Seeta rasoi hanuman dhara chitrakoot
Chitrakoot hanuman dhara
#प्राचीन सीता रसोई-चित्रकूट
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Hanuman dhara is a hill in Chitrakut where is a idol of lord hanuman. The stream of water continuously falls on his shoulder and the water goes to a small pit downwards. There is a story that after burning rawan's lanka Hanuman felt unbearable burning sensation all over his body. He went many places to get rid of it but all scalenegociate about 300 stares to reach on the top off hill. At the top of the hill, there is a sita rasoi, where mata sita prepare the food for five rishies.
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Sita rasoi, hanuman dhar chitrakoot || सीता की रसोई, हनुमान धारा चित्रकूट
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#Sita Rasoi-Sri Ram`s Proof-Chitrakoot
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#Ramayan kaal ki Sita rasoi-chitrakoot
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।।अयोध्या में सीता की रसोई का रहस्य, आज भी मौजूद है माता के बचे हुए बर्तन।।
भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या हमेशा सुर्खियों में रही है, चाहे रामायण काल हो, महाभारत काल हो या कलयुग हो। राम जन्मभूमि की महिमा अपरंपार है। ऐसे में राम मंदिर की गूंज भी तेजी के साथ बनी हुई है। केंद्र की भाजपा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का वादा जनता से कर चुकी है। बुधवार से अयोध्या में होने वाली महासभा को लेकर चर्चाएं काफी गरम हैं, गूगल पर भी अयोध्या ट्रेंड में है। लेकिन क्या आप अयोध्या नगरी में बसे उन दार्शनिक स्थलों के बारे में जानते हैं जिसकी वजह से भगवान राम की नगरी अयोध्या इतनी सुर्ख़ियों में रहती हैं...
चित्रकूट में बसी है सीता की रसोई
त्रेता युग के भगवान श्रीराम जब 14 वर्ष के वनवास को गए थे, तब वह चित्रकूट के जंगलों में ही रहते थे। चित्रकूट धाम उत्तर प्रदेश के मंदाकिनी नदी के किनारे बसा है। चित्रकूट के इन जंगलों को आज भी प्राकृतिक रूप से संजोकर रखा गया है। इसी धाम में आज भी सीता माता की रसोई भी साक्षात बनी हुई है। इस रसोई में माता सीता पंच ऋषियों को भोजन खिलाया करती थीं। इस रसोई को देखने के लिए सैलानी दूर-दूर से आते हैं।
चित्रकूट में ही भगवान हनुमान का भव्य मंदिर भी है। इस मंदिर में हनुमान प्रतिमा के पीछे से एक जल धारा बहती है जिसे हनुमान धारा कहा जाता है। वैज्ञानिकों को आज तक इसकी जानकारी नहीं कि ये जल धारा कहां से आती है?
आपको बता दें कि इसी मंदिर के पीछे माता सीता की रसोई स्थित है। माता सीता की रसोई देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो जाते हैं। सीता की रसोई एक मंदिर की तरह है। इसमें भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न व उन सभी की पत्नियों सीता, उर्मिला, मांडवी और सुक्रिर्ति की मूर्तियां स्थापित हैं।
रसोई में हैं बचे हुए बर्तन
रसोई में प्रतीकात्मक बर्तन रखे हुए हैं, जिनमें प्लेट, चकला और बेलन हांडी आदि भी हैं। ज्ञात हो कि त्रेता युग में यह पारंपरिक रिवाज हुआ करता था कि जब नव-वधू शादी के बाद पूरे परिवार के लिए भोजन बनाती थी। शगुन के तौर पर नव वधू अपने हाथों का भोजन परिवार को करवाती थी।
