Aarti Live-श्री चिंतामन गणेश मंदिर-सीहोर-Shree Chintaman Ganesh Mandir-Sehore-On 21st Jan 2015
Aarti Live is a special devotional program.this show presents the importance of famous temples across the India.
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Aarti Live-श्री चिंतामन गणेश मंदिर-सीहोर-Shree Chintaman Ganesh Mandir-Sehore-On 21st Jan 2015
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Aarti Live-श्री चिंतामन गणेश मंदिर-सीहोर-Shree Chintaman Ganesh Mandir-Sehore-On 18th Jan 2015
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Tuesday's Temple || Siddh Ganesh Temple || सीहोर गणेश मंदिर || चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर सीहोर
Tuesday's Temple || Siddh Ganesh Temple || सीहोर गणेश मंदिर || चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर सीहोर (म.प्र.)
In India there are four naturally originated Swayambhu (self-manifested) Chintaman Ganesh Temple .
1. Ranthambore (Sawai Madhopur-Rajasthan)
2. Siddhpur (Sehore-Madhya Pradesh)
3. Awantika (Ujjain-Madhya Pradesh)
4. Theur, (Theur Near Pune- Maharastra)
Sehore is famous for Chintaman Ganesh Temple. This lord Ganesh Temple is very old and historical place in the time of Maharaja Vikrmaditya. Sehore was commonly known as Siddhpur in the kingdom of Vikramaditya. Chintaman Ganesh Temple is situated in the west-north of Sehore.
The temple was later constructed in 155 BC. Half of the idol still under the ground in this Ganesh temple. Baji Rav Peshwan first got the assemble hall constructed and reinaugrated the temple. It is situated on the angles of Shree Yantra. . Sehore was previously known as Siddhpur which is found in holy books (Purans)..
Sehore is 39 Km away from state capital Bhopal towards south and on Bhopal-Indore highway. Its height from the sea level is 1500 ft. to 2000 ft. It is also connected to Western Railway from Bhopal to Ratlam. Sehore stands in the foothills of the Vindhyachal Range in the middle of Malwa region.
About 2000 years ago, The king of Ujjayani (Avantika) used to worship the lord Chintaman Ganesh in the fort of Ranthambore every Wednesday. One day the lord Ganesh appeared in a king's dream and said, I will appear in the form of Lotus flower on Shiva-Parvati confluence in Sevan river which is 10 to 15 Km in the west from the temple. Collect that flower and bring it with you As instructed the king collected the flower and left for Ujjayni. On the way he heard the divine voice, Oh king you have only one night to take me anywhere you want as the sun will rise then i'll turn into an idol and stay right there
There the king proceeded for a little while only then the wheel of his horse carriage stuck in the ground. He tried to take out the wheel from the ground but failed and the carriage was damaged. He counts not arrange another carriage. Since the morning. As the sun rise the lotus flowers turned into the idol of Lord Ganesha. The king tried again & again but found himself unable to even move the idol from its place so the king established the idol there only.
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Please watch: must watch (funny) - A 2 year old brilliant child.....
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Aarti Live-श्री चिंतामन गणेश मंदिर-सीहोर-Shree Chintaman Ganesh Mandir-Sehore-On 20th Jan 2015
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Chintaman Ganesh of Sehore is one of the four Swayambhu सिद्धिविनायक श्री गणेश मंदिर, गणेशधाम सीहोर
Chintaman Ganesh of Sehore is one of the four Swayambhu (self-existed) Chintamani Ganesh located in India. Situated in Sehore city about 40 km from Bhopal Madhya Pradesh. In India there are four naturally originated Swayambhu (self-manifested) Chintaman Ganesh Temple .
भारतवर्ष में जो स्वयंभू गणेश जी के ऐसे प्रमुख चार स्थान सिद्धपुर सिहोर सिद्धिविनायक, उज्जैन के चिन्तामन गणेश जी, रंणथम्भौर संवाई माधोपुर राजस्थान के सिद्ध गणेश और सिद्धपुर गुजरात में महागणेश है। जिनमें से एक सीहोर में स्तिथ हैं। यहां साल भर लाखों श्रृद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं। अपनी मन्नत के लिए उल्टा सातिया बनाकर जाते हैं।
Sehore is 39 Km away from state capital Bhopal towards south and on Bhopal-Indore highway. Its height from the sea level is 1500 ft. to 2000 ft. It is also connected to Western Railway from Bhopal to Ratlam. Sehore stands in the foothills of the Vindhyachal Range in the middle of Malwa region.
