sitamarhi bhadohi || maa janki temple sitamarhi ll mata sita samahit sthal
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सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी) मंदिर संत रविदास नगर जिला में स्थित है। sitamarhi mandir इलाहबाद और वाराणसी के मध्य स्थित जंगीगंज बाज़ार से ११ किलोमीटर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यता है कि इस स्थान पर माँ सीता से अपने आप को धरती में समाहित कर लिया था। यहाँ पर हनुमानजी की ११० फीट ऊँची मूर्ति है जिसे विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति होने का गौरव प्राप्त है।
sita marhi ऐसा मान्यता है की जब मर्यादा पुरसोत्तम भगवन श्री राम ने माता सीता का परित्याग किया तब माता सीता सीतामढ़ी आकर महर्षि वाल्मीकि आश्रम में रही और यही सीतामढ़ी में आषाढ़ अस्टमी के दिन लव और कुश का जन्म हुआ II
सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी ) में दूर दूर से श्रद्धालु आकर माँ गंगा में स्नान करके माता सीता व् हनुमान जी का दर्शन करते है
jangiganj sitamani मान्यता यह भी है की SITA SAMAHIT STHAL (SITAMARHI) वही भूमि है जहा लव कुश ने अस्वमेघ यज्ञ का घोडा पकड़ा था और महाबली वीर हनुमान को बंधक बनाया था II
स्वामी जितेंद्रानंद जी महाराज के असीम प्रयास से और श्री प्रकाश नारायण पुंज की मदद से सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी का यह भूमि पर्यटल स्थल के रूप में उभर कर आया II
सीता मढ़ी मंदिर के इस स्थान के कण कण में माता सीता वसी हुई है
हम अपने यूट्यूब चैनल विकास स्टूडियो भदोही के माध्यम से SITA SAMAHIT STHAL (SITAMARHI) का यात्रा दर्शन कराने का एक छोटा सा प्रयास किये है II
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सीतामढ़ी के नजारे , Sita Samahit Sthal Sitamarhi Bhadohi
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नमस्कार दोस्तों आज इस विडियो में सीतामढ़ी के नजारे दिखाने वाला हूं विडियो अच्छा लगता है तो लाइक करे शेयर करें धन्यवाद।
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Sita Samahit Sthal Sitamarhi temple full documentary 2018 | सीतामढ़ी- सीता समाहित स्थल
प्रतापगढ़ से सीतामढ़ी की इस यात्रा में आप सभी का स्वागत है। इस यात्रा के दौरान हम 110 किलोमीटर का सफर तय करके सीतामढ़ी पहुंचेंगे। यात्रा के पहले पड़ाव में प्रतापगढ़ भुपियामऊ चौराहे से जौनपुर वाले हाईवे से होते हुए पहले पहुंचेंगे 35 km का सफ़र तय करके मुंगरा बादशाहपुर, मुंगरा बादशाहपुर से 16km दूर फूलपुर, फूलपुर से 11.5 km चलने के बाद पहुंचेगे NH 2, जिस पर उच्च गति से आगे बढ़ते हुए हड़िया बाजार उसके आगे बरौत मार्केट फिर वहां से 7 km दूर सीतामढ़ी। वह जगह जहां पर सीता ने अपनी जननी वसुंधरा के गोद में समाधि ले ली।
