Guisarnath Dham Full Documentary 2018 | Lalganj Ajhara Pratapgarh | घुइसरनाथ धाम प्रतापगढ़
आइए आज हम लोग चलते हैं प्रतापगढ़ से लालगंज अझारा की तरफ जहां सई नदी के किनारे स्थित है संसार में विख्यात- बाबा घुइसरनाथ धाम। जो प्रतापगढ़ घंटाघर से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
शिवमहापुराण में जिन 12 ज्योतिर्लिंगों का विवरण दिया गया है उनमें से एक घुइसरनाथ धाम में स्थापित है। जिसे घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
प्रतापगढ़ से घुइसरनाथ धाम तक की यात्रा के दौरान आइए मैं आप लोगों को शिव महापुराण में बाबा घुइसरनाथ धाम की पौराणिक कथा सुनाता हूं।
सई नदी के किनारे सुधर्मा नाम का एक ब्राम्हण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ रहा करता था। वह दोनों भगवान शंकर के परम भक्त थे। सुधर्मा अत्यंत ज्ञानी, दयालु एवं दानी स्वभाव के थे। वह आस-पास के बच्चों को पढ़ाया भी करते थे। उनकी सज्जनता और सद्गुणों के कारण सभी लोग उनका सम्मान करते थे।
उनके जीवन में सब कुछ होने के बावजूद संतानहीनता के कारण उनकी पत्नी सुदेहा बहुत दुखी थी। समाज भी उन्हें ताना मारता था। इसलिए वह बार-बार अपनी पति से पुत्र प्राप्त की प्रार्थना करती थी। सुधर्मा बार-बार अपनी पत्नी को समझाता परंतु सुदेहा का मन एक सन्तान के लिए विचलित था।
पुत्र प्राप्ति की मंशा हेतु सुदेहा ने अपनी छोटी बहन घुश्मा के साथ अपने पति का दूसरा विवाह करा दिया। हालांकि सुधर्मा ने सुदेहा को बहुत समझाया कि कल जब तुम्हारी बहन को संतान की प्राप्ति होगी तब तुम्हें ईर्ष्या घेर लेगी। लेकिन सुदेहा ने यह कहा कि मैं कभी भी अपनी बहन से ईर्ष्या नहीं करूंगी। समय गुजरता गया घुश्मा एक दासी की तरह अपनी बहन की सेवा में जुटी रहती और सुदेहा भी अपनी बहन को बहुत प्रेम करती।
सुदेहा ने अपनी बहन घुश्मा को मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करने को कहा। घुश्मा पूजा करने के बाद उन शिवलिंगों को पास के एक तालाब में विसर्जित कर देती थी।
आखिरकार वह दिन आ गया जब घुश्मा ने एक पुत्र को जन्म दिया। इस घटना के बाद घुश्मा का मान बढ़ गया। समय और बीता। पुत्र की शादी हो गई और पुत्र वधू भी घर में आ गई। इस कारण सुदेहा को और ज्यादा ईर्ष्या होने लगी। एक दिन ईर्ष्या की अग्नि में जलते हुए उसने चाकू से घुश्मा के पुत्र के कई टुकड़े कर दिए
और उन टुकड़ों को उसी तालाब में फेक आई जिसमें घुश्मा शिवलिंगों का विसर्जन करती थी।
पुत्र शोक से मुक्त होकर अगले दिन घुश्मा जब पुनः शिवलिंगों का विसर्जन करने के लिए उस सरोवर में गई तब अपने पुत्र को जीवित पाया। पुत्र प्राप्ति के बाद भी घुश्मा भाव शून्य रही। पुत्र मोह से मुक्त घुश्मा को भगवान शिव ने साक्षात दर्शन दिए। भगवान शिव ने कहा कि तुम्हारी बहन ने तुम्हारे पुत्र का शव इस सरोवर में फेंक दिया था यदि तुम चाहो तो मैं अपने त्रिशूल से उसका वध कर दूं।
परंतु घुश्मा ने ऐसी कोई इच्छा व्यक्त नहीं की। उसकी इस सहृदयता से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उसे वर दिया कि जिस सरोवर में तुमने मेरे 101 शिवलिंगों का विसर्जन किया है वह शिरोवर के नाम से प्रसिद्ध होगा। इसमें स्नान करने वालों के सभी संताप नष्ट होंगे। तुम्हारी 101 पीढ़ियां उत्तम गुणों, धन-वैभव तथा विद्या-बुद्धि में संपन्न होंगी एवं मैं स्वयं घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में सदैव यहां वास करूंगा।
इस तरह से महाशिवपुराण में घुइसरनाथ की महिमा का विवरण प्राप्त होता है।
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हर हर महादेव!
