया था। सन 1538 से 1545 ईसवी के बीच में किया गया था। शाह इब्राहिम खान लोदी शासकों की अदालत में एक अधिकारी थे। इस सुन्दर मकबरे का निर्माण शेख अहमद नाम के वास्तुकार के निर्देशन में हुआ था। शेरशाह सूरी के दादा यानी शाह इब्राहिम खान ने नारनौल में ही अपनी अंतिम सांस ली थी। इस गुंबद में कई कबरें भी बनी हुई है उनकी याद में यह मकबरा नारनौल में बनवाने का फैसला किया। इस गुंबद पर बहुत ही सुंदर नक्काशी की गई है जिसने बड़े ही संतुलन के साथ रंग भरे हुए हैं। इस पर लाल बलुआ पत्थर से भी नक्काशी की गई है। बड़े ही संतुलन के साथ रंग भरे हुए हैं जो छोटे-छोटे चित्रों से सुसज्जित है। इसपर लाल बलुआ पत्थर से भी नक्काशी की गई है चमकदार पत्थरों का बिछाव इस मकबरे की विशेषताएं हैं। लाल और हल्के नीले पत्थरों के संयोजन से यह विशेषता और अधिक बढ़ जाती है। हलके उभार की नक्काशी में रंगों का सुंदर संयोजन किया गया है। इसकी चित्रदार सजावटी जाली चित्रित छत इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं। इस आलीशान वास्तुकला की चर्चा पुरजोर हुआ करती थी।
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#chorgumbad #shahibrahim #travel
Dargah Syed Ibrahim Shah | Near Village Moria | Five Minute Drive A Near City Tharushah | HD
Arif Aziz Sahito
HD Video Recording Date 15.08.2016 Time 11:02 AM
[Hasan khan suri][ Alawal ka Tomb][ Shershah Tomb]
Sasaram
।। Ibrahim Khan Tomb।।#शाह_इब्राहिम_सूरी_मकबरा ।। दादा-पोते के प्यार की निशानी है ये मकबरा II नारनौल
#Tomb_Ibrahim_Khan_Suri #Ibrahim_Khan_suri_kabar #Shershaah_Suri_Tomb #Haryana_Narnaul_kile #GyanVik_Vlogs
Note:- Camera Man Vicky Rohilla
नमस्कार दोस्तों,
मैं विक्रम और आज मैं आ पहुंचा हूं।।दिल्ली से हरियाणा के एक नए मकबरे की खोज में जो कि हरियाणा के नारनौल गांव में पडता है। जो कि अपने आप में महेंद्रगढ़ जिले के अंदर है। आप मेरे पीछे जो इतना सुंदर मकबरा देख पा रहे हैं। यह , शेरशाह जो कि एक समय दिल्ली के बहुत बड़े सुल्तान हुआ करते थे।उनके पितामाह की कब्र है।
आपको मैं बता देता हूं कि मेरे उल्टे हाथ की तरफ जो बोर्ड देख रहे हैं उस पर इस मकबरे के बारे में बहुत सारी डिटेल लिखी हुई है। कि यह कब बनवाया गया।कैसे बनवाया गया। उसके बारे में आपको बताऊंगा।। आपको मैं इसके अंदर ले जाना चाहता हूं। ताकि मैं इसकी ख़ूबसूरती और सुंदरता को काफी करीब से दिखा सकूं।।
हम आ चुके हैं।। इस मकबरे के अंदर वाले परिसर में, आपको मैं बता देता हूं। कि उनके शेरशाह सूरी के पिताजी की मृत्यु 1518 में हुई थी। और यह वाली जो जगह है।यह लगभग 1538 से लेकर 1545 के बीच में बनाई गई थी।यहां पर जो आप मेरे पीछे कितना सुंदर मकबरा देख पा रहे हैं। यह अपने आप में जमीन से ऊपर की तरफ एक स्क्वेयर शेप में बना हुआ है।। यानी कि वर्ग की आकृति में इसको बनाया गया है।
यहां पर हम लोगों को लाल,नीले रंग, सफेद रंग के पत्थर का प्रयोग दिखाई देगा। जो कि बहुत ज्यादा सुंदर नक्काशी के साथ प्रतीत होता है। इसको हिंदू मंदिर के आकार के जैसा ही बनाया गया है।।इसके सबसे ऊपर वाले हिस्से में एक बहुत बड़ा सफेद रंग का गुंबद है।और उसके साथ में छोटे-छोटे दो गुंबद भी है। जो इसके साथ में बनाए गए हैं।