इस मंदिर का निर्माण किया स्वामी जीतेंद्रान्नद जी ने जो पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। अपना अधिकतर समय उन्होंने ऋषिकेश के एक आश्रम में गुजारा। यहां पर उन्होंने धर्म ग्रंथों का अध्ययन किया। उसके पश्चात वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि संपूर्ण भारत में भगवान श्री राम के कई मंदिर मिलते हैं लेकिन उस जगह का कोई विवरण नहीं प्राप्त होता जहां पर सीता ने समाधि ली थी। उस जगह की खोज में वह गंगा नदी के किनारे 900 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए यहाँ पहुंचे क्योंकि पुराणों के अनुसार वह जगह गंगा नदी के ही किनारे कहीं पर सम्भव था। स्थानीय लोगों द्वारा पता चला की यहां वाल्मीकि का प्राचीन आश्रम था। धर्म ग्रंथों के अनुसार माता सीता के जीवन काल का अंतिम समय बाल्मीकि के ही आश्रम में गुजरा था। अतः उन्होंने इस आश्रम के आसपास ही सीता समाहित स्थल के बारे में अनुमान लगाया तत्पश्चात इस भव्य मंदिर का निर्माण हो सका।
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीराम ने माता सीता का त्याग कर दिया था तब इसी जगह पर निवास कर रहे बाल्मीकि जी ने माता सीता को शरण दिया। लव कुश का बचपन यहीं पर गुजरा और यही पर उनकी शिक्षा भी हुई। जब भगवान श्री राम के द्वारा अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया गया तब लवकुश ने उनके अश्व को रोकने का दुस्साहस किया। अयोध्या से हनुमान एवं अन्य लोग उस घोड़े को छुड़ाने के लिए यहां पर पहुंचे परंतु लव कुश के आगे सभी विवस थे। अंत में भगवान श्री राम जब यहाँ पर आये तब उन्हें इस बात का ज्ञान हुआ कि लव कुश स्वयं उनके पुत्र थे। माता सीता ने भगवान श्रीराम को उनके पुत्र सौपते हुए स्वयं पृथ्वी माता से यह आग्रह किया कि यदि उन्होंने संपूर्ण जीवन भगवान श्रीराम को अपना पति मानकर मन वचन एवं कर्म से सतीत्व का जीवन जिया हो तो वह उन्हें अपनी गोद में समा लें। तब धरती फटी और माता सीता उसमें समां गई। इस तरह से भगवान श्रीराम को माता सीता के सतीत्व का प्रमाण प्राप्त हुआ। उसके बाद दु:खी मन से वह लवकुश को लेकर अयोध्या लौट गए।
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Sita Samahit Sthal (Sitamarhi) Temple
Sita Samahit Sthal is located in Bhadohi District, Uttar Prades India.
Founded by- Sri Prakash Narayan punj.
Sita Samahit Sthal (Sitamarhi), the holy place of Sitamarhi is situated between Allahabad and Varanasi, near the national highway No. 2 and also connected with Allahabad and Varanasi railway line with Jungiganj, the nearest railway station. It is a well known Hindu pilgrimage and a good tourist spot with a lot of tourists almost throughout the year.
It is said that this temple is the place where Sita went into the earth when she willed it while she was living with Saint Valmiki in the forest of Sitamarhi. It was Saint Valmiki who wrote Ramayana. According to Ramayana when Lord Rama came to Sita to ask her to come with him. According to Ramayana and other sacred books of Hindu dharma, when Lord Rama returned from the grand victory on Ravana the powerful king of Lanka. After becoming the king of Ayodhya a big yaga was held by Lord Rama and the horse of that grand yagya Ashvamedha was released from Ayodhya, the horse was to move in any direction or in any kingdom, the king of that kingdom should have to declare Rama as his Emperor. When the horse was wandering in the jungle of now Baripur village of Bhadohi, the two sons of Sita captured the horse according to the declaration that was tagged on the forehead of the horse.