यात्रा के दौरान इस वीडियो में प्रतापगढ़ के दिखाए गए जगहों के नाम-
प्रतापगढ़ घंटाघर, सिटी प्रतापगढ़, मोहनगंज, मादूपुर, अजगरा रानीगंज, लीलापुर चौराहा, साहबगंज, मिश्रपुर, हंडौर, सगरा सुन्दरपुर, पहाड़पुर अमेठी, तिना चितरी, लालगंज अझारा, लालगंज अझारा बस स्टेशन, ट्रामा सेन्टर लालगंज, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लालगंज, नगर पंचायत लालगंज, घुइसरनाथ धाम प्रवेश द्वार
घुइसरनाथ धाम से जुड़े प्रमुख व्यक्ति-
माननीय प्रमोद तिवारी, सांसद राज्य सभा
राजकुमारी रत्ना सिंह, सांसद कालाकांकर
आराधना मिश्रा मोना, विधयाक रामपुर ख़ास
Ghuisarnath or Ghushmeshwarnath Temple is a Hindu temple located on the bank of Sai River at Lalganj Ajhara, Pratapgarh, India. The temple is situated at a distance of about 45 km from Pratapgarh & 145 km from Ayodhya, in Bela Pratapgarh. This magnificent temple dedicated to Lord Shiva, is the center of people's faith & spirituality. It is consider one of the twelve Jyotirlinga find mention in Shiva Puran.
अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक देखें
The Lalganj Ajhara is a Tahsil in the Pratapgarh district of the Indian state of Uttar Pradesh. It is located 36 km away from the Pratapgarh headquarters and 142 km from the capital of Uttar Pradesh, Lucknow.
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बाबा घुश्मेश्वर नाथ धाम lalganj ajhara ghuisarnath dham
#vlog #ghushmeshwar #Temple #Balayamexperience
Hello friends aaj ke video me aap sabhi
ko Lalganj ajhara Pratapgarh ke famous
Temple ke bare me bataya hu घुइसरनाथ नाथ धाम
yaha par har sal Mahashivratri ke din
भव्य मनोरंन्जन किया जाता है video ko pura
jarur dekhe
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बाबा घुश्मेश्वर नाथ धाम
Baba ghushmeshwar nath dham
Mahashivratri
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बाबा भयहरणनाथ धाम | Baba Bhayaharan Nath Dham Religious Place in Pratapgarh Uttar Pradesh
प्रसिद्ध धार्मिक, ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल भयहरण नाथ धाम भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद प्रतापगढ़ के मुख्यालय के दक्षिण लगभग ३० किलोमीटर तथा इलाहबाद मुख्यालय के उत्तर लगभग ३६ किलोमीटर पर स्थित है ग्राम पुरे वैष्णव व ग्रामसभा पुरे तोरई के अर्न्तगत आने वाला भयहरण नाथ धाम लगभग १० एकड़ के क्षेत्रफल में फैला है। इस धाम में मुख्य मंदिर के अलावा हनुमान, शिव-पार्वती, संतोषी माँ तथा राधा कृष्ण आदि का मंदिर है। अपनी प्राकृतिक एवं अनुपम छटा तथा बकुलाही नदी के तट पर स्थित होने के कारण यह स्थल आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यन्त जीवन्त है।यह धाम आसपास के क्षेत्रों के लाखो लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र है।
