विष्णु मंदिर जांजगीर (नकटा मंदिर) | VISHNU MANDIR, JANJGIR
विष्णु मंदिर जांजगीर (नकटा मंदिर) | VISHNU MANDIR, JANJGIR
is video me dekhiye Janjgir ka famous Vishnu Mandir jise Nakta Mandir bhi kehte hain, jo Bheema talab ke kinare bana hua hai.
is mandir ko Jajwalya Dev (pratham) ne 11vi satabdi me banwaya tha. is mandir ka nirman kisi karan se purn nahi ho paya isliye iske ander kisi devta ki murti nahi hai.
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बारहवीं शताब्दी में हुआ था नकटा मंदिर का निर्माण
हमर धरोवार के इस कार्यक्रम में हम आपको लेकर चलेंगे छत्तीसगढ़ के एक एेसे पर्यटक स्थल जो यहां की धरोवर है. आज हम आपको लेकर जा रह है नकटा मंदिर और साथ ही जानते है कि इस मंदिर का नाम नकटा मंदिर क्यों रहा. नकटा मंदिर का निर्माण बारहवीं शताब्दी में हुआ था. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण अधूरा रह गया था जिसके कारण इस मंदिर का नाम नकटा मंदिर रखा गया. इस मंदिर के अधूरे निर्माण के पीछे कई देत कथाएं है. इस मंदिर के चारों ओर कलात्मक मूर्तियों का अंकन है.
Vishnu Mandir | Nakta Mandir | Janjgri Chhattisgarh | Explore Chhattisgarh | Dk808
Vishnu Temple Janjgir Chhattisgarh
Jai johar sangwari ho..
Ajj Main Apko Janjgir ke 11vi shatabdi ki Vishnu mandir le kar chaluga.. bahut khubsurat Mandir hai .. ap sabhi ye video pura dekhe..kaysa laga Comment karke jarur bataiye..
Specially Thanks
Video Editing: Shubham Koshle
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प्राचीन विष्णु मन्दिर.... जांजगीर
कोरबा के इतिहास,पुरात्तव,संस्कृति और सभ्यता से पूरी तरह तो नही फिर काफी कुछ वाकिफ होने के बाद मैंने सोचा आस-पास के जिलों की विरासत को भी देख लिया जाए जो इतिहास के सैकड़ों पन्ने हकीकत और किवदंतियों को अपने में समेटे हुए है ! साथियों की एक राय पर आज हम पास के जांजगीर-चाम्पा जिले की ओर निकाल पड़े ! कोरबा जिला मुख्यालय से करीब ५० किलोमीटर दूर जाजल्व्धानी है जहां पर इतिहास के अनमोल और हजारों साल पुरानी संस्कृति,सभ्यता के प्रमाण मौजूद है ! रास्ते भर यात्रा की नई मंजिल का जिक्र करते हम करीब सवा घंटें में जाज्ल्व्धानी पहुँच गए ! शायद आज यहाँ का साप्ताहिक बाजार है,पूछने पर मालूम हुआ हर बुधवार यहाँ मेले जैसा माहोल रहता है ! बाजार की चीजों को निहारते है उस ओर बढ़ रहे है जहां प्राचीन विष्णु मन्दिर है ! इस सरकारी प्रयास की वजह से हम बिना किसी से पूछे मन्दिर की ओर बढ़ते रहे ! कुछ ही दूरी पर भारतीय पुरातत्तय सर्वेक्षण के बोर्ड पर नजरें पड़ गई ! इस संरक्षित इलाके की बदहाली और सरकारी कोशिशों को चिढाती लोगो की अतिक्रमणकारियों की करतूत को निहारते-निहारते हम उस विरासत के करीब पहुँच गए जो हमारा गौरव है ! एक ऐसा अतीत जिसकी फिजाओं में भी इतिहास की सम्पन्त्ता भारी खुशबु रही होगी इसे देखकर कहा जा सकता है ! छत्तीसगढ़ के इस दक्षिण कोशल क्षेत्र में कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम ने भीमा तालाब के किनारे १२ वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य का अनुपम उदाहरण है। मंदिर पूर्वाभिमुखी है, तथा सप्तरथ योजना से बना हुआ है। गर्भगृह के दोनो ओर दो कलात्मक स्तंभ है जिन्हे देखकर यह आभास होता है कि पुराने समय में मंदिर के सामने महामंडप निर्मित था। परन्तु कालांतर में उसके अवशेष मात्र नजर आते है । मैंने इस मन्दिर की खूबसूरती और एतिहासिकता को महसूस करते-करते ये सोचा की हजारों साल पहले कला कितनी धनवान और समृद्ध थी !