जो इसकी सुंदरता को चार चांद लगा देते हैं।।
नारनौल की धरोहरों और चोर गुंबद पर इतिहासविद रतनलाल सैनी
रतनलाल सैनी, संयोजक, इंटैच, महेंद्रगढ़ चैप्टर, नारनौल
Birbal ka Chatta Narnaul | Haryana | बीरबल का छत्ता एक अनोखी खोज
हैलो दोस्तो,
दोस्तों हमारे चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है इस वीडियो में, मैं आपको नारनौल के बीरबल का छत्ता के बारे में बताने वाला हूं।
नारनौल एक ऐतिहासिक शहर है जो हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में स्थित है। इस शहर का उल्लेख महाभारत में किया गया है। ऐसा विश्वास है कि यह बीरबल का जन्म स्थान है। जिन्हें अकबर के दरबार के नवरत्नों में गिना जाता है। छत्ता राय बाल मुकुंद दास एक बड़ा महल है। जिसका निर्माण राय बालमुकुंद दास ने करवाया था राय बालमुकुंद दास शहर का एक बहुत बड़ा सेठ माना जाता था। जो मुगल बादशाह शाहजहां के शासनकाल में दीवान थे। इस बिरबल छत्ते का निर्माण 16 वी शताब्दी में किया गया था। पांच मंजिलों पर बने हुए इस महल में कई हाल और गुंबद है। आंतरिक कक्ष और दीवाने खास की फश॔ तथा सतंभ संगमरमर के बने हुए हैं। प्राचीन समय में की गई कलाकृतियां आज भी वैसी ही बनी हुई है। प्राचीन समय में अकबर और बीरबल यहां ठहरते थे। उस दौर के लोग यहां आराम फरमाते थे। इसे सराय के रूप में जाना जाता था। बीरबल के छत्ते का गौरवमय इतिहास रहा है। यह बीरबल का छत्ता के नाम से मशहूर है बताया जाता है कि बीरबल के छत्ते के अंदर चारों तरफ सुरंग है। इस महल में भूमिगत कक्ष है। जो इस प्रकार बने हैं कि प्रकाश तीन परतों तक पहुंचता है। आज भी लकड़ियों के पिलर ज्यों के त्यों बने हुए हैं।
इस महल में एक सुरंग भी है। जो सीधे दिल्ली,जयपुर,महेंद्रगढ़ और दोषी तक जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि इमारत के नीचे सुरंगे बनी हुई है। इसके अंदर गैस बनी हुई है। इस सुरंग की जानकारी लेने के लिए एक बारात अंदर गई थी जो फिर वापस नहीं आई। इसलिए इसके अंदर कोई जाता ही नहीं है। किसी जमाने में इस आलीशान वास्तुकला की चर्चा पुरजोर हुआ करती थी। इसमें कई सभागार कमरो और मंडपो का निर्माण किया गया था। आज यह इमारत खंडहर के रूप में तब्दील हो चुकी है। इसके गौरवमय इतिहास की कहानी सुनकर दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। इस इमारत को पुरातत्व विभाग ने अपने अधीन कर लिया है। इस इमारत के ऊपर से देखने पर नारनौल शहर का सुंदर दृश्य दिखता है।
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chor gumbad narnaul || Historical Chor Gumbad of Haryana India
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नारनौल शहर की विरासत/Historical Of Narnaul City
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नारनौल के इतिहास और नामकरण को लेकर कोई प्रमाणीक तथ्य नही मिलते, इसलिए विद्वान एकमत नही है। लेकिन यह एक एतहासिक नगर है, इस बात से सभी इतफाक रखते है। इसकी स्थापना और नामकरण को लेकर अनेक किवदंतयां और गाथाएं प्रचत है।
