Mandore Gardens Jodhpur
Mandore is an ancient town, and was the seat of the Mandorva branch of the Gurjar -Pratihara dynasty which ruled the region in the 6th century AD by King Nahar Rao Panwar. In 1395 AD, a Mohil princess of the Parihar rulers of Mandore married Chundaji, scion of the Rathore clan of Kshatriyas. This was during the era of rapid ascendency of the Rathore clan, and Chundaji received Mandore in dowry. The town remained the seat of the Rathore clan until 1459 AD, when Rao Jodha, a Rathore chief who united the surrounding region under his rule, shifted his capital to the newly founded city of Jodhpur.
Mandore was the capital of the erstwhile princely state of Marwar (Jodhpur State), before moving to Mehrangarh Fort in Jodhpur.
Mandore town boasts several monuments. The now ruined Mandore fort, with its thick walls and substantial size, was built in several stages and was once a fine piece of architecture. A huge, now ruined temple is a highlight of the fort. The outer wall of the temple depicts finely carved botanical designs, birds, animals and planets.
The 'Mandore gardens', with its charming collection of temples and memorials, and its high rock terraces, is another major attraction. The gardens house the Chhatris (cenotaphs) of many rulers of Jodhpur state. Prominent among them is the chhatri of Maharaja Ajit Singh, built in 1793.
Bheruji's temple is located in Mandore Gardens near Jodhpur. Most oswal families seek Bheruji's blessing after performing the tonsure (mundan) and Jat (Jay-ti or Jwar) ritual at Osiya Mandir, Gora Bheruji or Kala Bheruji which varies from family to family. Inside the temple, Gora Bheruji reside on left side, Kala Bheruji on right side and Ganeshji is sitting in middle.
Mandore Gardens located about 5 miles north of Jodhpur is on the way to Osiya. The garden timings are 8 AM to 8 PM.
Bheru Bagh Shree Jain Shwetambar Parshwanath Temple, Jodhpur
Manaktv
Shree Jain Shwetambar Parshvanath Temple, Bheru Bagh Jodhpur
यहाँ तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की मनोहारी प्रतिमा विराजमान है। इस मन्दिर के प्रांगण में जैन धर्मशाला भी स्थित हैं जहाँ जैन समाज के दर्शनार्थियों के लिए आवास तथा भोजनादि की समुचित व्यवस्था है।
बीसहथ माता का मन्दिर भी भेरू बाग़ के पार्श्वनाथ जैन मन्दिर में स्थित है वह बहुत ही सुन्दर तथा आकर्षक स्थान है।
M2U06743-DEVTAO KI SAAL, MANDORE, JODHPUR, INDIA-VIDEO BY PINKEY..
THERE ARE SCULPTURES OF DEVI - DEWTAS AND ALSO INCLUDES LOCAL DEVI - DEVTAS NEAR AJIT POL OF MANDOR.
Singing at Mandore Jodhpur ||vivekananda kendra karyakarta
[76] Jodhpur ki Chhatriyan - Hidden Tourist Attraction in Jodhpur, Rajasthan - Panchkunda
hidden tourist attraction in jodpur Rajasthan India
MOST IMPORTANT CANOPIES - jodhpur ki chhatriyan - 6 km from mehrangarh , jaswant thara and 3 km from mandore garden -
जोधपुर की बहुत ही सुन्दर और प्रसिद्ध है - यहाँ की पंचकुण्डा की छतरियां - ये छतरियां बहुत ही सुन्दर और बड़ी बड़ी छतरियां है - इन छतरियों की बनावट और कला बहुत ही भव्य है - ये छतरियां ऐतिहासिक है - छतरियों का निर्माण पहले के राजा महाराजाओं ने किसी अपने पूर्वज के दाह संस्कार के बादमे करवाते थे - छतरियां पूर्वजों की याद में बनाते थे - और ऐसी यहाँ पंचकुण्डा की छतरियां बहुत सी बानी हुई है - यहाँ के राजा के घराने के पूर्वजों ने करवाया था - छतरियों में अलग अलग पिलर पर तिकी हुई है किसी में ३६ है तो किसी में अलग अलग पिलर लगे है कोई चार पिलर की भी है - ये छतरियां देखने के लिए बहुत पर्यटक आते है - यहाँ पर छतरियां छोटी भी है और छतरियां बड़ी भी है - ऐसी कई तरह की छतरियां बनी हुई है - छतरियों में जोधपुर का पत्थर लगा है - और कहीं संगमरमर मकराना वाला लगा हुआ है - एक बड़ी छतरी मार्बल लगा है - यहाँ पर कुछ प्राचीन छतरियां टूटी हुई भी है - यहाँ जो लोगों को फोटोग्राफी का शौक है - और वीडियो ग्राफी लवर है - इनके लिए ये जगह बहुत अच्छी है -
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यात्रा जोधपुर के रणछोड़राय मंदिर की- Ranchhodji Temple- Shakti Rajasthan
कहते हैं आस्था बड़े से बड़े संकट से उबार देती है और संकट से उबारने में मदद करता है वह आत्मविश्वास जो आस्थाओं से उपजता है। इसी मान्यता का असर है कि सदियों से आस्थाधामों का निर्माण होता रहा है। जगह-जगह बने ऐसे ही आस्थाधामों में एक है- जोधपुर का श्रीरणछोड़राय मंदिर। ‘शक्ति राजस्थान‘ के जरिए आइए आप भी चलिए श्री रणछोड़राय मंदिर।
जोधपुर जैन मंदिर से अष्ट धातु की प्रतिमाएं सहित अन्य नगदी व महत्वपूर्ण सामग्री चोरी JAINISMOFFICIAL
जोधपुर गुरों के तालाब जैन मंदिर में डकैती कुछ आदमी द्वारा मंदिर में से भण्डारे मूल नायक ओर पद्मावती व मणिभद्र जी के सभी को तोड़ा गया गमभारे से भगवान कि अष्ट धातु की प्रतिमाएं ओर सोने की चेने भगवान की ओर पद्मावती माता की चांदी की चेने छत्र सभी चांदी के जिसमे शांतिनाथ भगवान की 500 साल पुरानी बेस कीमती प्रतिमा ओर कुछ मंदिर के समान आदि सभी समान यहाँ से लूटा गया ये वारदात रात्रि में हुई है आप सभी से सहयोग की भावना रखे और सरकार पर दबाव बनाए की तुरन्त प्रभाव से मुल्जिमान का पता लगाया जाए ।
Prahalad Gurjar New Song - Mara Kala Gora Bheru - Mata Ji Ri Chundadi - Rajasthani New Song
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Presenting Latest Rajasthani Songs 2014 Mara Kala Gora Bheru By Prahalad Gurjar, Music by Raju Mewari, Lyrics by Himmat Choudhary.