An Ancient Historical Archaeological Famous Vishnu Temple Janjgir Champa Chhattisgarh
Vishnu Temple (often termed Dashavatara Temple) is located at Deogarh, Uttar Pradesh in Central India built in c. 500 AD.[1] The temple is one of the earliest Hindu stone temples still surviving today.[1] Built in the Gupta Period (320 to c. 600 AD), Vishnu Temple shows the ornate and beauty seen in Gupta style architecture.[2] This temple is also a good resource for examining Gupta style sculptures and art.[3]
The Dashavatara Temple or Vishnu Temple also called Gupta temple at Deogarh.
Entry frame of the Dasavatara temple.
Vishnu reclining on the serpent Shesha (Ananta) on a side panel of the Vishnu temple of 5th century.[4]
Many of these early Hindu stone temples were dedicated to a single Hindu deity. The temple at Deogarh is dedicated to the Vishnu.[1] These temples made in the early part of the 6th century of the Gupta Period housed images and symbols of Hindu gods.[5] These temples allowed people to make contact with the gods they were worshiping.[5] The Temple was built out of stone and brick consisting of a single cubical sanctum that sheltered the images within.[5] Statuaries of the Vishnu were both sculpted in the interior and exterior walls of the temple. The temple's affiliation with the deity Vishnu can be seen by looking at the statuary of the deity seated on a coiled serpent seat that decorates the carved doorway into the temple.[1] There are also many sculpted panels showing the myths and tales connected with Vishnu.[1]
Vishnu Temple is a great example of early Gupta architecture. The style and organization of the structure was the method for the decoration of many Hindu temples seen around India at the time.[1] Though it is in poor condition, having a damaged tower, the temple still exudes the ornate decorations and structural complexity created back in the early 6th century.
According to Lubotsky, this temple was the prototype for the sarvatobhadra temple described in Vishnudharmottara Purana[
Vishnu mandir(janjgir Champa)
विष्णु मंदिर (नकता मन्दिर) जांजगीर चांपा
Vishnu temple janjgir chattisgarh nKtaa mandir
Statue of different god and goddess on base of vishnu temple janjgir chattisgarh
जांजगीर का नकटा मंदिर | विष्णु मंदिर | भीमा तालाब | पर्यटन स्थल | janjgir ka vishnu mandir
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Vishnu temple janjgir chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के इस दक्षिण कोशल क्षेत्र में कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम ने भीमा तालाब के किनारे 12 वीं शताब्दी में एक मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य का अनुपम उदाहरण है। मंदिर पूर्वाभिमुखी है, तथा सप्तरथ योजना से बना हुआ है। मंदिर में शिखर हीन विमान मात्र है। गर्भगृह के दोनो ओर दो कलात्मक स्तंभ है जिन्हे देखकर यह आभास होता है कि पुराने समय में मंदिर के सामने महामंडप निर्मित था। परन्तु कालांतर में नहीं रहा। मंदिर का निर्माण एक ऊँची जगती पर हुआ है।