सीता माता ने भी इस रसोई में पंच ऋषियों को भोजन करवाया था। इसलिए माता सीता समस्त लोक की अन्नपूर्णा हैं। रसोई के अलावा अयोध्या में सीता माता का जानकी कुंड भी काफी लोकप्रिय है।
अयोध्या के रामघाट पर स्थित जानकी कुंड एक भव्य स्थान है। कहा जाता है कि माता सीता इस नदी कुंड में स्नान किया करती थीं। अयोध्या नगरी में चित्रकूट एक शांत एंव हरियाली से भरपूर मनमोहक स्थान हैl
ये हैं 13 प्लेसेस कहीं श्रीराम करते थे आराम, कहीं माता सीता बनाती थीं खाना
अयोध्या में जन्में भगवान राम का यूपी के चित्रकूट से गहरा नाता रहा है। यह देश के फेमस तीर्थस्थलों में से एक है। चित्रकूट पर शोध करने वाले डॉ. राम नारायण त्रिपाठी बताते हैं, 14 साल के वनवास के दौरान भगवान राम ने 11 साल चित्रकूट में बिताए थे। वह अयोध्या से निकल रामेश्वरम होते हुए श्रीलंका तक गए। चित्रकूट इनमें से सबसे अहम स्थान है।
आज आपको चित्रकूट और भगवान राम के संबंध और उनसे जुड़ी कुछ खास जगहों के बारे में बताने जा रहा है।
रुपौली वृक्ष
कहा जाता है कि चित्रकूट में प्रवेश करने के बाद भगवान राम इसी स्थान पर रुके थे। यहां उन्होंने सीता और लक्ष्मण के साथ विश्राम किया। यह स्थल बेहद रहस्मयी लगता है। अनादिकाल से यह साधू-संतों की तपस्या स्थल रहा। मान्यता है कि आज भी वही साधु-संत अदृश्य होकर यहां तपस्या करते हैं।
कामदगिरी पर्वत
अयोध्या से निकल श्रीराम इलाहबाद के बाद चित्रकूट पहुंचे थे। चारों ओर से पहाड़ियों और जंगलों से घिरा चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे बसा है। यहां के कामदगिरी पर्वत पर भगवान राम ने काफी समय बिताया। उनसे जुड़ा सबसे अहम कामतानाथ मंदिर इसी पहाड़ी पर स्थित है। कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा 5 किलोमीटर है। भगवान राम को यहां कामतानाथ कहा जाता है, इसका अर्थ है सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला।
रामघाट
यह घाट पर भगवान राम स्नान करते थे। भरत मिलाप मंदिर भी इसी स्थान पर है। यहाँ गोस्वामी तुलसीदासजी की प्रतिमा भी है। मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट पर धार्मिक कार्यक्रम चलते रहते हैं। लाखों श्रद्धालु इस स्थान पर स्नान करने आते हैं।
लक्ष्मण पहाड़ी
कामदगिरी पर्वत पर वह पहाड़ी है, जहां भगवान राम और सीता आराम करते थे, तब लक्ष्मण उनकी रक्षा के लिए तैनात रहते थे। इसीलिए इस पहाड़ी को लक्ष्मण पहाड़ी कहा जाता है।
हनुमान धारा
पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा है। हनुमान जब लंका दहन कर लौटे तो उनका शरीर तप रहा था, उन्हें जलन हो रही थी। हनुमान की इस परेशानी को दूर करने के लिए भगवान राम ने अपने बाण से पर्वत पर पानी की धारा निकाल दी। पानी की इसी धारा के नीचे बैठ हनुमान को राहत मिली। इस स्थान पर हनुमान जी की मूर्ती स्थापित है। पानी की यह धारा आज भी पर्वत से गिरती है। आज भी यह रहस्य है कि हज़ारों सालों से यह पानी कहाँ से आ रहा है. यहाँ के पुजारी विजय उपाध्याय बताते हैं कि आश्चर्य की बात यह है कि आज तक यह नहीं पता चल सका कि यह जल कहां से आता है और कहां अदृष्य हो जाता है। वह बताते हैं कि पानी हनुमान जी की बायीं भुजा पर गिरता है. उनकी प्रतिमा यहाँ स्थापित है.