लोकमान्यता है कि महाभारत काल में द्युत क्रीडा में पराजित होने के बाद पाण्डवों को जब १२ वर्षो के लिए वनवास में जाना पड़ा था उसी दौरान उनके द्वारा इसी स्थल पर बकासुर नामक राक्षस का वध करके शिवलिंग की स्थापना की गयी थी। कहा जाता है कि पाण्डवों ने अपने आत्मविश्वास को पुनर्जागृत करने के लिए इस शिवलिंग को स्थापित किया था इसी नाते इसे भयहरणनाथ कि संज्ञा से संबोधित किया गया। इस क्षेत्र में महाभारत काल के और कई पौराणिक स्थल तथा भग्नावशेष आज भी मौजूद है, जिसमे ऊँचडीह गांव का टीला तथा उसकी खुदाई में प्राप्त मूर्तियाँ, स्वरूपपुर गांव का सूर्य मन्दिर तथा कमासिन में कामाख्या देवी का मन्दिर प्रमुख है । इस सब के सम्बन्ध तरह - तरह की लोक श्रुतियाँ, लोक मान्यतायें प्रचलित हैं।
घुइसर नाथ धाम की महिमा - Jai Ghushmeshwar - Manoj Midil - Ghuishar Nath Dham Ki Mahim - Bhakti Song
Album : Ghuishar Nath Dham Ki Mahim
Singer : Manoj Midili
Music : Damodar Raao
Lyrics : Manoj Mishra
Label : Sai Recordds
Publisher : Sai Recordds Entertainment
Released Year : 2017
Contact : sairecodds@gmail.com
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Jai Ghushmeshver baba Dham (Ghuisarnath Dham Prasar Samiti) Pratapgarh U.P.
Pankaj JI Ghuisarnath Dham(Kumbhapur) -Best AWADH-Pratapgarhi Singer
Singing On Baba Ghuisarnath Dham (Shiv 12th jyotirlinga Shree Ghushmeshver and Shane Awadh Pratapgarh)
Visit : ghuisarnathdham.org Or ghuisarnathdham.com
Baba guesar nath dham pratapgarh mukesh sharma singar
MO. 7985777255
बाबा घुश्मेश्वर नाथ धाम आरती 2016
घुइसरनाथ मंदिर धार्मिक आस्था का स्थल है ! यहाँ भगवान घुइसरनाथ (शिवलिंग) का बहुत विशाल मंदिर है!
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Ramganj Bazar Se Ghuisarnath Dham | Pratapgarh |
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जय बाबा घुइसरनाथ महाराज : जयति घुश्मेश्वरम |
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Baba ghushmeshwar Nath Dhaam बाबा घुश्मेश्वर नाथ धाम
बाबा धाम में श्रधालुओ का हुजूम | महाशिवरात्रि 2016
Pratapgarh Mein Kajal raghwani ji aa rahi hai Gulshan Nath Dham mein
Pratapgarh mein
बाबा बेलखरनाथ धाम की पौराणिक कथा #part2{Baba Belkhar Nath Dham Documentary
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद मे सई नदी के तट पर स्थित हैं। बाबा बेलखरनाथ धाम प्रतापगढ़ मुख्यालय से १५ किलोमीटर पट्टी मार्ग पर लगभग ९० मीटर ऊँचे टीले पर स्थित है। यह स्थल ग्राम अहियापुर में स्थित है। वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि पर्व पर व् प्रत्येक तीसरे वर्ष मलमास में यहाँ १ महीने तक विशाल मेला चलता है जिसमे कई जिलो से शिवभक्त व संत महात्मा यहाँ आकर पूजन प्रवचन किया करते हैं। प्रत्येक शनिवार को यहाँ हजारो की संख्या में पहुचने वाले श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना किया करते है।
Mission PratapgarhAll Videos link ????????????????????????????????????????????
1- Ajgara Raniganj Documentary ????
2- Pratapgarh Introduction ????