मंदिर के चारों ओर अत्यन्त सुंदर एवं अलंकरणयुक्त प्रतिमाओ का अंकन है जिससे तत्कालीन मूर्तिकला के विकास का पता चलता है। गर्भगृह के प्रवेश द्वार के दोनो ओर देवी गंगा और जमुना के साथ द्वारपाल जय-विजय स्थित हैं। इसके अतिरिक्त त्रिमूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्ति है। ठीक इसके ऊपर गरुणासीन भगवान विष्णु की मूर्ति स्थित है। मंदिर की जगती के दोनों फलक में अलग-अलग दृश्य अंकित हैं। एक फलक पर धनुर्धारी राम, सीता, लक्ष्मण तथा रावण और मृग अंकित हैं। दूसरे फलक पर रावण का भिक्षाटन और सीता हरण के दृश्य है। मंदिर के श्री राम द्वारा मृग वध और रावण द्वारा सीता हरण के दृश्य को मंदिर के प्रवेशद्वार के दोनों पार्शवों पर दो-दो के जोड़े में अर्द्ध स्तम्भ हैं जो दो मुख्य खंडों में बँटे हैं। इसमें लंबोदर तथा त्रिशीर्ष मुकुट युक्त कुबेर का अंकन है। मंदिर के शिखर में मृदंगवादिनी, पुरुष से आलिंगनबद्ध मोहिनी, खड्गधारी, नृत्यांगना मंजुघोषा, झांझर बजाती हंसावली आदि देवांगनाएँ अंकित हैं। मंदिर की उत्तरी जंघा में आंखों में अंजन लगाती अलसयुक्त लीलावती, चंवरधारी चामरा, बांसुरी बजाती वंशीवादिनी, मृदंगवादिनी, दर्पण लेकर बिंदी लगाती विधिवेत्ता आदि देवांगनाएं स्थित हैं। दक्षिण जंघा में वीणा वादिनी सरस्वती, केश गुम्फिणी, लीलावती, हंसावली, मानिनी, चामरा आदि देवांगनाएँ स्थित हैं।
मंदिर के उत्तरी, दक्षिणी और पश्चिमी जंघा में विभिन्न मुद्राओं में साधकों की मूर्तियाँ अंकित है। इसके अतिरिक्त उत्तरी जंघा के निचले छेद में स्थित मूर्ति तथा प्रवेशद्वार के दोनों पार्श्वों में अंकित संगीत समाज के दृश्य विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मंदिर के पृष्ठ भाग में सूर्य देव विराजमान हैं। मूर्ति का एक हाथ भग्न है लेकिन रथ और उसमें जुते सात घोड़े स्पष्ट हैं। यहीं नीचे की ओर कृष्ण कथा से सम्बंधित एक रोचक अंकन मंदिर के है, जिसमें वासुदेव कृष्ण को दोनों हाथों से सिर के ऊपर उठाए गतिमान दिखाये गये हैं। इसी प्रकार की अनेक मूर्तियाँ नीचे की दीवारों में खचित हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी समय में बिजली गिरने से मंदिर ध्वस्त हो गया था जिससे मूर्तियां बिखर गयी। उन मूर्तियों को मंदिर की मरम्मत करते समय दीवारों पर जड़ दिया गया। मंदिर के चारो ओर अन्य कलात्मक मूर्तियों का भी अंकन है जिनमे से मुख्य रूप से भगवान विष्णु के दशावतारो में से वामन, नरसिह, कृष्ण और राम की प्रतिमाएँ है। छत्तीसगढ के किसी भी मंदिर मे रामायण से सम्बंधित इतने दृश्य कहीं नही मिलते जितने इस विष्णु मंदिर में हैं। यहाँ रामायण के 10 से 15 दृश्यो का भव्य एवं कलात्मक अंकन देखने को मिलता है। इतनी सजावट के बावजूद मंदिर के गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है। यह मंदिर सूना है और एक दीप के लिये तरस रहा है।
इस मंदिर के निर्माण से संबंधित अनेक जनुश्रुतियाँ प्रचलित हैं। एक दंतकथा के अनुसार एक निश्चित समयावधि (कुछ लोग इस छैमासी रात कहते हैं) में शिवरीनारायण मंदिर और जांजगीर के इस मंदिर के निर्माण में प्रतियोगिता थी। भगवान नारायण ने घोषणा की थी कि जो मंदिर पहले पूरा होगा, वे उसी में प्रविष्ट होंगे। शिवरीनारायण का मंदिर पहले पूरा हो गया और भगवान नारायण उसमें प्रविष्ट हुए। जांजगीर का यह मंदिर सदा के लिए अधूरा छूट गया। एक अन्य दंत कथा के अनुसार इस मंदिर निर्माण की प्रतियोगिता में पाली के शिव मंदिर को भी सम्मिलित बताया गया है। इस कथा में पास में स्थित शिव मंदिर को इसका