KURUKSHETRA | INCREDIBLE | PEHOWA | ANCIENT HISTORICAL AND RELIGIOUS PLACE
महाकाव्य महाभारत में पेहोवा का उल्लेख, प्रिथुदाका के नाम से किया गया है क्योंकि इसी जगह पर दयालु प्रिथु ने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की थी। यहीं कारण है कि पेहोवा, पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। पेहोवा, थानेसर से 27 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह स्थल, 882 ई. के इतिहास को अपने अस्तित्व में समेटे हुए है लेकिन ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि यह 895 ई. में अस्तित्व में आया। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा पिृथु के पिता अपनी अंतिम सांस सरस्वती पिृतुदाक के निकट लेना चाहते थे, यहीं कारण है कि पिृथु अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए यहां प्रार्थना करने आए थे। कई दिनों तक वह यहां नदी के किनारे खड़े रहे और भगवान की उपासना करते रहे और इस दौरान उन्होने व्रत भी रखा था। यह वही स्थान है जहां माना जाता है कि उपवास करने से मुक्ति और मोक्ष मिल जाता है और इसी वजह से इसे पितृदाक तीर्थ के नाम से जाना जाता है। यहां कई घाट और मंदिर है जो राजा के बलिदान को चिन्ह्ति करते हुए दर्शाए गए है। किंवदंतियों के अनुसार, यह वही स्थान है जहां भगवान शिव के बडे पुत्र कार्तिकेय, शिव व पार्वती की परिक्रमा लगाने के बाद विश्राम करने के लिए बैठे थे और उन्होने अपनी त्वचा को साफ किया था और उस उबटन को मां पार्वती के पास छोड दिया था। यह मंदिर, दो रॉक ब्लाक्स से मिलकर बनी हुई है और यहां भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा पर हर समय जलने वाली लैम्प रखी रहती है। पाैराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध के दौरान, भगवान कृष्ण ने सबसे बड़े पांडव के साथ यहां दो लैम्प को 18,00,000 लोगों की याद में प्रज्ज्वलित किया था, जिन्होने युद्ध में अपनी जान गंवा दी थी। इस मंदिर के निर्माण का काल पता नहीं है लेकिन फिर भी इसे लगभग 4500 साल पुराना माना जाता है। पेहोवा के बारे में सबसे रूचिकर बात यह है कि यहां महाभारत के काल के परिवारों का रिकॉर्ड रखा हुआ है। इनमें से कुछ रिकॉर्ड खराब भी हो गए है जिन्हे इस्लामी शासकों के द्वारा परिवारिक चिन्ह् दूर करने के लिए मिटा दिया था।
The Sannihit Sarovar, located in Thanesar in the district of Kurukshetra in Haryana, is a water reservoir that is deemed holy among Hindu devotees. Legend has it that the sarovar holds sacred waters as it is the confluence of seven sacred Sarasvatis or mythical rivers. Bathing in these holy waters gives peace to wandering souls. The sarovar is also surrounded by numerous shrines for revered deities. Hindu devotees from all over India and abroad flock to this holy site to perform the Hindu ritual for the dearly departed and spirits of ancestors known as Pind Daan. The Bhagwad Gita was born in Kurukshetra, making it one of the most significant religious and cultural landmarks in the Hindu religion.
Located two kilometers to the west of the Kurukshetra Railway Station, the Sannihit Sarovar holy pond measures 1,500 by 450 feet. The name Sannihit is related to the belief that the holy water in the tank is home to Lord Vishnu. The ghats or platforms and steps leading to the water are made of marble and red stone. The sacred place is a popular spot for the performance of the Hindu ritual for the dearly departed known as Pind Daan. Hindu devotees from all over arrive to perform the Hindu homage to the souls of deceased relatives and spirits of ancestors.
Pind Daan uses pind as symbolic offering for the souls so that they can be freed from mukti or the cycle of life, death, and rebirth. The ritual ultimately aims to bestow peace on souls who are on the journey toward the Divine Creator. Pind is a rounded ball made of rice flour, wheat flour, oat flour, dried milk, honey, and sesame seeds. Brahmin pandits use seven pinds as offering, with one specifically offered to the soul of the deceased relative. The rest of the rice balls are offered to the spirits of ancestors.
फल्गु मेला फरल | Falgu Mela Faral (Haryana) India | A beautiful Documentary
Hii friends, this is my new video about the famous Falgu mela which is held in Faral village of Kaithal district of Haryana state of India in the occasion of Somavati Amavasya in Shradhas. Falu mela(फल्गु मेला) is very popular in Haryana especially and for its famous and sacred फल्गु तीर्थ। In the ancient vedic times in Dwapara Yuga the area of Falgu Tirth is called Falkivan where Sage Falak(Falgu) was meditating here. Falgu Tirth is also famous for the pind, sharadha, tarpan of the ancesstors which shift them to the pitra loka and gave them temporary moksha. Falgu Tirth even more significant than the famous Gaya ji Tirth in Bihar for the native people. People acroos the country and even from the world come to Faral (Haryana) to part in this famous and beautiful fair of Falgu mela. It is believed that Pandavas paid there way to perform the last rights and Shradhas tarpan in Falgu Tirth for their lost brothers and relatives who were killed during the Great Mahabharata battle of Kurukshetra. So lets enjoy this documentary of फल्गु मेला फरल | Falgu Mela Faral (Haryana) India | A beautiful Documentary.
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Holy 'Falgu Tirth' (Tapobhumi of Maharishi 'Falak' Ji), Village-Faral, District-Kaithal (Haryana)
Holy Falgu Tirtha (Tapobhumi of Maharishi Falak Ji), Village-Faral, District-Kaithal (Haryana) : Commentary by Dr. Hardip Singh & Pandit Rajinder Kumar Ji (Phone : 097295-58164).