3- Shri Ram ????
4- Pratapgarh Chilbila Station ????
5- Chandipur Dhaam Pratapgarh????
6- Pratapgarh Station ????
7- Khiribeer Dhaam Pratapgarh????
8- Ganga Dhashra Bela devi ????
श्री नदी वाले भैरव बाबा प्रतापगढ़
नवरात्रि के पावन अवसर पर श्री नदी वाले भैरव बाबा प्रतापगढ़ में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया
Baba Ghuishar nath dham ki kahani
Ghushmeshwar nath dham pratapgarh up72
Singer manchal pratapgarhi
Flash flood in Pratapgarh | प्रतापगढ़ सई नदी में बाढ़
पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश के कारण सई नदी में आये उफान से कुछ घरों में पानी भर जाने से लोगों को पलायन करना पड़ा। अखबार में इस खबर को पढ़ने के बाद मैं खुद को बेल्हा देवी पुल की तरफ जाने से रोक नहीं पाया।
किसी हद तक ये खबर सच थी।
सई नदी के आस-पास तराई में बने घरों में जल का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था।
बेल्हा देवी की सीढियां धीरे-धीरे डूबने लगी थी।
सई का बहाव पुल के खम्भों पर बने हुए निशान पर धीरे-धीरे ऊपर सरकता जा रहा था।
नदी के उस छोर पर उगे घने जंगल पानी में नीचे डूबने लगे थे।
पुल के ऊपर जिन्दगी अभी भी उसी रफ़्तार से दौड़ रही थी।
पुराने रेलवे पुल पर एक्सप्रेस ट्रेन प्रतापगढ़ स्टेशन की तरफ दौड़ी जा रही थी।
आस-पास के गाँव वाले मछलियाँ पकड़ने के लिए नदी के छोर पर डेरा जमाये बैठे थे।
जुगाली करती हुई भैसे पानी में डूबकर ऐश फरमा रही थी।
दूसरी तरफ पुराना लोहे का पुल पूरी तरह से शांत था।
ये वही पुल है जिस पर बचपन में हम लोग साइकिल और इक्के से आया जाया करते थे।
वक्त के थपेड़ों से लड़ते-लड़ते जब यह बूढा हो गया तब इसे इसकी अंतिम साँसों तक ध्वस्त होने के लिए छोड़ दिया गया।
अगर इस पुल का उन दिनों का कोई वीडियो होता तो मैं उसके लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हो जाता।
काश की उस समय डिजिटल कैमरों का आविष्कार हो चुका होता।
ये सब फिल्माते हुए मुझे ऐसा लगने लगा जैसे की मैं इस नदी की आत्मा को पढ़ सकता हूँ।
मानों यह कह रही हो कि
यदि मैं जीवन दे सकती हूँ तो जीवन लेने की शक्ति भी मुझमें है।
इसलिए मेरे किनारों से दूर रहकर अपनी बस्तियां बसाओं।
यदि आप मेरी सीमा में प्रवेश करेगे तो उसका परिणाम आपको भुगतना ही पडेगा।
ये सृष्टि का नियम है
और मैं इन नियमों का पालन करने पर विवश हूँ।
आशा है सई नदी का ये संदेश उन लोगों को समझ में आ चुका होगा जो पैसे के लिए प्रकृति का शोषण करने से बाज नहीं आते।
इसी के साथ प्रकृति का संरक्षण व मानवता की भलाई का यह संदेश लोगों तक जरूर पहुचाएं।
जय प्रकृति! जय मनुष्य!