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सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी) मंदिर संत रविदास नगर जिला में स्थित है। यह मंदिर इलाहबाद और वाराणसी के मध्य स्थित जंगीगंज बाज़ार से ११ किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यता है की इस स्थान पर माँ सीता से अपने आप को धरती में समाहित कर लिया था। यहाँ पर हनुमानजी की ११० फीट ऊँची मूर्ति है जिसे विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति होने का गौरव प्राप्त है। स्वामी जितेंद्रानंद जी के असीम प्रयास से और श्री प्रकाश नारायण पुंज की मदद से ये स्थान पर्यटक स्थल के रूप में उभर कर आया है। अष्ट सिद्धि नौ निधियों वाले राम भक्त बजरंग बली के अथाह बल और शक्ति से तो सभी परिचित हैं। हनुमान को युद्ध में हराने में बड़े-बड़े शूरवीर भी घुटने टेक लेते थे। लेकिन भदोही की एक ऐसा पुण्यधाम है जहां न सिर्फ महाबली हनुमान को हार मिली, बल्कि अयोध्यापति श्रीराम की शक्तिशाली सेना भी इसी जगह परास्त हुई थी। काशी और इलाहाबाद के बीच स्थित सीतामढ़ी धाम जो भदोही जिले में स्थित है। इस धाम की पौराणिक महत्ता है। मान्यता है कि इसी जगह पर आदिकवि महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था और माता सीता ने यहीं लव-कुश कुमारों को जन्म दिया था। इसी जगह लव-कुश ने रोका था अश्वमेघ का घोड़ा इस जगह पर लव-कुश भाइयों ने श्रीराम के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को ना सिर्फ रोक लिया था बल्कि घोड़े को छुड़ाने आए महाबली हनुमान सहित अयोध्या नरेश के दूत चंद्रकेतु, शत्रुघ्न, भरत और लक्ष्मण तक को युद्ध में परास्त कर दिया था। बाद में स्वयं अयोध्यापति श्रीराम के रणभूमि में आने पर महर्षि वाल्मीकि और माता सीता ने वास्तुस्थिति का ज्ञान कराया। लव-कुश ने यहीं लिया था शिक्षा-दीक्षा वर्तमान में कालीन नगरी के नाम से पूरे विश्व में मशहूर भदोही के जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर सीतामढ़ी स्थित बाल्मीकि आश्रम में जन्मे लव-कुश कुमारो ने मां जानकी के निर्वासित जीवन काल के दौरान महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में रहकर शिक्षा-दीक्षा हासिल की थी। भगवन राम के अश्वमेघ यज्ञ के दौरान लव कुश कुमारों ने सीतामढी में ही श्री राम के अश्वों को पकड़ कर बंधक बनाया था। यहां है 108 फीट ऊंची महाबली हनुमान की प्रतिमा मान्यताओं के अनुसार जिस स्थान पर लव-कुश भाइयों ने महाबली हनुमान को बंधक बना लिया था उसी स्थान पर बजरंग बली की 108 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। कहा जाता है कि चित्रकूट से काशी के लिए गंगा किनारे से होकर चलते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने सीतामढ़ी में तीन दिन तक वास किया था। इसी स्थान पर महर्षि बाल्मीकि का आश्रम भी है। यहां दक्षिण भारत समेत देश-विदेश से हजारों पर्यटकों का प्रतिदिन आना जाना लगा रहता हैं। दो-दो स्थानों पर है सीतामढ़ी, लेकिन यहां सीतावट है साक्षी देश में दो स्थानों पर सीतामढ़ी होने का दावा किया जाता है। इनमें एक बिहार में स्थित है जबकि दूसरा यूपी के भदोही जिले में स्थित है। दोनों स्थानों को लेकर रचनाकारों में लंबी बहस भी हो चुकी है। मान्यता है कि बिहार के सीतामढ़ी में राजा जनक को मां जानकी घड़े से प्राप्त हुईं थीं जिन्हें जनक ने अपनी पुत्री बना लिया था। वहीं भदोही के सीतामढ़ी स्थित वाल्मीकि आश्रम में माता सीता ने श्रीराम द्वारा त्याग दिये जाने के बाद निर्वासित जीवन बिताया था। यहां भोजन पकाकर खाने से पूरी होती है मनोकामनाएं सीतामढ़ी स्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली में हजारों वर्ष पुराना एक वृक्ष है, जिसे सीतावट के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की इस वट के नीचे भोजन बना कर खाने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
சீதா தேவி கோயில் - சீதாமரி - Sita Gund - sita mandir - Sitamarhi
Chennai yatras 09444272326, 080562 43872
இது சென்னை யாத்ராவின் சீதா தேவி கோயில் - சீதாமரி பயணம்
ஆகும் :
பக்தர்களின் ஆன்மிக தரிசன
கனவினை நனவாக்கி
அவர்கள்
இறைவன் அருள் பெற
எங்கள் சென்னை யாத்ரா
உறுதுணையாக உள்ளது
சிவனடியார் குழுக்களுக்கு
பலவகையான சலுகைகள்
அவர்கள் விரும்பிய தேதியில்
யாத்திரை
ஏற்பாடு செய்து தரப்படும் .