शीर्ष भाग बताया गया है। एक अन्य दंतकथा जो महाबली भीम से जुड़ी है, भी प्रचलित है। कहा जाता है कि मंदिर से लगे भीमा तालाब को भीम ने पांच बार फावड़ा चलाकर खोदा था। किंवदंती के अनुसार भीम को मंदिर का शिल्पी बताया गया है। इसके अनुसार एक बार भीम और विश्वकर्मा में एक रात में मंदिर बनाने की प्रतियोगिता हुई। तब भीम ने इस मंदिर का निर्माण कार्य आरम्भ किया। मंदिर निर्माण के दौरान जब भीम की छेनी-हथौड़ी नीचे गिर जाती तब उसका हाथी उसे वापस लाकर देता था। लेकिन एक बार भीम की छेनी पास के तालाब में चली गयी, जिसे हाथी वापस नहीं ला सका और सवेरा हो गया। भीम को प्रतियोगिता हारने का बहुत दुख हुआ और गुस्से में आकर उसने हाथी के दो टुकड़े कर दिया। इस प्रकार मंदिर अधूरा रह गया। आज भी मंदिर परिसर में भीम और हाथी की खंडित प्रतिमा है।
janjgir vishnu temple video
VISHNU MANDIR
School project in Vishnu Mandirr Janjgir Champa Chhattisgarh
An Ancient Historical Archaeological Famous Vishnu Temple Janjgir Champa Chhattisgarh
Vishnu Temple (often termed Dashavatara Temple) is located at Deogarh, Uttar Pradesh in Central India built in c. 500 AD.[1] The temple is one of the earliest Hindu stone temples still surviving today.[1] Built in the Gupta Period (320 to c. 600 AD), Vishnu Temple shows the ornate and beauty seen in Gupta style architecture.[2] This temple is also a good resource for examining Gupta style sculptures and art.[3]
The Dashavatara Temple or Vishnu Temple also called Gupta temple at Deogarh.
Entry frame of the Dasavatara temple.
Vishnu reclining on the serpent Shesha (Ananta) on a side panel of the Vishnu temple of 5th century.[4]
Many of these early Hindu stone temples were dedicated to a single Hindu deity. The temple at Deogarh is dedicated to the Vishnu.[1] These temples made in the early part of the 6th century of the Gupta Period housed images and symbols of Hindu gods.[5] These temples allowed people to make contact with the gods they were worshiping.[5] The Temple was built out of stone and brick consisting of a single cubical sanctum that sheltered the images within.[5] Statuaries of the Vishnu were both sculpted in the interior and exterior walls of the temple. The temple's affiliation with the deity Vishnu can be seen by looking at the statuary of the deity seated on a coiled serpent seat that decorates the carved doorway into the temple.[1] There are also many sculpted panels showing the myths and tales connected with Vishnu.[1]
Vishnu Temple is a great example of early Gupta architecture. The style and organization of the structure was the method for the decoration of many Hindu temples seen around India at the time.[1] Though it is in poor condition, having a damaged tower, the temple still exudes the ornate decorations and structural complexity created back in the early 6th century.
According to Lubotsky, this temple was the prototype for the sarvatobhadra temple described in Vishnudharmottara Purana[
Kalyan vishnu Mandir Janmastmi 2014 P 1
Morning Mangla Darshan, Kesar Snnan, Sringar,
Rest video clip in next clip.