यहाँ के प्राचीन सूयानारायण मंदिर मे मिले एक शिलालेख मे इसका नामोलेख नंदिग्राम् के रूप मे किया गया है। भागवत पुराण मे भी नंदिग्राम् का जिक्र है। इसलिए इस नगर को द्वापर-कालीन कहा जाता है। पौराणीक गाथाओं के अनुसार नारनौल नगर महाभारत काल नरराश्ट्र् के रूप मे जाना जाता था। यह भी प्रचलित है कि यह इलाका पहले भारजंगल से ढका हुआ था और शेरो का ठिकाना था| जंगल साफ़ करके यहाँ नगर बसाया गया इसलिए इसका नाम नाहर नौल रखा गया जो कालांतर मे नारनौल हो गया।
एक मान्यता यह भी है कि करीब एक हजार वषपूर्व दिल्ली के शासक अनंगपाल तंवर के रिस्तेदार राजा नूनकरण ने इस नगर को आबाद किया।
राजा नूनकरण के समय नारनौल एक व्यापारिक केन्द्र् के रूप मे जाना जाता था। मुग़ल बादशाह बाबर ने अपनी पुतक 'तुज़क-ए-बाबरी' मे यहाँ कपास मंडी होने का उल्लेख किया है, जिससे यह जाहिर होता है कि यहाँ कपास कि खेती होती थी। बाबर ने यहाँ के बाजारों का चर्चा गुदड़ी के नाम से किया है।
बारहवीं शताब्दी के पहले दो दशक तक यहाँ राजपूतों का शासन रहा 12वीं शताब्दी के तीसरे दशक मे मुस्लिम संत हजरत तुर्कमान यहाँ आया और उसके साथ ही मुसलमानो का यहाँ प्रभाव बढ़ने लगा, और नारनौल मुस्लिम के आधिपत्य मे आ गया।
पंद्रहवीं शताब्दी के नारनौल मुगलो के हाथो से निकल कर सूर अफगानो के नियंत्रण मे आ गया। सबसे पहले शेरशाह सूरी के दादा इब्राहिम खान यहाँ आये उन्हे फिरोज़-ए-हिसार के शासक ने नारनौल और इसके आसपास का क्षेत्र दिया था। इब्राहिम सूर का मकबरा आज भी नारनौल मे मौजूद है, और नारनौल के सभी स्मारको से बेहतर स्थिति में है। इब्राहिम सूर की मौत के बाद उसका बेटा और शेरशाह सूर का पिता हसनखान नारनौल का जागीरदार बना। इतहासकार वी.स्मिथ के अनुसार शेरशाह का जन्म भी नारनौल मे हुआ था।
पानीपत की दूसरी लड़ाई के बाद यह इलाका अकबर के नियंत्रण में था। उसने सम्राट हेमू को गिरफ्तार करने के इनाम के तौर पर इसे शाह कुल खान को दे द
नारनौल के चोर गुम्बद के अंदर क्या है ? जान लीजिए आज ।सुभाष पार्क नारनौल
शहर की उत्तर.पश्चिमी दिशा में ऊंचाई पर बनाया गया----------------
ऐतिहासिक स्मारक जमाल खान नामक एक अफगान शासक द्वारा अपने स्वयं की समाधी सतम्भ के रूप में बनवाया था, हालांकि यह एक स्मारक के रूप में बनाया गया था,-----------------------
लेकिन शहर के बाहर स्थित होने के कारण चोरों ने इस जगह पर आश्रय लेना शुरू किया,------------------
जिसके परिणामस्वरूप इसका नाम लंबे समय तक चोर गुंबद रहा। यह एक बड़ा गोलाकार गुंबद है ---------------------
जिसका छत गोलाकार आकार देकर बहुत उच्च स्तर तक उठाया गया है। यह दो मंजिला दृश्य में दिखता है,----------------
लेकिन इसकी ऊपरी मंजिल केवल बरामदा है, जिसमें 20 दरवाजे हैं। ------------------–---------
स्मारक के पश्चिमी पक्ष को छोड़करए शेष तीन दिशाओं में एक गेट है।--------------
नोट:---------------------------------------------------
इसे सुभाष पार्क के नाम से भी जाना जाता है।
बीरबल की सुरंग से पूरी बारात हो गई गायब || बीरबल की जादुई सुरंग || बीरबल का छत्ता || Birbal's House
Hello guys and welcome to agyaat baat where we bring you interesting facts and stories from all over the world .