Aarti Live-श्री चिंतामन गणेश मंदिर-सीहोर-Shree Chintaman Ganesh Mandir-On 11th Feb 2015
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Chintaman Ganesh Mandir Sehore
Namaste india news
Ganesh Mandir Sehore गणेश मंदिर सीहोर
सीहोर में स्थित चिंतामन गणेश मंदिर
#Chintaman ganesh mandir sehore| चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर जिसे राजा विक्रमादित्य ने हाथों से बनाया
एमपी डेस्क। सीहोर जिला मुख्यालय पर स्थित चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर देशभर में ख्यात गणेश मंदिरों में से एक हैं जहां दूर दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं मंदिर के संबंध में ऐसी मान्यता है कि चिंतामन के दर्शन से उनकी चिंताएं दूरी हैं साथ ही हर मनोकामनी भी पूरी होती है। प्रतिमा और मंदिर को लेकर अलग-अलग किदवंतियां हैं कुछ जानकार मंदिर को विक्रमादित्य कालिन तो कुछ इसे पेशवाकालिन बताते हैं। लेकिन इस बात से श्रृद्धालुओं को कोई फर्क नहीं पड़ता उनकी आस्था तो श्री गणेश में हैं जो दूर दूर से दर्शन करने यहां पहुंचते हैं। स्थानीय जानकारों की माने तो देश में चिंतामन सिद्ध गणेश की चार स्वंयभू प्रतिमाएं हैं, जिनमें से एक सीहोर में विराजित हैं। यहां साल भर लाखों श्रृद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं। अपनी मन्नत के लिए उल्टा सातिया बनाकर जाते हैं।
राजधानी के निकट बसे सीहोर जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित चिंतामन गणेश मंदिर वर्तमान में प्रदेश भर में अपनी ख्याति और भक्तों की अटूट आस्था को लेकर पहचाना जाता है। प्राचीन चिंतामन सिद्ध गणेश को लेकर पौराणिक इतिहास है। जानकारों के अनुसार चिंतामन सिद्ध भगवान गणेश की देश में चार स्वंयभू प्रतिमाएं हैं। इनमें से एक रणथंभौर सवाई माधोपुर राजस्थान, दूसरी उज्जैन स्थित अवन्तिका, तीसरी गुजरात में सिद्धपुर और चौथी सीहोर में चिंतामन गणेश मंदिर में विराजित हैं। इन चारों स्थानों पर गणेश चतुर्थी पर मेला लगता है।
इस मंदिर का इतिहास करीब दो हजार वर्ष पुराना है। माना जाता है कि राजा विक्रमादित्य पार्वती नदी से कमल पुष्प के रूप में प्रगट हुए भगवान गणेश को रथ में लेकर जा रहे थे। सुबह होने पर रथ जमीन में धंस गया। रथ में रखा कमल पुष्प गणेश प्रतिमा में परिवर्तित होने लगा। प्रतिमा जमीन में धंसने लगी। बाद में इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया गया। आज भी यह प्रतिमा जमीन में आधी धंसी हुई है। इस मंदिर में विराजित गणेश प्रतिमा के प्रकट होने के संबंध में एक अन्य किवदंतियां यह है कि सीहोर से करीब सोलह किलोमीटर की दूरी पर पार्वती नदी का उद्गम स्थल है। सैकड़ों वर्ष पहले पार्वती नदी की गोद में श्री गणेश श्यामवर्ण काले पत्थर की सोने के रूप में दिखने वाली मूर्ति के रूप में एक ऊंचे स्थान पर विराजित थे। उस समय आसपास के रहवासी और योगी और संतों ने भी यहां पर कई सिध्दियां अर्जित की है। इतिहासविद बताते है कि करीब साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व पेशवा युद्धकाल के दौरान पूर्व मराठा पेश्वा बाजीराव प्रथम ने अपने साम्राज्य विस्तार की योजना से पार्वती नदी के उस पार पड़ाव डालने का मन बनाया, लेकिन नदी के बहाव के आगे बाजीराव प्रथम की राज्य विस्तार की योजना खटाई में पड़ गई। जब पेश्वा बाजीराव नदी में उठे बहाव के