Video by Dinesh Rathod
Devnagri ke devdarshan part- 57 shri Roopchhatr vishnu bhagwan ka mandir aur khari bavari Sirohi
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 57 श्री रूपक्षत्र ( विष्णु ) भगवान का मंदिर , सिरोही शहर
महादेव की नगरी सिरोही मे श्री रुपछत्र ( विष्णुजी ) भगवान का ये मंदिर और इसके पास बनी रियासतकालीन खारी बावड़ी दोनों का इतिहास बहुत पुराना है । सदर बाजार सिरोही के भीड़-भाड़ वाले इलाके में श्री रुपछत्र ( विष्णु भगवान ) जी के पास श्री गणेश जी का मंदिर , श्री भवानी शंकर महादेव जी का मंदिर और रियासतकालीन खारी बावड़ी देखने लायक है ।
वैसे तो इस मार्ग से हम हर दिन गुजरते हैं लेकिन आज इन स्थानों को हमको गौर से देखना चाहिए ।
श्री रूपछत्र ( विष्णु ) भगवान जी के मंदिर और श्री भवानीशंकर महादेव जी के मंदिरों की व्यवस्था सिरोही का श्री कंसारा समाज देखता है ।
इस मंदिर के अंदर भगवान विष्णुजी की अति प्राचीन प्रतिमा और इसके पास श्री हनुमान जी की प्रतिमा और इस मंदिर प्रांगण में कई सौ साल पुराना बरगद का पेड़ और उसके नीचे विराजमान श्री पंचमुखी महादेव का मंदिर सब कुछ अद्भुत है ।
कहते हैं इस मंदिर के पास एक प्राचीन बावड़ी भी है जिसको खारी बावड़ी के नाम से लोग जानते हैं ।
जानकार बताते हैं कि यहां कभी बाल रूप में श्री मातरमाताजी विचरण करती थी , खेलती थी क्योंकि श्री मातरमाताजी इसी मंदिर के पास छीपाओली में ही अवतरित हुई थी ।
मंदिर और खारी बावड़ी का इतिहास बताता है कि जब सिरोही नहीं बसा था उससे पहले के ये मंदिर और बावड़ी है ।
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 57 में श्री रुपछत्र ( विष्णु ) भगवान जी के मंदिर की महिमा और खारी बावड़ी के हालात को आप ध्यान पूर्वक देखिए ।
और Sirohi Temples चैनल को Like , Share और Subscribe जरुर करें ताकि हम आपतक मंदिरों की अनंत श्रंखला के दर्शन आपको करवा सकेंगे ।
राजेन्द्र सिंह नरुका ' आनंद ' Sirohi Temples
नारायणपाल का विष्णु मंदिर | Narayanpal Vishnu Temple | Jagdalpur Bastar | DK808
नारायणपाल का विष्णु मंदिर | Narayanpal Vishnu Temple | Jagdalpur Bastar | DK808
बस्तर जिले के विकास खण्ड बस्तर में जगदलपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर छिंदक नागवंषी राजा धारावर्श की रानी गुण्डमहादेवी द्वारा इस मंदिर को ई.सन 1111 में बनवाया गया। गुण्डमहादेवी का पुत्र सोमेष्वर देव एक प्रतापी राजा था। मंदिर के पूर्ण होते-होते धारावर्श एवं सोमेष्वर देव दिवंगत हो चुके थे एवं गुण्डमहादेवी के पौत्र छिंदक नागवंषी राजा कन्हर देव का षासन था। गुण्ड महादेवी और उसकी बहु सोमेष्वर देव की रानी के षिलालेख यहाँ पर हैं। नारायण पाल का यह मंदिर पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक है एवं छिंदक नागवंषी षासन के समय की जानकारी प्राप्त करने का मुख्य स्त्रोत भी है।
SOURCE :
चित्रकूट जलप्रपात | Chitrakoot Waterfall | Jagdalpur , Bastar
छत्तीसगढ़ बस्तर संभाग के टॉप 50 टूरिस्ट प्लेसेस | कहाँ कहाँ घूमने जा सकते है.?
छत्तीसगढ़ सरगुजा संभाग के टॉप 50+ टूरिस्ट प्लेसेस | कहाँ कहाँ घूमने जा सकते है.?
Top 10 CITY IN CHHATTISGARH | Explore Chhattisgarh
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विष्णु का प्राचीन मंदिर जो रह गया अब तक अधूरा !
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Support Vanity News by Shopping on Amazon (affiliate) विष्णु का प्राचीन मंदिर जो रह गया अब तक अधूरा !