ஓம் நமச்சிவாய
சிவாய நமக
Tour packages:
Kasi package : Kasi, prayagraj(Allagabad triveni sangamam), sita marhi, Gaya, Ayothi, brindawan, madura.
and other places. (Every mointh ) train and bus (Flight on request)
south indian food with accomadation.
kedarnath package: delhi, haridwar, rishikesh, kuptkasi, kedarnath, badrinath, joshimatt, pancha prayags.and other places. ( June, July, August)train and bus (Flight on request)south indian food with accomadation
Amarnath package: delhi, punjob waha barder, amirtsaras golden temple, jamu, kashmir, amarnath and other places ( June, July, August)train and bus (Flight on request)south indian food with accomadation
Gulu manali package: Delhi, punjob,waha barder, amirtsaras golden temple, Gulu Manali, simla and other places. (April, May, June, July, August).train and bus (Flight on request)south indian food with accomadation
North indian tours will be arranged on request from tamil nadu for Goup tour minimum of 25 persons. ( tour places will be selected by your choice)train and bus (Flight on request)south indian food with accomadation.
History:
சீதா தேவி கோயில் - சீதாமரி - Sita Gund - Sitamarhi
Seetha devi mandir - Sitamarhi - Seetha take fire bath to prove her chastity here.
The Sita-Kund is a Hindu pilgrimage site in Sitamarhi district, in the Indian state of Bihar, which has an ancient Hindu temple. It is situated 5 km west of Sitamarhi town and a popular visitor's attraction.
This is the place where Sita was born, the main character of the epic Ramayana.
The town is situated along the border of Nepal
Chennai shivalaya is the tour arrange company in chennai for shiva devotees and shiva nadiyar kuzu/sangh. Easy travel, Great Dharshan, safe for elders and old age peoples. Kasi, kedarnath, Badrinath, Haridwar, Rishikesh, Ramshwaram, and 12 jothilingas, More than 500 successful tours were completed. for more details call 09444272326.
Politics on Sitamarhi Sita Temple in Bihar
सीतामढ़ी में जानकी मंदीर बनाने की घोषणा पर घमासान छिड़ गया है. राम मंदिर के बाद अब सीता मंदिर पर सियासत अब तेज हो गई है. विपक्ष ने सरकार पर बिहार में बीजेपी का एजेंडा लाने का आरोप लगाया तो सत्ता पक्ष ने विपक्ष के धार्मिक आस्था पर सवाल उठा रहा है.
JANAKPUR, Nepal | Birth Place of Sita | Janaki Temple | Janakpurdham | Mithila
Hi guys, this time I am back with travel video about Janakpurdham, Nepal. Nepal is a very beautiful country with a lot of places to visit from temples to monasteries, green forests to white himalayas, still lake to huge waterfalls.
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सीता की समाधि (सीतामढ़ी) - Sita Samahit Sthal - On 29th April 2017 - ETV Bihar Jharkhand
सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी) मंदिर संत रविदास नगर जिला में स्थित है। यह मंदिर इलाहबाद और वाराणसी के मध्य स्थित जंगीगंज बाज़ार से ११ किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यता है की इस स्थान पर माँ सीता से अपने आप को धरती में समाहित कर लिया था। यहाँ पर हनुमानजी की ११० फीट ऊँची मूर्ति है जिसे विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति होने का गौरव प्राप्त है। स्वामी जितेंद्रानंद जी के असीम प्रयास से और श्री प्रकाश नारायण पुंज की मदद से ये स्थान पर्यटक स्थल के रूप में उभर कर आया है।
In Indian tradition, Sitamarhi has got huge importance, because it was here that Lord Rama’s wife Maa Sita ji was abandoned gave birth to Luv & Kush and descend into the lap of Mother Earth forever. The only presented Valmiki Ashram on the banks of the river Ganges is located here. Sitamarhi thus carry deep religious values and significance and is considered a holy ‘Teerth’ like Prayagraj & Kashi. Today, here stands a wonderful and attractive Shree Sita Samahit Temple visited by thousands of pilgrims everyday with deep faith and reverence.