सीता रसोई
हनुमान धारा के पास ही सीता रसोई है। यहां मां सीता भगवान राम और लक्ष्मण के लिए खाना बनाया करती थीं।
भरत मिलाप स्थल
कामदगिरी पर्वत पर भरत मिलाप स्थल स्थित है। अयोध्या का राजकाज मिलने और पिता दशरथ के निधन के बाद भरत भगवान राम से मिलने पहुंचे। यहां से वह श्रीराम की चरण पादुका (चप्पल) अपने साथ ले गए। अयोध्या पहुंच भरत ने यही चरणपादुका राज सिंहासन पर रखी। इसके बाद ही उन्होंने राजकाज संभाला।
अत्रि ऋषि के आश्रम
चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहते थे। इस स्थान पर भगवन राम ने कुछ समय बिताया। अत्रिऋषि की पत्नी अनुसूइया के तपोबल से ही भगीरथी गंगा की एक पवित्र धारा चित्रकूट पहुंची। यही नदी मंदाकिनी नाम से फेमस है। अत्रि ऋषि के आश्रम के आस-पास राक्षसों का समूह रहता था। अत्रि और अनुसूइया इससे परेशान रहते थे। भगवान श्रीराम ने उन राक्षसों का वध किया। वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में इसका वर्णन है। कहा जाता है कि यहीं सती अनुसुइया ने देवी सीता को पतिव्रत धर्म का उपदेश दिया था।
जानकी कुंड
रामघाट से करीब 2 किलोमीटर दूर मंदाकिनी नदी के किनारे जानकी कुण्ड है। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता था। मान्यता है कि सीता यहां स्नान करती थीं। जानकी कुण्ड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार ही स्फटिक शिला है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान हैं। बताया जाता है, जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक (कौआ) रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। यही नहीं, इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुन्दरता निहारते थे।
भरतकूप
भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर यहां रखा था। अत्रि मुनि के परामर्श पर भरत ने जल एक कूप में रख दिया था। इसी कूप को भरत कूप के नाम से जाना जाता है। भगवान राम को समर्पित यहां एक मंदिर भी है।
गुप्त गोदावरी
चित्रकूट से 18 किलोमीटर दूर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहां 2 गुफाएं हैं। एक चौड़ी और ऊंची है। इसका प्रवेश द्वार इतना संकरा है कि यहां आसानी से नहीं घुसा जा सकता। गुफा के आखिर में एक छोटा तालाब है। इसी को गोदावरी नदी कहते हैं। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है। इससे पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस गुफा के आखिर में भगवान राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।
अनसुइया अत्रि आश्रम
स्फटिक शिला से लगभग 4 किमी. की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्रि मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेयय और दुर्वाशा मुनी की प्रतिमा स्थापित हैं।
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Hanuman Dhara Panchmukhi Hanuman Ji Sita Rasoi Chitrakoot Darshan By Sangita
Chitrakoot Darshan : Hanuman Dhara Panchmukhi Hanuman Ji Sita Rasoi
Album Name :- Chitrakoot Darshan
Singer :- Sangita
Copyright :- Shubham Audio Video
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#rbsastrology Ayodhya में देखिए सीता माता की रसोई का अद्भुत चमत्कार
कैसी दिखती है माता सीता की रसोई और क्या है खासियत?
राम मंदिर के फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीता की रसोई का जिक्र किया है।आखिर, क्या है सीता माता की रसोई और, क्या संबंध है इसका राम मंदिर से। दरअसल, सीता की रसोई वास्तव में एक शाही रसोई घर नहीं बल्कि, एक मंदिर है। यह मंदिर राम जन्म भूमि के उत्तरी - पश्चिमी भाग में है। इस मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न उन सभी की पत्नियों, सीता, उर्मिला, मांडवी और, सुक्रिर्ति की मूर्तियां लगी हुई हैं
चित्रकूट धाम, जहां वनवास के दौरान ठहरे थे प्रभु राम सीता और लक्ष्मण # Chitrkut Dham Ki Mahima
चित्रकूट धाम # जहां वनवास के दौरान ठहरे थे प्रभु राम सीता और लक्ष्मण
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हनुमान धारा और सीता रसोई जहां 800 सीढ़ियां चढ़कर करते हैं दर्शन l
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हनुमान धारा चित्रकूट एक ऐसी जगह जहां मन को मिलता है सुकून l अगर आपको हमारी यह वीडियो अच्छी लगे तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर दे और हो सके तो शेयर करना ना भूले l
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Sita Rasoi Darshan chitrakut Dham
katha, bhajan
Seeta ki Rasoi - Bithoor ! Kanpur
Valmeki Ashram, Bithoor is an ancient place know as the birth place of Luv and Kush.