जांजगीर विष्णु का मंदिर – देश में कई ऐसे मंदिर रहे हैं जिनसे संबंधित अद्भुत जानकारी हम अक्सर सुनते हैं।
कभी-कभार यह अद्भुत जानकारी वैसे ही लगती है जैसे हम मंदिरों के बारे में जानकर भी अबतक अनभिज्ञ रह गये हो । यदि इस बात से असहमत हैं तो क्या देश में स्थापित सभी विष्णु मंदिर के बारे में आप जानते हैं ? शायद इस प्रश्न पर आप गहन विचार शुरु कर दें। क्योंकि देश में विष्णु पर बनें कई मंदिर हैं। जिनके बारे में जानकारी रखना असंभव ही है। जैसा कि छत्तीसगढ़ का यह मंदिर जो कई वर्षों से अधूरा है।
यह मंदिर क्यों अधूरा रहा जानने हेतु पढ़िए इसका इतिहास ।
यह जांजगीर विष्णु का मंदिर है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ क्षेत्र के एक बड़े वैष्णव मंदिर के लिए जाना जाता है। यह पूर्वाभिमुखी मंदिर जिसे छत्तीसगढ़ के कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम ने भीमा तालाब के किनारे 11वीं शताब्दी में बनवाया था। जो भारतीय स्थापत्य का अनुपम उदाहरण है। और यह सप्तरथ योजना से बना मंदिर था। मगर अब उसके अवशेष ही वहां पाए जाते हैं ।
जांजगीर विष्णु का मंदिर का अधूरा निर्माण की कथा
जांजगीर विष्णु का मंदिर से जुड़ी कई दंतकथाएं प्रचलित है। जिनमें से एक हैं शिवरीनारायण मंदिर और जांजगीर मंदिर के बीच प्रतियोगिता की कथा। कथा के अनुसार भगवान नारायण ने एक घोषणा की थी। इसमें यह कहा गया जो मंदिर पहले तैयार होगा, वे उसी में प्रविष्ट होंगे। दोनों के बीच मंदिर निर्माण की प्रतियोगिता में शिवरीनारायण मंदिर पहले तैयार हो गया। इसमें जांजगीर मंदिर अधूरा रह गया।
एक अन्य दंतकथा के अनुसार, मंदिर से सटे भीमा तालाब को भीम ने पांच बार फावड़ा चलाकर खोदा था। किंवदंती के अनुसार भीम को मंदिर का शिल्पी भी बताया गया है। इसके अनुसार एक बार भीम और विश्वकर्मा में एक रात में मंदिर निर्माण की प्रतियोगिता आयोजित हुई थी। तब भीम ने इस मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ किया। मंदिर निर्माण के दौरान जब भीम की छेनी और हथौड़ा नीचे गिरता, तो उसका हाथी उसे वापस लाकर देता। लेकिन एक बार भीम की छेनी पास के तालाब में जा गिरी, जिसे हाथी वापस नहीं ला सका और सवेरा होने के बाद भीम प्रतियोगिता हार गया।
जांजगीर विष्णु का मंदिर
महाबलि भीम को प्रतियोगिता हारने का बहुत दुख हुआ और क्रोध में आकर भीम ने हाथी के दो टुकड़े कर दिया। मंदिर में भीम और हाथी की खंडित प्रतिमा को देखा जा सकता है।
अधूरा होने के बावजूद मंदिर पर अंकित विचित्र विष्णु प्रतिमाएं
जांजगीर विष्णु का मंदिर के बारे में प्रचलित दंतकथाएं उसके अधूरेपन की कथा को स्पष्ट बयान कर रही है। लेकिन इसको सौभाग्य माना जाए या दुर्भाग्य की छत्तीसगढ़ में सभी वैष्णव मंदिर की तुलना में जांजगीर मंदिर पर विष्णु अवतार के अधिक चित्र अंकित है। इसमें विष्णु के दशावतारों जैसे राम, कृष्ण, वामन और नरसिंह आदि की प्रतिमाएं देखी जा सकती है। हालांकि इसके बावजूद जांजगीर मंदिर पर विष्णु के अन्य मंदिरों की तरह रौनक नहीं देखी जाती है।
जांजगीर विष्णु का मंदिर का इतिहास जानने के बाद क्या आप इस बाद से सहमत हैं कि कई बार हम सब कुछ जानकर भी अनभिज्ञ ही रहते हैं। जो विष्णु का इस जांजगीर मंदिर के बारे में पढ़ कर स्पष्ट हो जाता है ।
MHDS Vishnu Mandir Youth Show - Amar Ramdeen
Song done by Amar :D
Lord Vishnu temple in Sonepur
Lord Vishnu's temple in Sonepur
Sonepur a small town located in the distirct of Saran, Bihar is famous for hosting one of the largest cattle fair in Asia know as the Sonepur Mela. The Mela attracts large number of tourists from across India and abroad.
Sonepur is a divisional headquarter of Indian Railways. It has large railway tracks and a nuber of railway quarters. Its is 2176 feet long and is built with eight spans of 250 feet. There are two broad pathways for pedestrians.
Source: Wikipedia
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