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Sita Samahit Sthal - Sitamarhi ( Sitamadhi ) UttarPradesh
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Sita's birthplace Sitamarhi a matter of faith, says BJP MP Mahesh Sharma
The birthplace of Sita is a matter of faith and there is no historical evidence to prove that she was born in Bihar's Sitamarhi, Union culture minister Mahesh Sharma said in the Rajya Sabha
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sitamarhi temple Gopiganj bhadohi (Sita Samadhi Sthal)
A holy place in the middle of Varanasi & Allahabad, Sita Samahit Sthal situates on the banks of the Ganga river. This sleepy district in the eastern uttarpradesh upholds a long tradition and cultural heritage that has its footings on the great epic Ramayana. As the name suggests, Sita samahit sthal is closely related to Sita devi, the icon of Indian women hood.
Sitamarhi for more visit gopiganj.blogspot.com
Janakpur | Sitamarhi | Mithila | सीतामढ़ी | जनकपुर | Janki mandir | जानकी मंदिर
जनकपुर के जानकी मंदिर की संक्षिप्त जानकारी इस वीडियो में मिलेंगी...
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sitamarhi temple bhadohi
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सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी) मंदिर संत रविदास नगर जिला में स्थित है। यह मंदिर इलाहबाद और वाराणसी के मध्य स्थित जंगीगंज बाज़ार से ११ किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यता है की इस स्थान पर माँ सीता से अपने आप को धरती में समाहित कर लिया था। यहाँ पर हनुमानजी की ११० फीट ऊँची मूर्ति है जिसे विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति होने का गौरव प्राप्त है। स्वामी जितेंद्रानंद जी के असीम प्रयास से और श्री प्रकाश नारायण पुंज की मदद से ये स्थान पर्यटक स्थल के रूप में उभर कर आया है।
अष्ट सिद्धि नौ निधियों वाले राम भक्त बजरंग बली के अथाह बल और शक्ति से तो सभी परिचित हैं। हनुमान को युद्ध में हराने में बड़े-बड़े शूरवीर भी घुटने टेक लेते थे। लेकिन भदोही की एक ऐसा पुण्यधाम है जहां न सिर्फ महाबली हनुमान को हार मिली, बल्कि अयोध्यापति श्रीराम की शक्तिशाली सेना भी इसी जगह परास्त हुई थी।
काशी और इलाहाबाद के बीच स्थित सीतामढ़ी धाम जो भदोही जिले में स्थित है। इस धाम की पौराणिक महत्ता है। मान्यता है कि इसी जगह पर आदिकवि महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था और माता सीता ने यहीं लव-कुश कुमारों को जन्म दिया था।
इसी जगह लव-कुश ने रोका था अश्वमेघ का घोड़ा
इस जगह पर लव-कुश भाइयों ने श्रीराम के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को ना सिर्फ रोक लिया था बल्कि घोड़े को छुड़ाने आए महाबली हनुमान सहित अयोध्या नरेश के दूत चंद्रकेतु, शत्रुघ्न, भरत और लक्ष्मण तक को युद्ध में परास्त कर दिया था। बाद में स्वयं अयोध्यापति श्रीराम के रणभूमि में आने पर महर्षि वाल्मीकि और माता सीता ने वास्तुस्थिति का ज्ञान कराया।
लव-कुश ने यहीं लिया था शिक्षा-दीक्षा
वर्तमान में कालीन नगरी के नाम से पूरे विश्व में मशहूर भदोही के जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर सीतामढ़ी स्थित बाल्मीकि आश्रम में जन्मे लव-कुश कुमारो ने मां जानकी के निर्वासित जीवन काल के दौरान महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में रहकर शिक्षा-दीक्षा हासिल की थी। भगवन राम के अश्वमेघ यज्ञ के दौरान लव कुश कुमारों ने सीतामढी में ही श्री राम के अश्वों को पकड़ कर बंधक बनाया था।