हेलो दोस्तों ... क्या आपने बीरबल के एक ऐसे छत्ते और सुरंग के बारे में सुना है जहा जाके लोग गायब हो जाते हैं??? तो आज हम आपको एहि बताने वाले हैं.
चोर गुम्बद का खौफनाक रहस्य
हैल्लो फ्रेंड्स.... मेरे youtube चैनल NIKNESTOR the univesal hub पर आपका स्वागत है !
दोस्तों आज मै आपको नारनौल शहर की एक ऐतिहासिक जगह चोर गुम्बद को दिखाने जा रहा हू आशा करता हू आपको वीडियो पसंद आएगी ! अगर आप नारनौल शहर के नहीं है तो एक बार चोर गुम्बद को जरूर देखकर जाये !
Lodi dynasty's brickwork - Munda Gumbad in Delhi
Munda Gumbad : The roofless building is a massive structure of rubble masonry assignable to Lodi period (A.D. 1451-1526). The purpose of the building is unknown; probably it was intended for a tomb but was never finished. No historical records of this monument are available. As per the requirement, the monument was water tightened by the process of random rubble masonry and the joints were pointed using brick zeera and lime mortar.
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Purani imarat Chor Gumbad Narnaul
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Please watch: अनोखा प्राचीन मंदिर। यहाँ पैसे चढ़ाना सख्त मना है
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Mughal Period Maqbara Jamal Khan Lohani: Ruler of Jaunpur
Mughal Period Maqbara Jamal Khan Lohani: Ruler of Jaunpur
All about Jaunpur India Tourism , History and Culture.
मुग़ल बादशाह शाहजहां के दौर में जौनपुर के प्रशासक रहे जमाल खान लोहानी अफगान से सम्बन्ध रखते हैं और काम उम्र में ही मुईन खानखाना के साथ भारत आये और अपना ठिकाना अटाला मस्जिद के पास बनवाया | बाद में जब समझदार हुए तो ज्ञान हासिल करके दिल्ली का रख किया और अपनी मेजनत और लगन से मुग़ल बादशाह अकबर के काफी क़रीब हो गए | जब शाहजहां का दौर आया तो जमाल खान लोहानी को जौनपुर का प्रशासक बनाया गया लेकिन कुछ ही दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गए और ख़ास हौज़ से लग के उन्हें दफन किया गया | उनका मक़बरा आज भी मौजुद है लेकिन अच्छी हालत में नहीं है | क़ब्र टूट चुकी है और मक़बरे की गुम्बद आधी ही रह गयी है | साँपों का डेरा है वहां लेकिन कुछ मुसलमानो का क़ब्रिस्तान वो इलाक़ा होने की वजह से लोगों का आना जाना वहां रहता है |
समाजसेवी आरिफ हबीब साहब ने बताया की इस मक़बरे को जमाल खान के रौज़े के नाम से जाना जाता है और इसी से सत्ता उनका आबाई क़ब्रिस्तान भी है | बहुत कोशिश के बाद भी अभी तक उस रौज़े की मरम्मत वो प्रशासन से नहीं करवा सके हैं लेकिन कोशिश जारी है |
लेखक एस एम मासूम
copyright
बोलते पथ्थरों के शहर जौनपुर का इतिहास लेखक एस एम मासूम
for Detail please Visit
#Mughal #Rulersofjaunpur #hamarajaunpur
Manohar Lal Khattar govt is known for honesty, says J P Nadda in Bhiwani
भिवानी: मनोहर सरकार ईमानदार सरकार- जेपी नड्डा
भिवानी में सीएम मनोहर लाल और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मैडिकल कालेज का शिलान्यास किया...बता दें कि ये मैडिकल कॉलेज दो साल में बनकर तैयार होगा... इस दौरान कैंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि हरियाणा की मनोहर सरकार अब तक की सबसे ईमानदार सरकार है,,,इससे पहले हरियाणा में भ्रष्टाचार का बोलबाला था,...सात ही उन्होंने कहा कि हरियाणा की हर मांग पूरी की जाएंगी...और सरकार का लक्ष्य है कि हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोला जाए...-हिसार, जींद, राजस्थान के इलाकों को भिवानी के मेडिकल कालेज से फायदा मिलेगा
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Sher Shah Suri sasaram Ka makbara story in Hindi.