Album- Mata Ji Ri Chundadi
Song Title- Mara Kala Gora Bheru
Singer- Prahalad Gurjar
Music Director- Raju Mewari
Lyricist- Himmat Choudhary
Lable- CB Series
Digital Partner - Unisys
Kakor किला #teh-uniyara#tonk # khofnak khandar
पहले ये 1 खूबसूरत महल हुआ કરતા था लेकिन Dekhte ही देखते ये पूरा khofnakh khandar होता jaa raha है और govt. को ध्यान ही नहीं है, rajputo के लिए ये बहुत बुरी बात हो सकती है कि धीरे धीरे rajputo के किले लुप्त होते Jaa रहे है या khandar बन रहे है इसलिए आप कभी वहा जाय तो ध्यान से क्यू की उसकी diware टूट रही है और ये बहुत डरावना हो चुका है thank you please like and subscribe Rider rajputana
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जालौर का ऐतिहासिक विवरण —
जालौर का प्राचीन नाम-जबालिपुर था। जाबालिपुर नाम महर्षि ”जाबालि” की तपोभूमि होने के कारण कहा जाता है।
कहा जाता है कि जालौर का नामकरण यहां पर ”जाल” वृक्षों की अधिकता के कारण किया गया।
सन् 1182 में कीर्तिपाल चौहान ने जालौर में चौहान वंश की स्थापना की। कीर्तिपाल चौहार को ”कित्तु एक महान राजा” की उपाधि मुहणोत नेणसी ने दी।
अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर का नाम जलालाबाद रखा।
जालौर की नदियां एवं जलाशय—
जालौर में बहने वाली प्रमुख नदियाँ – लूणी, जवाई, सूकड़ी है।
बांकली बाँध सूकड़ी नदी पर सन् 1956 ई. में बनाया गया।
जालौर के अन्य जलाशय —
बीथान जलाशय जालौर में है।
नर्मदा नहर परियोजना से राजस्थान में पानी 27 मार्च, 2008 को सीलू गाँव (जालौर) में आया। यह नहर सीलू गाँव से ही राजस्थान में प्रवेश करती है।
राज्य में पहली बार नर्मदा नहर परियोजना पर फव्वारा सिंचाई पद्धति को अनिवार्य रूप से लागू किया गया।
जालौर के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल —
जालौर दुर्ग—
उपनाम-सोनगिरी/सुवर्णगिरी/कांचनगिरी/सोनलगढ़/जालधर दुर्ग/जलालाबाद दुर्ग आदि।
यह दुर्ग सूकड़ी नदी के समीप कनकाचल पहाड़ी पर बना हुआ है। यह दुर्ग पश्चिमी राजस्थान का सबसे प्राचीन व सबसे सुदृढ़ दुर्ग है।
इसके बारे में हसन निजामी ने कहा है, कि यह एक ऐसा किला है, जिसका दरवाजा कोई भी आक्रमणकारी खोल नहीं सका।
इसका निर्माण औझा के अनुसार परमारों ने जबकि दशरथ शर्मा के अनुसार प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम द्वारा करवाया गया।
10वीं शताब्दी में धारावर्ष परमार द्वारा इसका पुन: निर्माण करवाया गया।
इस दुर्ग में चामुण्डा माता व जौगमाया माता का मन्दिर स्थित है।
मल्लिक शाह व अलाउद्दीन खिलजी की मस्जिद इसी दुर्ग में है।
इस दुर्ग में परमार कालीन कीर्ति स्तम्भ स्थित है।
साका—1311 ई. अलाउद्दीन खिलजी की सेना व कान्हड़देव के मध्य दहिया बीका के विश्वासघात के कारण कान्हड़देव ने केसरिया किया एवं उसकी रानी जैतल दे ने जौहर किया।
जालौर दुर्ग पर अलाउद्दीन खिलजी के हमले का कारण—कान्हड़देव के पुत्र वीरमदेव से अलाउद्दीन की पुत्री फिरोजा प्यार करती थी, लेकिन वीरमदेव उसे नहीं चाहता था। इसे अलाउद्दीन ने अपना अपमान समझा।#free_sarkari_job_news, #utkrusht_classes_Jodhpur,