यहां है 108 फीट ऊंची महाबली हनुमान की प्रतिमा
मान्यताओं के अनुसार जिस स्थान पर लव-कुश भाइयों ने महाबली हनुमान को बंधक बना लिया था उसी स्थान पर बजरंग बली की 108 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। कहा जाता है कि चित्रकूट से काशी के लिए गंगा किनारे से होकर चलते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने सीतामढ़ी में तीन दिन तक वास किया था। इसी स्थान पर महर्षि बाल्मीकि का आश्रम भी है। यहां दक्षिण भारत समेत देश-विदेश से हजारों पर्यटकों का प्रतिदिन आना जाना लगा रहता हैं।
दो-दो स्थानों पर है सीतामढ़ी, लेकिन यहां सीतावट है साक्षी
देश में दो स्थानों पर सीतामढ़ी होने का दावा किया जाता है। इनमें एक बिहार में स्थित है जबकि दूसरा यूपी के भदोही जिले में स्थित है। दोनों स्थानों को लेकर रचनाकारों में लंबी बहस भी हो चुकी है। मान्यता है कि बिहार के सीतामढ़ी में राजा जनक को मां जानकी घड़े से प्राप्त हुईं थीं जिन्हें जनक ने अपनी पुत्री बना लिया था। वहीं भदोही के सीतामढ़ी स्थित वाल्मीकि आश्रम में माता सीता ने श्रीराम द्वारा त्याग दिये जाने के बाद निर्वासित जीवन बिताया था।
यहां भोजन पकाकर खाने से पूरी होती है मनोकामनाएं
सीतामढ़ी स्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली में हजारों वर्ष पुराना एक वृक्ष है, जिसे सीतावट के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की इस वट के नीचे भोजन बना कर खाने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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सीतामढी ,सीता माता जन्म विशेष// Sitamarhi
बिहार, भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल ,बिहार के पर्यटन स्थल ,भारत के पर्यटन स्थल, माता सीता ,जय श्री राम ,सीताराम ,सीतामढ़ी
Morning Breaking: Nitish Kumar to visit Sitamarhi, assures reconstruction of Sita temple
Bihar CM Nitish Kumar will visit Sitamarhi district of Bihar today and will inaugurate the Janaki Mohotsav. He also assured that Sita temple will be reconstructed in the district.
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Namaskaar, Dosto Aj ki ye video Bahut hi important hai kyo ki es video hamane ????
Sitamarhi ki yatra ki hai or vaha ki sabhi
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Sitamarhi temple Bhadohi | Gopiganj bhadohi (Sita Samadhi Sthal)
Sita Samahit Sthal Sitamarhi Bhadohi
Sitamarhi temple, Gopiganj bhadohi (Sita Samadhi Sthal) by Happy Guide
A holy place in the middle of Varanasi & Allahabad, Sita Samahit Sthal situates on the banks of the Ganga river. This sleepy district in the eastern uttarpradesh upholds a long tradition and cultural heritage that has its footings on the great epic Ramayana. As the name suggests, Sita samahit sthal is closely related to Sita devi, the icon of Indian women hood.
It is said that this temple is the place where Sita went into the earth when she willed it while she was living with Saint Valmiki in the forest of Sitamarhi.
Address: Jangiganj Dhantulsi Marg, Bankat Uparwar N. Barpur, Uttar Pradesh 221309
Phone: 075718 31190
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