Sher Shah Suri or Sher Khan was the founder of the Sur dynasty in India. He was born in 1486 and is the son of Mian Hassan Khan Suri of Sasaram, Rohtas District in Bihar. His father was a breeder of horse and also a prominent figure of Bahlul Khan Lodi. His original name was Farid Khan. The Grandfather of Suri was Ibrahim Khan Suri who was a landlord of Narnaul area. He was married with Rani Shah and had a son Islam Shah Suri. His marriage helped him for consolidating his powers as a powerful ruler. Even more, it also gave him the possession of the Fort of Chunar. When he was 15 years old, he left home and went to Jaunpur. He studied Arabic and Persian there. Since his father was appointed to deal with his fears, he has very good management skills. But for some reason, he left in 1522 and joined the service of the Mughal Emperor Babar. He joined the service of the Governor of Bihar, Bahar Khan.
He accepted the name of Sher Khan by Baja Khan because he killed the courage and courage of the tiger alone. Later, Bahar Khan appointed him as the deputy governor and mentor of his son Jalal Khan. He joined Barbour's service again, but returned as a minor as Jalal Khan. Therefore, Sher Khan became the ruler of Bihar. In 1531 he confirmed his independence from the rulers of the Mughal dynasty Humayun. He fought many times with him. He first captured Gaur in Bengal and eventually won the throne of Delhi. After the Battle of Kannauj in 1540, he continued to expand his empire. He is a brave soldier and military genius in West Bengal. In the battle of Mevat, he made a bunker using sandbags.
He is a very talented administrator who is remembered for the rules and reforms he introduced. His government is very effective. But he very strictly divided his kingdom into a province called Sakars. These subdivisions are Parganas and are divided into subunits. Again, he is considered to be the first to introduce Rupaiya and paisa instead of Tanka. He even introduced the responsibilities that are being followed even today.
He built a small hotel, a mosque, and placed the most famous road network, a Grand Trunk Road. In addition, he has a clear architectural style, which can be seen in the Rohtas Fort built by him. He was a secular ruler who has always practised welfare and intolerance.
He also continued to manage and carry out military activities. He besieged Kalinjar's mighty fortress in Bundelkhand, where he died of a gunpowder explosion in 1545 due to an accidental explosion, although he ruled India for just five year but the changes he made have affected people's lives. He is considered to be the most successful ruler of medieval India. As a capable general, SA Rashid believes that the complete officer as the ruler makes Sher Shah stand above the shoulders of other rulers. He was the greatest personality so his enemy were greatest. His death is called him Ustad-I-Badshahan, the king's teacher. Sher Shah Suri inherited his son Jalal Khan, and later his name was Islam Shah. His son built a beautiful Sher Shah Suri tomb in Sasaram, Bihar in his memory. It is also known as “Sher Shah Suri Ka Maqbara” This tomb is an example of Indo-Islamic architecture. This tomb has been designed by Mir Muhammad Aliwal Khan architect and it was build between 1540 and 1545. This tomb stands in the middle of an artificial lake which is also known as the Second Taj Mahal of India.
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Masti Time with Daksh and Deepika at Trade Fair in Narnaul
Masti Time with Daksh and Deepika at Trade Fair in Narnaul
shekh chehli ka makbara TAJMAHAL Hariyana ।। हरियाणा का ताजमहल ।।
Please watch: बाबरी शहीद करने वालों का हश्र देख बौखलाई bjp #noorani khabaren#
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