थमने का इंतजार कर रहे थे उस समय रात्री में राजा पेश्वा को स्थानीय रहवासियों ने यहां पर विराजित भगवान गणेश की महिमा के बारे में बताया। जिसे जानकर पेश्वा बाजीराव में रात्री के समय यहां विराजित श्री गणेश की प्रतिमा के दर्शन करने की लालसा मन में जागी और पेश्वा बाजीराव अपने मंत्री व सैनिकों के साथ प्रतिमा के दर्शन करने के लिए नियत स्थान की ओर रवाना हुए, जिसके बाद पेश्वा बाजीराव ने प्रतिमा की खोज के बाद अपनी सेना सहित यहां विराजित भगवान श्री गणेश की प्रतिमा की विधिवत पूजा अर्चना की और साम्राज्य विस्तार के लिए निकले। पेश्वा बाजीराव ने श्री गणेश की प्रतिमा से मनोकामना की कि साम्राज्य विस्तार कर लौटने के बाद मैं नदी के तट पर देवालय बनवाउंगा। ऐसी प्रतिज्ञा कर पेश्वा बाजीराव अपनी सेना के साथ युध्द विजय के लिए चल पड़ा। कुछ ही दिनों में पेश्वा बाजीराव को अभूतपूर्व सफलता मिलने के बाद उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा अनुसार पार्वती नदी पर विराजित सिध्दपुर सीहोर में सीवन नदी के तट पर सुंदर देवालय बनवाया। श्री गणेश के प्रिय रक्त चंदन के रथ में भगवान को विराजमान कर विद्ववानों द्वारा वेद उच्चारण और ढोल ढमाकों के साथ अपनी सेना के साथ एक भव्य शोभायात्रा लेकर चल पड़े, लेकिन पेश्वा बाजीराव द्वारा गणेश प्रतिमा को अन्यंत्र ले जाने पर स्थानीय गांव वासियों ने राजा को मान मनोहार कर रोकने का प्रयास किया, लेकिन पेश्वा बाजीराव अपनी प्रतिज्ञा अनुसार श्री गणेश की प्रतिमा को रथ के माध्यम से अन्यंत्र ले जाने पर अडि़त थे। इस मंदिर से जुड़ी किवदंतियों में यह उल्लेख होता है कि पेश्वा द्वारा पार्वती नदी से निकाली गई यह शोभायात्रा नियत स्थान पर पहुंचने से पूर्व ही रूक गई के दम पर पूरे प्रयास किए लेकिन यह प्रयास कई दिनों तक चलने के बाद भी असफल ही रहे और रथ के पहिये धसने लगे। रथ को निकालने के तमाम प्रयासों के बीच जब पेश्वा बाजीराव पश्त होकर थक हार गए और उनकी सेना सहित उन्होंने उस रात्री को वहीं विश्राम किया। तभी राजा की निंद्रा अवस्था में क्षणिक स्वप्न दिखा इस स्वप्न ने श्री गणेश ने पेश्वा बाजीराव को दर्शन देते हुए बताया कि राजन तुम अब ओर प्रयास न करों मैं मां पार्वती के भक्तों की इच्छानुसार यही विराजुगां और यह स्थान भी सिध्द हो गया है। तब पेश्वा बाजीराव ने स्वप्न के बाद श्री गणेश की आज्ञा को शिरोधार्य करते हुए इसी जगह मंदिर का निर्माण करवाया, जो वर्तमान में चिंतामन श्री गणेश मंदिर के रूप में जाना पहचाना जाता है।
उल्टा सातिया बनाकर मांगते हैं मन्नत- श्रद्धालु अपनी मन्नत मानते हैं और उल्टा सातिया बनाकर जाते हैं। जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है, तो मंदिर आकर सीधा सातिया बनाकर फिर अपने घर जाते हैं। यूं तो भारत में कई चमत्कारिक गणपति मंदिर हैं पर कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी अद्भुत शक्ति और मान्यता के कारण सभी धर्मों में आस्था का केन्द्र हैं। ऐसा ही एक गणपति मंदिर है- सीहोर का स्वयंभू गणपति।
कहा जाता है कि इनकी स्थापना उज्जैन के राजा विक्रमादित्य से खुद गणपतिजी ने करवाई थी। ये अपने भक्तों की प्रार्थना बड़े जल्दी सुन लेते हैं। यहां अपनी मन्नत को जल्दी मनवाने के लि
Aarti Live at Shri Chintaman Ganesh temple in Sehore
Viewers will watch Live Aarti at Shri Chintaman Ganesh temple in Sehore.