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हनुमान धारा दर्शन | चित्रकूट धाम | उत्तर प्रदेश | मध्य प्रदेश | Uttarpradesh Tourism
हनुमान धारा मंदिर चित्रकूट धाम ।
यूं तो भारत में एक से बढ़ कर एक हनुमान जी के भव्य मंदिर हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के बांदा से लगे मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित चित्रकूट धाम के हनुमान धारा मंदिर की बात ही कुछ और है। वहां एक ओर पौराणिकता का भव्य नजारा देखने को मिलता है तो वहीं श्रीराम की कृपा भक्तशिरोमणि हनुमान जी पर कितनी थी, इसका भी संकेत मिलता है। कहा जाता है कि श्रीराम को जब हनुमान जी ने कहा, ‘हे प्रभु, लंका को जलाने के बाद तीव्र अग्नि से उत्पन्न गरमी मुझे बहुत कष्ट दे रही है। मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मैं इससे मुक्ति पा सकूं। इस कारण मैं कोई अन्य कार्य करने में बाधा महसूस कर रहा हूं। कृपया मेरा संकट दूर करें।’ तब प्रभु श्रीराम ने मुस्कराते हुए कहा, ‘चिंता मत करो। आप चित्रकूट पर्वत पर जाइये। वहां आपके शरीर पर अमृत तुल्य शीतल जलधारा के लगातार गिरने से आपको इस कष्ट से मुक्ति मिल जाएगी।’ आज भी वहां हनुमान जी की बायीं भुजा पर लगातार जल गिरता नजर आता है। इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है। इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं।धारा का जल पहाड़ में ही विलीन हो जाता है।
हनुमान धारा में बंदरो का भरमार है।सारे रास्ते बंदरो को चना खिलाते हुए भक्त गण सीढ़ियां चढते हुए दिख जायेंगे लेकिन सावधान! बंदरों को चना खिलाते वक्त कई बार अप्रिय स्थिति भी पैदा हो जाती है।
सिंदूर और तेल में रचे-बसे हनुमान जी के दर्शनों से पहले नीचे बने कुंड में हाथ-मुंह धोना कोई भी भक्तगण नहीं भूलता। हनुमान धारा से ठीक 100 सीढ़ी ऊपर सीता रसोई है, जहां माता सीता ने भोजन बना कर भगवान श्रीराम और देवर लक्ष्मण को खिलाया था।
#GRSSantosh #Hanumandhara #Chitrakoot
Kevin MacLeod का Dhaka, Creative Commons Attribution लाइसेंस ( के अंतर्गत लाइसेंसीकृत है
स्रोत:
कलाकार:
Sita Kund Mystery - Vindhyachal | Sita Kund | Vindhyachal Mirzapur
Sita Kund Mystery - Vindhyachal | Sita Kund | Vindhyachal Mirzapur
विंध्याचल के अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित सीता कुंड बहुत ही दिव्य जगह है, क्योंकि इसी जगह पर श्री राम भगवान ने बाण मारकर जल का श्रोत निकाला था । तब से लेकर आज तक इस कुंड में पानी आता रहता है ।
पानी पूरी तरह औषधियुक्त है, जिसे पीने मात्र से ही सारे रोग दूर हो जाते है ।
यही पास में ही माता सीता के चरण पादुका है, कहा जाता हैं की इसी जगह पर माता सीता ने खाना बनाने के लिये रसोई भी बनायी थी ।
ये जगह विंध्याचल से ३ किलोमीटर दूर अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित है ।
#Sitakund
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Background Music
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Source:
Artist:
Mahadev Safar
Gupt Godavari Chitrkut //गुप्त गोदावरी चित्रकूट
District Satana mp Gupt Godavari Chitrkut //गुप्त गोदावरी चित्रकूट सतना मध्यप्रदेश Gupt Godavari Chitrkut //गुप्त गोदावरी चित्रकूट
1. सती अनुसूइया जी का दर्शन किजिये लिंक ????
2. चित्रकूट परिक्रमा दर्शन लिंक ????
3. रामघाट की महिमा लिंक????
4. चित्रकूट रामघाट का अद्भुत दृश्य लिंक ????
5. चित्रकूट कोठ तीर्थ अति सुन्दर लिंक ????
6. देवांगना इसके बारे बहोत कम लोग जानते है लिंक ????
7. चित्रकूट के बंदर लिंक ????