The Sai River (Sai Setu) Better to be known as Adi Ganga, is a tributary of the Gomti River in Uttar Pradesh, India.[1] Sai river originates at the sprawling pond on the hilltop, at Parsoi village of 450 households in Hardoi district of Uttarpradesh. It separates the region of Lucknow from Unnao. It flows towards the south Raebareli and comes into the region of Pratapgarh through the west, then it turns east and touches The Ghuisarnath Dham. Flowing out of Ghuisarnath Dham, it touches another religious place known as the Chandika Dham that is dedicated to Devi Chandi. Devotees take a bath in River Sai and worship Baba Ghuisarnath with its water India. Most of the districts of Uttar Pradesh are situated on the bank of river Sai. Sai is one of the most sacred rivers of Hinduism. It got reference in Puranas and in Ramcharitmanas of Goswami Tulsidas.[citation needed] Along with its religious importance its also a lifeline to the millions of Indians who live on its banks and depends on it for their daily utilities.[citation needed]
ShaniDev Dham is located on banks of river Sai at Parsadepur.
Sai River (Gujarat), a river in Gujarat, India
Sai River (Uttar Pradesh), a tributary of the River Gomti in Uttar Pradesh, India
Sai River (Gifu), a river in Gifu Prefecture, Japan
Sai River (Ishikawa), a river near Kanazawa in Ishikawa Prefecture, Japan
Sâi River, a tributary of the Danube in Romania
Sai River (Thailand), a river that forms the border between Thailand and Burma
A flood is an overflow of water that submerges land that is usually dry.[1] The European Union (EU) Floods Directive defines a flood as a covering by water of land not normally covered by water.[2] In the sense of flowing water, the word may also be applied to the inflow of the tide. Floods are an area of study of the discipline hydrology and are of significant concern in agriculture, civil engineering and public health.
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हौदेश्वर धाम की यात्रा ।। कुंडा प्रतापगढ़।।
हेलो,दोस्तो आज मैं मौनी अमावस्या पर आपके लिए हौदेश्वत धाम की यात्रा करने जा रहे है।
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Tabtak ke lie stay tuned bye bye.
|| Jay hind ||
Belkharnath Dham Documentary 2018 | Pratapgarh Uttar Pradesh | बेलखरनाथ धाम प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में सई नदी के तट पर दीवानगंज बाजार से लगभग 3 किलोमीटर दूर खुजी कला ग्राम सभा के अहियापुर नामक गांव में बाबा बेलखरनाथ धाम स्थित है। हर साल महाशिवरात्रि के पावन पर्व के साथ-साथ हर तीसरे वर्ष मलमास में 1 महीने तक विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमें जिले के अलग-अलग भागों से आने वाले शिव भक्त एवं संत महात्मा आकर पूजा प्रवचन आदि कार्यक्रम संपन्न करते हैं। प्रत्येक शनिवार को यहां श्रद्धालुओं का अपार जनसमूह देखा जा सकता है।