Sehore Chintaman Ganesh Mandir, Sehore Bhopal
Sehore Chintaman Ganesh Mandir, Sehore Bhopal
Aarti Live-चिंतामन गणेश मंदिर-Chintaman Ganesh Madir-On 13th April 2015
Aarti Live is a special devotional program.this show presents the importance of famous temples across the India.
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A visit to Shri Chintaman Ganesh Temple in Sehore
In this segment of Aarti Live, viewers get to visit Shri Chintaman Ganesh Temple in Sehore.
विक्रमादित्य ने बनवाया था सीहोर का यह गणेश मंदिर
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विक्रमादित्य ने बनवाया था सीहोर का यह गणेश मंदिर
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Tuesday's Temple || Siddh Ganesh Temple || सीहोर गणेश मंदिर || चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर सीहोर
देश में चिंतामन सिद्ध गणेश की चार स्वंयभू प्रतिमाएं हैं, जिनमें से एक सीहोर में स्तिथ हैं। यहां साल भर लाखों श्रृद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं। अपनी मन्नत के लिए उल्टा सातिया बनाकर जाते हैं।
In India there are four naturally originated Swayambhu (self-manifested) Chintaman Ganesh Temple .
1. Ranthambore (Sawai Madhopur-Rajasthan)
2. Siddhpur (Sehore-Madhya Pradesh)
3. Awantika (Ujjain-Madhya Pradesh)
4. Theur, (Theur Near Pune- Maharastra)
Sehore is famous for Chintaman Ganesh Temple. This lord Ganesh Temple is very old and historical place in the time of Maharaja Vikrmaditya. Sehore was commonly known as Siddhpur in the kingdom of Vikramaditya. Chintaman Ganesh Temple is situated in the west-north of Sehore.
The temple was later constructed in 155 BC. Half of the idol still under the ground in this Ganesh temple. Baji Rav Peshwan first got the assemble hall constructed and reinaugrated the temple. It is situated on the angles of Shree Yantra. . Sehore was previously known as Siddhpur which is found in holy books (Purans)..
Sehore is 39 Km away from state capital Bhopal towards south and on Bhopal-Indore highway. Its height from the sea level is 1500 ft. to 2000 ft. It is also connected to Western Railway from Bhopal to Ratlam. Sehore stands in the foothills of the Vindhyachal Range in the middle of Malwa region.
About 2000 years ago, The king of Ujjayani (Avantika) used to worship the lord Chintaman Ganesh in the fort of Ranthambore every Wednesday. One day the lord Ganesh appeared in a king's dream and said, I will appear in the form of Lotus flower on Shiva-Parvati confluence in Sevan river which is 10 to 15 Km in the west from the temple. Collect that flower and bring it with you As instructed the king collected the flower and left for Ujjayni. On the way he heard the divine voice, Oh king you have only one night to take me anywhere you want as the sun will rise then i'll turn into an idol and stay right there
There the king proceeded for a little while only then the wheel of his horse carriage stuck in the ground. He tried to take out the wheel from the ground but failed and the carriage was damaged. He counts not arrange another carriage. Since the morning. As the sun rise the lotus flowers turned into the idol of Lord Ganesha. The king tried again & again but found himself unable to even move the idol from its place so the king established the idol there only.