ऐतिहासिक फल्गु तीर्थ मेला आज से शुरू || KAITHAL || HARYANA
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माहात्म्य: फल्गु तीर्थ फरल कैथल (हरियाणा) || Phalgu Tirth Pharal Kaithal || Part - 2 ||
जानिए फल्गु तीर्थ (फल्की वन) का महत्व क्योंकि चल रहा है पितृ पक्ष में पितृ-तृप्ति प्रदान करने वाला मेला / उत्सव फल्गु मेला - 2018 || भाग-2 ||
1. पुराणों और महाभारत के अनुसार फल्गु तीर्थ (फल्की वन) का माहात्म्य ।
2 . फल्की वन के पाणिखात तीर्थ का माहात्म्य।
3. फल्की वन के सुमहत् और मिश्रक तीर्थ का माहात्म्य।
A Documentary about Phalgu Tirth 'Pharal' Kaithal on Phalgu Mela - 2018.
Part - 1 available at
फल्गु मेले में भक्ति रस में डूब भजनों पर नृत्य करती मातृशक्ति ||
Falgu Mele Mein Bhajan par Jhhumati Matrishakti.
Haryanvi Traditional Folk Song and Dance Presentation on Phalgu Tirth in Phalgu Mela
हरियाणवी लोकगीत एवं लोकनृत्य की मोहक प्रस्तुति।
Falgu Mela 2018 - फल्गु मेला 2018 _ PHALGU TIRTH _ फल्गु तीर्थ
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पिहोवा- पूर्वजों का पिंड दान करने से मोक्ष प्राप्ति
ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष पर अपने पूर्वजों का पिंड दान करने से मोक्ष प्राप्ति के साथ-साथ उनका आशीर्वाद भी मिलता है इसी कामना के साथ दूर दराज से आए लोग अपने पूर्वजों का पिंड दान करते हैं विश्व प्रसिद्ध नगरी पेहवा में जहां के तीर्थ पुरोहित भी पूरी विधि विधान के साथ पूर्वजों का पिंडदान करवाते हैं सब तीर्थो में श्रेष्ठ तीर्थ पिहोवा,पिहोवा में किया पिंडदान गया(बिहार)के समान। पितरों के निमित्त श्रद्धा से किए गए कर्म को श्राद्ध कहा जात है। हिंदू धर्म में श्राद्ध कर्म का बहुत महत्व है। श्राद्ध का पितरों के साथ गहरा नाता है महाभारत के युद्ध में वीर गति प्राप्त करने वाले यौद्धाओं की आत्मिक शांति के लिए कर्मकांड, श्राद्ध, तर्पण भगवान श्रीकृष्ण जी के कहने पर युधिष्ठिर के हाथों से करवाया गया। तब से लेकर आज तक महान तपोवन भूमि पृथूदक नगरी के नाम से विख्यात है। यहां अकाल मृत्यु के ग्रास में आए प्राणियों की आत्मिक शांति के लिए पिंडदान व कर्मकांड, तर्पण आदि मुक्तिकार्य करवाने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु यहां पहुंचते है
पुराणों के अनुसार पिहोवा मेें तर्पण व पिंड़दान का विशेष महत्व है। जैसे हरिद्वार में अस्थि विसर्जन का, कुरूक्षेत्र में सुर्यग्रहण स्नान का, कपाल -मोचन में ब्रह्म-हत्या के दोष से मुक्ति का महत्व है। वैसे ही पिहोवा में, फल्गू में तथा गयाजी में पित्तर मोक्ष का महत्व पुराणों में वर्णित है। लेकिन पिहोवा तीर्थ महत्व सब तीर्थो से श्रेष्ठ है, ऐसा भी शास्त्रों, धर्मग्रंथों व पुराणों में अंकित है। इसलिए अक्सर कहा भी जाता है अद्र्ध गया पिहोवा, पूर्ण गया गयाजी। अर्थात पिहोवा को अद्र्ध गया तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। गयाजी में श्राद्ध कर्म करने से पूर्व पिहोवा में पित्तरों के लिए तर्पण व पिंड़दान का कार्य करना अनिवार्य होता है। तब जाकर पूर्ण रूप से गयाजी में किए गए कर्म की प्राप्ति होती है। गयाजी जाने से पूर्व यदि पिहोवा में पितृ तर्पण व पिंड़दान ना किया जाए तो गयाजी में पूर्ण कर्म की प्राप्ति नही होती है। इसी तरह श्राद्ध पक्ष की सोमवती अमावस्या के समय फल्गू तीर्थ में कर्म करवाने से पहले पिहोवा तीर्थ में तर्पण व पिंडदान करवाना अनिवार्य है।
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जादूगर ने की पैसों की बारिश
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आखिर किस बात पर सर्कस के खेल में जोकर को पड़े जोरदार थपड़
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सर्कस में लड़की ने किया बेहतरीन प्रदर्शन अपनी अदाकारी का
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Phalgu Tirth is an Indian pilgrimage site, where pilgrimages are undertaken by the Hindus during the Shraadhs. It is located in Pharal village in the Pundri sub-tehsil of Kaithal district in Haryana state.
Saraswati River at Kurukshetra
Holy River Named Saraswati River found in Kurukshetra.
To Know More About Kurukshetra visit
फल्गु तीर्थ का महत्त्व है गया जी के समान || Phalgu Tirth Pharal hai Phalgu Nadi Gaya Bihar Jaisa
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जाने किस कारण से सीता ने दिया फल्गु नदी को श्राप... | Why Sita Cursed The Falgu River
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