कई दशकों पहले सई नदी के किनारे की उपजाऊ जमीन पर ऋषिवंश के दिक्खित वंश कश्यप गोत्र के बेलखरिया राजपूतों का एक छत्र राज्य था। बेलखरिया राजपूतों का मूल उद्गम राजस्थान या बिहार के आसपास की कोई जगह मानी जाती है। हालांकि इसके पीछे कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं हो पाया है कि बेलखरिया राजपूत इतनी दूर से परगना पट्टी में किस उद्देश्य से आए थे। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राजस्थान के किसी प्रांत में भयानक सूखा पड़ने के कारण बेलखरिया राजपूतों को वहां से पलायन करना पड़ा। सूखे की त्रासदी झेलने के बाद उन्होंने तय किया कि अब वह उसी जगह निवास करेंगे जहां पर कोई नदी बहती हो। कुछ समय उन्होंने इलाहाबाद के किसी भाग में गंगा नदी के किनारे वास किया किंतु वर्षा के समय गंगा नदी में आने वाली बाढ़ के कारण उन्हें फिर से पलायन करना पड़ा। आखिरकार उन्होंने सईं नदी के किनारे एक ऊँचे टीले पर अपना निवास स्थापित किया। यहाँ पर न तो सूखा पड़ने की संभावना थी और न ही बाढ़ आने का डर।
बेलखरिया राजपूत बाबा भोलेनाथ के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने सई नदी के किनारे एक जीर्ण शिवलिंग को पुन: स्थापित किया और रोज सई नदी के जल से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करते थे । गर्मी से बचाव के लिए उन्होंने टीले पर जगह-जगह पीपल के पेड़ भी लगाए जो आज भी काफी मात्रा में मौजूद हैं।
आज घाट पर पक्की सीढ़ियां दिखाई देती है लेकिन दशकों पहले बेलखरिया राजपूतों द्वारा यहां पर पत्थरों से कच्ची सीढ़ियां बनाई गई थी। यहां के आसपास की जमीन काफी उपजाऊ है जिस पर पूरे वर्ष फसल की पैदावार होती है जो आज भी यहां के हरे-भरे खेतों को देख कर पता चलता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान् श्रीराम वनवास काल में यहाँ से गुजर रहे थे तब यहाँ राजा बेलनृपति का शासन हुआ करता था। उन्होंने भगवान श्रीराम की नि:स्वार्थ भाव से सेवा की। जिसके परिणाम स्वरूप भगवान् राम ने उन्हीं के नाम से शिवलिंग की स्थापना की और कहा कि जब तक इस शिवलिंग का सई के पावन जल से अभिषेक होता रहेगा तब तक यह जगह सदैव उपजाऊ बनी रहेगी।
बेलखरिया राजपूतों के विनाश के पीछे यही कारण माना जाता है। उपजाऊ जमीन से उत्पन्न अथाह अन्न को बेचकर वह लोग मांस, मदिरा व भोग विलास में ऐसे डूबे कि शिवलिंग का अभिषेक करना ही भूल गये।
परिणाम भयानक निकला। सई नदी सूख गई। आसपास का क्षेत्र भयानक सूखा से ग्रस्त हो गया। भुखमरी की नौबत आ गई। इस तरह से बेलखरिया राजपूतों का समूल नाश हो गया।
वर्षों बीते और सूखे के कारण आसपास बबूल के घने जंगल उग आये। जिसके कारण चरवाहों का आना-जाना प्रारम्भ हो गया। बेलखरिया राजपूतों ने जिस शिवलिंग को स्थापित किया था अब वह मात्र एक पत्थर स्वरूप में शेष था। एक चरवाहे के द्वारा बबूल के पेड़ों को काटने के लिए इस शिवलिंग पर कुल्हाड़ी को रगड़कर धार तेज करते समय वह फिसला और सीढ़ियों से लुड़कते हुए सीधे सई नदी में जा गिरा। परंतु आश्चर्य की बात यह थी कि उसके शरीर पर एक भी खरोच नहीं आई। अंततः उसने उस पत्थर के आसपास की झाड़ियों को साफ करके शिवलिंग को स्वरूप दिया और पुनः सई नदी के जल से उसका अभिषेक किया। आस-पास उगे सरपतों को काटकर शिवलिंग के ऊपर छान का आवरण देकर उसे एक मंदिर का स्वरूप दिया।
जब शिवलिंग की महिमा आस-पास के गांवों से होते हुए राजा दिलीपपुर के कानों तक पहुंची तब उन्होंने यहां पर पक्की छत का निर्माण करवाया।
वर्तमान में बाबा बेलखरनाथ धाम सेवा समिति के द्वारा मंदिर परिसर में राम जानकी हनुमान जी एवं विश्वकर्मा भगवान के मंदिरों के साथ ही कई धर्मशालाएं और सराय का भी निर्माण करवाया गया।
यदि आपको बाबा बेलखरनाथ धाम कि यह प्रस्तुति पसंद आई तो प्रतापगढ़ हब के इस चैनल को सब्सक्राइब करें इस वीडियो को लाइक करें और अपने Facebook या WhatsApp ग्रुप में शेयर करें और हां अपने विचारों को टिप्पणी के रूप में लिखना मत भूलें ।
जय बाबा बेलखरनाथ की।
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Jai Ghushmeshver -Har Har Bam Bam (Ghuisarnath Dham Prasar Samiti Pratapgarh U.P.)
Sanjay JI Amethi -Best AWADH Singer
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