Watch Aarti at Shree Chintaman Ganesh Temple in Sehore
Watch Aarti at Shree Chintaman Ganesh Temple in Sehore on ETV show Aarti Live.
#चिंतामन #सिद्ध #गणेश_मन्दिर,#सीहोर,#मध्यप्रदेश #Chintaman Siddha #Ganesh #Tample #Sehore M.P.
भगवान गणेश के सिद्ध मंदिरों में चिंतामन गणेश मंदिर सीहोर भी एक है. पूरे देश में कुल चार चिंतामन गणेश मंदिर हैं भोपाल, उज्जैन, गुजरात और रणथंभौर में इन गणपति मंदिरों की सिद्धियां इनकी स्थापना की चर्चित कहानियों में छुपी हैं.
चिंतामन गणेश मंदिर, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है,
गणेश मंदिर की दंतकथा बेहद रोचक है. माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना विक्रमादित्य ने की थी लेकिन इसकी मूर्ति उन्हें स्वयं गणपति ने दी थी. प्रचलित कहानी के अनुसार एक बार राजा विक्रमादित्य के स्वप्न में गणपति आए और पार्वती नदी के तट पर पुष्प रूप में अपनी मूर्ति होने की बात बताते हुए उसे लाकर स्थापित करने का आदेश दिया. राजा विक्रमादित्य ने वैसा ही किया. पार्वती नदी के तट पर उन्हें वह पुष्प भी मिल गया और उसे रथ पर अपने साथ लेकर वह राज्य की ओर लौट पड़े. किन्तु एक शर्त भी जुड़ी हुई थी कि यात्रा रात को ही करनी है और सुबह होने से पहले यात्रा पूर्ण हो जाना चाहिए किन्तु बीच राह में ही एक नाले में रथ फंस गया और बहुत प्रयास करने के बाद भी निकाला नही जा सका और इस बीच सुबह हो गई, तो पुष्प गणेश जी की मूर्ति में परिवर्तित हो गया ,
तब विक्रमादित्य ने गणमति की मूर्ति वहीं स्थापित कर इस मंदिर का निर्माण कराया
मंदिर में स्थापित गणपति की मूर्ति की आंख चांदी की बनी है. वास्तविक मूर्ति की आंख हीरे की थी. स्थानीय लोगों के अनुसार आज मंदिर और मूर्ति की सुरक्षा के लिए रात के समय मंदिर परिसर में ताला लगाया जाता है लेकिन पहले ऐसा नहीं था. 150 साल पहले इस खुले परिसर में मूर्ति की हीरे की आंख चोरी हो गई. कई दिनों तक आंख की जगह से दूध की धार टपकती रही और आखिरकार मुख्य पुजारी के स्वप्न में गणपति जी ने आकर इस जगह चांदी की आंख लगाने का आदेश दिया. पुजारी ने इसे चिंतामन मंदिर में स्थापित गणपति के नए जन्म के रूप में माना और चांदी की आंख लगाने के अवसर पर भंडारा किया. तब से हर साल यहां मेला लगता है.
यहां हर माह गणेश चतुर्थी पर भंडारा करने की प्रथा है. स्थानीय लोगों के अनुसार 60 साल पहले यहां प्लेग की बीमारी फैली थी. तब इसी मंदिर में लोगों ने इसके ठीक होने की प्रार्थना की और प्लेग के खत्म हो जाने पर गणेश चतुर्थी मनाए जाने की मन्नत रखी. प्लेग ठीक हो गया और तब से हर माह गणेश चतुर्थी पर भंडारे की यह प्रथा चली आ रही है. यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर के पिछले हिस्से में उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत रखते हैं और पूरी हो जाने पर दुबारा आकर उसे सीधी बनाते हैं.
Shree chintaman siddh ganesh mandir sehore Madhya Pradesh INDIA darshan Live.
Live darshan of sehore historical shree chintaman ganesh mandir.
A visit to Shri Chintaman Ganesh Temple in Sehore
In this segment of Aarti Live, viewers get to visit Shri Chintaman Ganesh Temple in Sehore.